Book Title: Aagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
वाउवणप्फइकाइया य, एए सनेवि जहा ओहिया जीवा, अबसेसा जहा नेरइया, एवं ते जीवेगिंदियवज्जा तिणि २ भंगा सवत्थ भाणियवत्ति, जाय मिच्छादसणस, एवं एगत्तपोहत्तिया छत्तीसं दंडगा होति।२८। जीवे णं भंते! णाणावरणिज कम्मं बंधमाणे कतिकिरिए पं०१, गो! सिय तिकिरिए सिय चाउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं नेरइए जाव वेमाणिए, जीवा णं भंते ! णाणावरणिज बंधेमाणा कतिकिरिया?, गोसिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरियावि, एवं नेरइया निरंतरं जाव वेमाणिया, एवं दरिसणावरणिजं वेदणिज मोहणिजं आउयं नामं गोतं अंतराइयं च अडविहकम्मपगडीतो भाणितबाओ, एगत्तपोहत्तिया सोलस दंडया भवन्ति, जीवेणं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ?, गो०! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए, जीवे णं भंते! नेरइयाओ कतिकिरिए.गो०! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए, एवं जाच थणियकुमाराओ, पुढवी आउ० तेउकाइयातो बाउकाइयवणण्फइकाइयबेईदियतेईदियचाउरिदियपंचिंदियतिरिक्खजोणियमणुस्सातो जहा जीवातो, वाणमंतरजोइसियवेमाणियातो जहा नेरइयातो, जीवेणं भंते ! जीवहिंतो कतिकिरिए. गो! सिय ति.सिय चउसिय पंचसिय अकिरिए, जीवे णं भंते! नेरहएहिंतो कतिकिरिए,गो०! सिय ति०सिय एवं जहेब पढमो दंडतो तहा एसो वितिओ भाणितधो जाव वेमाणियत्ति, जीवा णं भंते ! जीवातो कतिकिरिया ?, गो० सिय ति सिय चउ० सिय पंच० सिय अकिरियावि, जीवा णं भंते ! नेरइयातो कतिकिरिया ?, गो०! जहेब आदिल्लदंडतो तहेव माणितशो, जाव वेमाणियत्ति, जीवा णं भंते ! जीवेहितो कतिकिरिया ?, गोति० चउ० पंच० अकिरियावि जीवा णं भंते ! नेरइएहितो कतिकिरिया ?, गो०! ति० चउ० अकिरिया, असुरकुमारेहितोचि एवं चेव, जाव वेमाणितेहितो, ओरालियसरीरेहिंतो जहा जीवेहिंतो, नेरइए णं भंते! जीवातो कतिकिरिए?, गो० सिय ति सिय चउ० सिय पंच०, नेरइए णं भंते! नेरइयातो कतिकिरिए?, गो०! सिय ति०सिय चउ० एवं जाव वेमाणिएहितो, नवरं नेरइयस्स नेरइएहिंतो देवेहितो य पंचमा किरिया नस्थि, नेरइया णं भंते ! जीवातो कतिकिरिया ?, गो०! सिय तिकि० सिय चउकि० सिय पंचकि०, एवं जाव वेमाणियातो, नवरं नेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया नस्थि, नेरइया णं भंते ! जीवेहिंतो कतिकिरिया ?, गो०! तिकि० चउकि० पंचकि०, नेरइया णं भंते ! नेरइएहितो कतिकिरिया ?, गो०! तिकि० चउकि०, एवं जाव वेमाणिएहितो, नवरं ओरालियसरीरेहितो जहा जीवेटिं, असुरकुमारे ण मंते! जीवातो कतिकिरिए ?, गो०! जहेव नेरइए चत्तारि दंडगा तहेव असुरकुमारेवि चत्तारि दंडगा भाणितमा, एवं च उवउजिऊर्ण भावेयध्वंति, जीवे मणूसे य अकिरिए वुचति, सेसा अकिरिया न बुच्चंति, सब्बजीचा ओरालियसरीरेहितो पंचकिरिया, नेहयदेवहितो पंचकिरिया ण बच्चंति. एवं एकजीवपदे चत्तारि २ दंडगा भाणितवा, एवं एतं दंडगसयं, सब्वेवि य जीवादीया दंडगा । २८३। कति णं भंते ! किरियाओ पं०१, गो! पंच किरियाओं पं० त०कातिया जाव पाणातिवातकिरिया, नेरइया णं भंते ! कति किरियातो पं०?, गो०! पंच किरियातो पं० त०-कातिया जाव पाणातिवायकि०, एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स णं भंते! जीवस्स कातिया किरिया कजइ तस्स अहिगरणिया किरिया कजति जस्स अहिंगरणिया कज्जति तस्स कातिया कज्जति?, गो०! जस्सणं जीवस्स कातिया कज्जति तस्स अहिगरणी नियमा क. जस्स अहिगरणी क० तस्सवि काइया नियमा कजति, जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया कि तस्स पादोसिया० जस्स पादोसिया० तस्स काइया कि० क०?, गो०! एवं चेव, जस्स गं भंते ! जीवस्स काइया कजइ तस्स पारियावणिया कज्जइ जस्स पारियावणिया कज्जा तस्स कातिया कजइ ?, गो०! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कबइ तस्स पारितावणिया सिय कजइ सिय नो कजइ जस्स पुण पारियावणिया० तस्स काइया नियमा कजति, एवं पाणाइवायकिरियावि, एवं आदिवाओ परोप्परं नियमा तिण्णि कजंति, जस्स आइलाओ तिन्नि कजंति तस्स उपसिठाओ दोनि सिय कजति सिय नो कजति जस्स उवरिलाओ दोषिण कजंति तस्स आइलाओ नियमा तिपिण कजंति, जस्स णं भंते! जीवस्स पारियावणिया कजति तस्स पाणातिवायकिरिया कजति जस्स पाणातिवायकिरिया कजति तस्स पारियावणिया किरिया कज्जति ?, गो०! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया कि० तस्स पाणातिवातकिरिया सिय कजति सिय नो कजति जस्स पुण पाणातिपातकिरिया कजति तस्स पारियावणिया नियमा कजति, जस्स णं भंते ! नेरइयस्स काइया कजति तस्स अधिगरणिया कजति ?, गो०! जहेव जीवस्स तहेव नेरइयस्सवि, एवं निरंतरं जाव वेमाणियस्स, जंसमयं णं भंते! जीवस्स काइया कि०क०समयं अधिगरणिया कि जंसमय अधिगरणिया कि० का समय काइया कि०, एवं जहेब आइलओ दंडओ तहेव माणितयो जाव वेमाणियस्स, जंदेसेणं भंते! जीवस्स काइया कि० संदेसेणं अधिगरणिया कि०?, तहेब जाव वेमाणियस्स, जंपएसेणं भंते ! जीवस्स काइया कितपदेसं अधिगरणिया कि०१, एवं तहेब जाव वेमाणियस्स, एवं एते जस्स जैसमयं जंदेस जंपएसेणं चत्तारि दंडगा होति, कति ण भंते! आतोजितातो किरियाओ पं०१, गो० पंच आओजियाओ किरियाओ पं० सं०-काइया जाव पाणातिवातकिरिया, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया आतोजिया किरिया अस्थि तस्स अधिगरणिया आतोजिता अस्थि ? जस्स अधिगरणिया आतोजिता अस्थि तस्स काइया आतोजिया अस्थि ?, एवं (१८९) ७५६ प्रज्ञापना, पद-पर
मुनि दीपरत्नसागर
Page Navigation
1 ... 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107