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आगम
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“नन्दी'- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्तिः )
................ [अनुज्ञा-नन्दी ] मूलं [१] .......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४५], चूलिका सूत्र-[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति:
अनुज्ञा
प्रत (परिशिष्ठ)
सूत्रांक
रित्ता दव्याणुण्णा?, जाणगसरीरभविजसरीरवइरिचा दव्वाणुण्णा तिविहा पण्णत्ता, तंजहा-लोहा लोउत्तरिआ हाकुप्पाव(यणिया य, से कितं लोइआ दवाणुण्णा ?, लोइमा दव्वाणुण्णा तिविहा पण्णता,तंजहा-सचित्ता अचित्ता
मीसिआ, से किं तं सचित्ता?, सचित्ता से जहानामए राया इ वा जुवराया इ वा ईसरे इ वा तलवरे इ वा माईबिए इ दवा कोडुबिए इवाइम्मे इ वा सेट्ठी इवा सत्यवाहे इ वा सेणायई इ या कस्सइ कम्मि कारणे तुढे समाणे आसं वा हत्यि
वा उट्टे वा गोणं पाखरं पा घोडयं वा एलयं वा अयं वा दासं वा दासि वा अणुजाणिजा, सेत्तं सचित्ता, से कि ४ तं अचित्ता ?, अचिसा से जहानामए राया इ वा जुवराया इ वा ईसरे इ वा तलबरे इ वा कोडंबिए इबा माड-13 विए इ वा इन्भे इषा सत्यवाहे इ बा सेट्ठी इ वा सेणावई इ वा कस्सइ कम्मि कारणे तुडे समाणे आसणं या सवर्ण वा छत्तं वा चामरं वा पडगं वा मउडं वा हिरणं वा सुवणं वा कंसं वा दूसं वा मणिमुत्तिअसंखसिलप्पयालरचरयणमाइ संतसारसावइजं अणुजाणिजा,सेतं अचित्ता दब्वाणुण्णा, से किं तं मीसिना दवाणुण्णा?, मीसिआ
दवाणुण्णा से जहानामए राया इ वा ईसरे इ वा तलवरे इ वा माडंबिए इ वा कोटुंबिए इ वा इन्भे हवा सिट्टी दइ वा सेणाबई इ वा सत्ववाहे इ वा कस्सइ कम्मि कारणे तुडे समाणे हत्यिं वा मुहभंडगमंडिअं आसं वा घासग
चामरमंडिअं सकडअंदासं वा दासि वा सव्वालंकारविभूसिअणुजाणिजा, से तं मीसिआ दवाणुण्णा, से तं लोइआ दिवाणुण्णा, से किं तं कुप्पाव(यणिआ दव्वाणुण्णा ?, कुप्पाव(य)जिआ दव्याणुण्णा तिविहा पणत्ता, तंजहा
दीप (परिशिष्ठ) अनुक्रम
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