Book Title: Aagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
(४४)
प्रत
सूत्रांक
[४३]
दीप
अनुक्रम [१३६ ]
“नन्दी”- चूलिकासूत्र -१ ( मूलं + वृत्ति:)
मूलं [ ४४ ] / गाथा || ८९... ||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....आगमसूत्र [४४], चूलिका सूत्र - [१] “नन्दीसूत्र” मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्तिः
75%
श्रीमलयगिरीया
॥२०२॥
कपिआकपिअं चुल्लकप्पसुअं महाकप्पसुअं उववाइअं रायपसेणिअं जीवाभिगमो पण्णवणा नन्दीवृत्तिः महापणवणा पमायप्पमायं नंदी अणुओगदाराई देविंदत्थओ तंदुलवेआलिअं चंदाविज्झयं सूरपण्णत्ती पोरिसिमंडलं मंडलपवेसो विज्जाचरणविणिच्छओ गणिविजा झाणविभत्ती मरविभत्ती आयविसोही वीयरागसुअं संलेहणासुअं विहारकप्पो चरणविही आउरपच्चक्खाणं महापचक्खाणं एवमाइ, से तं उक्कालिअं । से किं तं कालिअं ?, कालिअं अणेगविहं पण्णसं, तंजहा - उत्तरज्झयणाई दसाओ कप्पो ववहारो निसीहं महानिसीहं इसिभासिआई जंबूदीवपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती चंदपन्नत्ती खुड्डिआ विमाणपविभत्ती महल्लिआ विमाणपविभत्ती अंगचूलिआ वग्गचूलिआ विवाहचूलिआ अरुणोवत्राए वरुणोववाए गरुलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंधरोववाए देविंदोवाए उट्टाणसुए समुट्टाणसुए नागपरिआवणिआओ निरयावलियाओ aftaar areasसिआओ पुष्फिआओ पुप्फचूलिआओ वण्हीदसाओ, एवमाइयाई चउरा सीई पन्नगसहस्साई भगवओ अरहओ उसहसामिस्स आइतित्थयरस्स तहा संखिजाई पन्न
For Parts Use Only
~ 407 ~
आवश्यककालिको स्कालिकानि
२०
॥२९॥
२३

Page Navigation
1 ... 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514