Book Title: Aadhunik Jain Kavi
Author(s): Rama Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 230
________________ भारत नारी जाग जाग हे भारत नारी ! प्राचीमें अरुणोदय छाया , अन्धकारका हुया सफाया , तेरा समय आज है आया , जाग जाग हे भारत नारी ! सदियोंसे तू पिछड़ रही है , तव जीवनका मूल्य नहीं है , अन्धकारमें पड़ी हुई है, जाग जाग हे भारत नारी! तू जीवनको सुखी बनाये , चाहे जीवन दुखी बनाये , तुझपर है सव जिम्मेदारी, जाग जाग हे भारत नारी! तू है शक्ति, तू ही जगदम्बा , तू है विजया, तू है रम्भा , उठ आगे आ, छोड़ दासता , जाग जाग है भारत नारी ! - २०४ -

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