Book Title: Aadhunik Jain Kavi
Author(s): Rama Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 236
________________ श्री फूलचन्द्र 'मधुर', सागर श्री फूलचन्द्र 'मधुर' दि० जैन महिलाश्रम सागरके मन्त्री श्री चौधरी रामचरणलालजीके सुपुत्र हैं। आपको अल्पावस्थाले ही कवितासे रुचि है। यद्यपि आपकी शिक्षा मिडिल तक ही हुई है और अवस्था भी वाईस वर्षके लगभग है फिर भी आप बड़ी सरस कविता करते हैं। इनके गीतिकाव्योंमें हृदयकी स्वाभाविक संवेदना होती है और प्रायः कविताका धरातल अपार्थिव और उन्नत होता है। आप राष्ट्र-कर्मी होनेके कारण जेल-यात्रा भी कर आये हैं। इसलिए इनके गीतोंमें युगको आवाज गूंजती है। आपने 'मानवगीत' नामक एक कविता-पुस्तक लिखी है, जो प्रकाशनकी प्रतीक्षामें है । टूटे हुए तारेकी कहानी : तारेकी जुबानी था क्या आधार? गगनने मुझको गिराया भूमिने मुझको उठाया मध्यमें मुझको बसाने कौन था तैयार ? था चमकता गात मेरा था निशापर राज मेरा जीर अगणित मानवोंका था मुझे ही प्यार। - २१० '

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