Book Title: Aadhunik Jain Kavi
Author(s): Rama Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 208
________________ - श्री प्रेमलता, 'कौमुदी ___ 'कौमुदीजीका जन्म सन् १९२४ में दमोहमें हुआ। आप प्रसिद्ध जैन-कवि श्री पं० मूलचन्द्रजी 'वत्सल'को सुपुत्री हैं। आपके पति श्री रविचन्द्र 'शशि' भी एक सफल कवि हैं। इसीलिए कविताको ओर आपकी सहज नीर सुलभ प्रवृत्ति है । आपने संस्कृतका 'सामायिक पाठ' पद्यानुवाद किया है, जो प्रकाशित हो गया है। आपकी कवितामें स्वाभाविकता है और सरसता भी। ये कविताका क्षेत्र व्यापक रखनेका प्रयास करती हैं। गीत मेरे नयनोंकी कुटियामें किसने दीप जलाये री, नीरस सुप्त प्राण मेरे सहसा किसने उकसाये री ! आता सरिता जल-सा निर्मल, मधुर मन्द सुरभित मलयानिल, सजनि, आज किसके विन मेरे वीन-तार अकुलाये री। __ श्यामल रजनीके तारों-सी, • धन-विद्युत्के मनुहारों-सी; उर नभमें किस तरल प्रतीक्षाके वादल घिर आये री। मेरे नयनोंकी कुटियामें किसने दीप जलाये री॥ - १८२ -

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