Book Title: Aagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 497
________________ आगम (४४) “नन्दी'- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्तिः ) ............... मूलं [५८]/गाथा ||८५|| ...... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४४], चूलिका सूत्र-[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत द्वादशा सूत्राक RECARE [५८ ||८|| अणंता जीवा आणाए विराहिता चाउरतं संसारकतारं अणुपरिअहिंसु, इच्चेइअंदुवालसंगं गणि. पिडगं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरतं संसारकंतारं अणुपरिअहति, झ्याआराइच्चेइ दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरतं सं धनाविराध नाफलं सारकंतारं अणुपरिअहिस्संति इच्चेइ दुवासंगं गणिपिड़गं तीए काले अणंता जीवा आ- - दिस्वरूपं च णाए आराहित्ता चाउरतं संसारकतारं वीईवइंसु, इच्चेइ दुवालसंग गणिपिडगं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए आराहिता चाउरतं संसारकंतारं वीईवयंति, इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडर्ग अणागए काले अणंता जीवा आणाए आराहिता चाउरतं संसारकंतारं वीईवइस्संति । इच्चेइअंदुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासीन कयाइन भवइ न कयाइ न भविस्सइ भुवि च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे निअए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निचे, से जहानामए पंचस्थिकाए न कयाइ नाती न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ भुर्वि च भवइ अ भविस्सइ अ धुवे नियए सासए अक्खए अबए अवहिए निच्चे, एवामेव दुवालसंगे दीप अनुक्रम [१५५-१५७] ~496~

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