Book Title: Aadhunik Jain Kavi
Author(s): Rama Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 210
________________ श्री कमलादेवी जैन आप जैन समाजके गण्यमान्य विद्वान् पं० शोभाचन्द्रजी भारिल्लकी सुयोग्य पुत्री हैं। काव्य रचनाके लिए आपमें जन्मजात प्रतिभा है, जो समय और अनुभवके खरादपर चढ़कर हिन्दी साहित्य-सुवर्णकी अंगूठीका सुन्दर नगीना होगी। सत्रह वर्षको वयमें, उन्नत कल्पना और सरस शन्दोंके साथ सुन्दर भावोंको गूंयना आपके उज्ज्वल भविष्यका परिचायक है। आप संस्कृत और न्यायशास्त्रका विशेष अध्ययन करती हैं। पाप . साधारण विषयको भी भावोंकी पवित्रता द्वारा उज्ज्वल कर देती हैं। रोटी रोटी, फूली देव तुझे मैं, ___ फूली नहीं समाती हूँ; अपने मनकी वात सोचकर मन ही मन हर्षाती हूँ।१ तू मेरे प्रिय भ्रात उदरमें, जाकर ऐसा रक्त वना; मातृभूमिके लिए समयपर तन अर्पण कर दे अपना।२ पूर्ण लालसा होवे मेरी, यह वरदान मांगती हूँ; मेरे तप्त हृदयको शीतल - कर दे यही चाहती हूँ।३ - १८४ -

Loading...

Page Navigation
1 ... 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241