Book Title: Aadhunik Jain Kavi
Author(s): Rama Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 229
________________ श्री सौ० पुष्पलता देवी कौशल, सिवनी, सी० पी० श्राप समाजके प्रसिद्ध कार्यकर्ता, जैनधर्म विशारद वावू सुमेरचन्द्रजी 'कोशल' वी० ए०, एल-एल० वी० प्लीडर सिवनीकी धर्मपत्नी हैं । श्रापका विवाह हुए १० वर्ष बीते हैं । आपको वाल्यावस्थामें ही आपके पिता सवाई सिगई श्री खूवचन्दजी जबलपुरका स्वर्गवास हो चुका था । श्रापकी माता श्रीमती सुन्दरवाईने अपने अन्य दो पुत्रों सहित श्रापका सुलालन पालन वैधव्य श्रवस्थाका श्रादर्श पालन करते हुए किया है। माता-पिताके धार्मिक संस्कारोंका आपपर पूर्ण प्रभाव पड़ा है। इसलिए अापकी धार्मिक शिक्षण और सदाचरणकी श्रोर विशेष रुचि है । श्राप बंगाल संस्कृत एसोसिएशनकी 'न्यायतीयकी' तैयारी कर रही हैं। तथा बम्बई परीक्षालयकी 'विशारद' पात कर चुकी हैं । आपको साहित्यसे विशेष अभिरुचि है । और कभी-कभी कविता श्रीर लेख लिखा करती हैं । श्रापकी कविता तथा लेख "जैन महिलादर्श" में ससन्मान प्रकाशित होते हैं । " दर्श" के कविता मन्दिरमें आपको अपने लेखों और कविताओं पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं । - २०३

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