Book Title: Aagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(४४)
प्रत
सूत्रांक
[ ५७ ]
+
॥८२
-८४||
दीप
अनुक्रम [१५०
-१५४]
श्रीमलयगिरीया नन्दीवृत्तिः
॥२३७॥
“नन्दी”- चूलिकासूत्र -१ ( मूलं + वृत्तिः)
मूलं [ ५७ ]/ गाथा ||८२-८४||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....आगमसूत्र- [ ४४], चूलिका सूत्र - [१] “नन्दीसूत्र” मूलं एवं मलयगिरिसूरि - रचिता वृत्तिः
वीसा ९ पनरस १० अणुष्पवामि ॥८२॥ वारस इक्कारसमे वारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे चोदसमे पणवीसाओ ॥ ८३ ॥ चत्तारि १ दुवालस २ अट्ट ३ चैत्र दस ४ चैव चुलवत्थूणि । आइलाण चउहं सेसाणं चूलिआ नत्थि ॥८४॥ से तं पुण्वगए । से किं तं अणुओगे ?, अणुओगे दुपण्णत्ते, तंजहा- मूलपढमाणुओगे गंडिआणुओगे य, से किं तं मूलपढमाणुओगे ?, मूलपढमाणुओगे णं अरहंताणं भगवंताणं पुग्वभवा देवगमणाई आउंचवणाई जम्मणाणि अभिसेआ रायवरसिरीओ पव्वज्जाओ तवा य उग्गा केवलनाणुप्पयाओ तित्थपवत्तणाणि अ सीसा गणा गंणहरा अजपवत्तिणीओ संघस्स चउव्विहस्स जं च परिमाणं जिणमणपज्जवओहिनाणी सम्मत्तसुअनाणिणो अ वाई अणुत्तरगई अ उत्तरवेउब्विणो अमुणिणो जत्ति सिद्धा सिद्धीपहो जह देसिओ जचिरं च कालं पाओवगया जे जहिं जत्तिआई भत्ताई छेइत्ता अंतगडे मुणिवरुत्तमे तमरओधविष्यमुक्के मुक्खसुहमणुत्तरं च पत्ते एवमन्ने अ एवमाभावा मूल पढमाणुओगे कहिआ, सेत्तं मूलपढमाणुओगे । से किं तं गंडिआ
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दृष्टिवादेपरिकर्माद्य
धिकार:
सू. ५७
१५
२० ॥२३७॥
२२
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