Book Title: Aagam Manjusha 15 Uvangsuttam Mool 04 Pannavanaa
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 71
________________ दृइ, एवं बाउकाइयबेइंदियतेइंदियचडरिंदियावि भाणियवा से नूर्ण भंते ! कण्हलेसे जाव सुक्कलेसे पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कण्हलेसेमु जाब मुकलेसेसु पंचेंदियतिरिक्ख जोणिएम उववज्जइ०? पुच्छा. हंता गो! कण्हलेसे जाव मुक्कलेस्से पंचेंदियतिरिक्खजोगिए कण्हलेसेसु जाव मुक्कलेसेसु पंचेंदियतिरि० उववज्जइ सिय कण्हलेसे उववइ जाय सिय सुकलेसे उबवट्टर सिय जाडेसे उवषजइ ताडेसे उपपदाइ, एवं मणूसेवि, वाणमंतरा जहा असुरकुमारा, जोइसिगवेमाणियावि एवं चेव नवरं जस्स जाडेसा, दोण्हयि चयणनि भाणियन्त्रं । २२२। कण्हलेसे भंते ! नेरइए कण्हलेस नेरइयं पणिहाए ओहिणा सवओ समंता समभिलोएमाणे केवतियं खेले जाणइ केवइयं खेत्तं पासइ ?, गो ! णो पहयं खेनं जाणइ णो बहयं खेनं पासह णो दूरं खेत जाणइ णो दूरं खेतं पासइ इत्तरियमेव खितं जाणइ इत्तरियमेव खेतं पासइ, से केणटेणं भंते ! एवं बुचइ-कण्हलेसे णं नेहए न घेष जाय इनरियमेव खेनं एकहपुरिस बहुसमरमाणज्जास भूमिभागास ठिबा सबा समता समलाएजा,तए ण स पुरिस धणितलगयं पुरिस पणिहाए सबओ समंना समभि. लोएमाणे णो बहुयं खेत्तं जाव पासइ जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ, से तेणट्टेणं गो०! एवं बुचइ-कण्हलेसे गं नेरइए जाव इत्तरियमेव खेतं पासइ, नीललेसे णं भंते ! नेरइए कण्हलेसं नेरइयं पणिहाय ओहिणा सबओ समंता समभिलोएमाणे केवतिय खेत्तं जाणइ केवतियं खेतं पासइ ?, गो०! बहुतरागं खेत्तं जाणइ० पासह नूरतरखेनं जाणइ० पासइ वितिमिरतरार्ग खेत्तं जाणइ० पासह विसुदतरागं खेत्तं जाणइ० पासइ, से केणतुणं भंते! एवं बुचइ-नीललेसे ण नेरइए कण्हलेस नेरइयं पणिहाय जाय विसुद्धतरागं खेनं जाणइ पासइ?, गो से जहानामए के पुरिसे बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ पवर्य दुरूहित्ता सबआ समता समभिलाएजा तए णं से पुरिस धरणितलगयं पुरिसं पणिहाय सबओ समंता समभिन्लोएमाणे - बहुतरागं खेत्तं जाणइ जाच विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ, से तेणटेणं गो एवं बुचइ नीललेस्ले नेरइए कण्हलेसं जाव विमुद्धतरागं खेनं पासइ, काउलेस्से णं भंते ! नेरइए नीललेस नेरइयं पणिहाय ओहिणा सबओ समता समभिलोएमाणे केवतिय खेतं जाणइ पासइ ?, गो० बहुतरागं खेतं जाणइ० पासइ जाय पिसुद्धतरार्ग खेतं पासति. से केणट्टेणं भंते ! एवं चुछ-काउलेस्सेणं नेरहए जाव विमुद्धतरागं खेत्तं पासइ?, गो० से जहानामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिजाओ भूमिभागाओ पत्रयं दुरुहइला दोषि पाए उचाबिया (वइना) सबओ समंता समभिलोएजा तए णं से पुरिसे पच्चयगय धरणितलगयं च पुरिस पणिहाय सबओ समंता समभिन्लोएमाणे बहुतराग खेत्तं जाणइ पहुनरागं खेले पासइ जाच चितिमिरतरागक पासह, से तेणट्टेणं गो एवं बचाइ- काउलेस्से णं नेहए नीललेस नेरइयं पणिहाय ने चेव जाच विसद्धतरागं खेतं जाणहरु पासह । २२३ कण्हलेसे गं भंते ! जी होजा?, गो! दोसु वा तिसुपा चउसु वा नाणेसु होजा, दोसु होमाणे आभिणिचोहियमुयनाणे होजा, तिसु होमाणे आभिणियोहियमुयनाणओहिनाणेसु होजा अहवा तिस होमाणे आभिणियोहियसुयनाणमणपज्जयनाणेसु होजा, चउसु होमाणे आभिणिचोहियसुयओहिमणपज्जवनाणेसु होना, एवं जाय पम्हलेसे, सुक्कलेसे णं भंते ! जीवे कइसु नाणेसु होजा?. गो! दोसु या तिसु वा चउसु वा एगंमि वा होजा, दोसु होमाणे आभिणिबोहियनाणे एवं जहेब कण्हलेसाणं तहेव भाणियचं जाव चउहि, एगंमि नाणे होजा, एगमि केवलनाणे होजा । २२४॥१७ लेस्सापए उ०३॥ 'परिणामवन्नरसगंधमुद्धनपसस्थसंकिलिटुण्हा। गतिपरिणामपदेसोगाढवग्गणठाणाणमप्पचहुं ॥२१०॥ कइणं भंते ! लेसाओ पं०?, गोछाडेसाओ पं० ले कण्ह जाव सुकलेसा, से नूर्ण भंते ! कण्हलेसा नीललेस पप्प तारूवत्ताए नावण्णत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुजो२ परिणमति?.हंता गो कण्हलेस्सा नीललेम्स पप्प तारूवनाए जाव भुजो २ परिणमति, से केणद्वेणं भंते ! एवं बुचइ- कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो २ परिणमति', गो! से जहानामए खीरे दूसिं पाप सुद्धे या वस्थे रागं पप्प तारुवत्ताए जाच ताफासत्ताए भुजो२ परिणमइ, से तेणटेणं गो एवं बुबइ-कण्हलेसा नीललेसं पप्प तारुवत्ताए जाव भुजो२ परिणमद, एवं एनेणं अभिलावेणं नीललेसा काउलेसं पप्प काउ० तेउलेसं पप्प नेउ० पम्हलेसं पप्प पम्ह मुक्कलेसं पप जाच भुजो २ परिणमइ. से नूर्ण भंते ! कण्हलेसा नीललेसं काउलेसं तेउलेस पम्हलेसं सुक्कलेसं पण तारुनाए जाव ताफासत्ताए भुजो२ परिणमइ?,हंता गो! कण्हलेसा नीललेसं पप्प जाच सकलेसं पप्प तारुवत्ताए जाव ताफास भजो २ परिण- 4 मद, से केण?णं भंते ! एवं पुचइ-कण्हलेसा नीललेसं जाय सुक्कलेसं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो २ परिणमइ ?, गो से जहानामए वेरुलियमणी सिया कण्हसुत्तए वा नील वा लोहिय हालिहसुकिङ ० आइए समाणे तारुवत्ताए जाव भुजो२परिणमइ, से तेणट्टेणं एवं बुचइ-कण्हलेसा नीललेसं जाव सुफलेसं पप्प तारुवत्ताए• भुजो२परिणमति. से नूणं भंते ! नीललेसा किण्हलेसं जाव सुकलेसं पप्प तारूवत्ताए जाब भुजो २ परिणमइ?,हंता गो०! एवं चेव, काउलेसा कण्हलेसं जाव सुकलेसं०?, एवं, तेउलेसा किण्ह जाब सुक्कलेसं०?,एवं, पम्हलेसा किण्ह ० जाव सुकलेसं पप्प जाव भुजो२ परिणमइ ?, हंता गो०! ते चेत्र, से नूर्ण भंते! सुकलेसा किण्ह० जाव पम्हलेसं पप्प जाव भुजो २ परिणमइ ?.हंता ७४२ प्रज्ञापना, पह-0१७ मुनि दीपरनसागर

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