Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री अनुयोगद्वार सूत्र ॥ श्री आगम-गुण- मञ्जूषा ॥ ।। श्री भागम-गुण-मंभूषा ।। II Sri Agama Guna Manjusa II (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू. आ. भ. स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *********** IV Six Cheda-sūtras ********** (2) Nisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-sutra, YU MUNU AM VIÀO QUN ********¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ (1) Vyavahara-sutra, (3) Mahānisitha-sutra, (5) Daśāśruta-skandha-sūtra and (6) Bṛhatkalpa-sūtra. These Chedasûtras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. V Four Malasitras (1) Daśavaikalika-sutra: It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Cūlikäs called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthulabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahāvideha region and received four Culikās. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra: It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Pifaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. (4) Avasyaka-sutra: It is the most useful Agama for all the four groups 2010 03 of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are (1) Samayika, (2) Caturvimśatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kayotsarga and (6) Paccakhāṇa. VI Two Culikäs (1) Nandi-sütra: It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirthankaras and 11 Gaṇadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Ślokas. (2) Anuyogadvara-sutra: Though it comes last in the serial order of the 45 Agamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 Ślokas. ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶__¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ O 男 男男男男 男 男男男男男男男%%% %%] Alkm 1y Ruth alad 或 $ $% %%%%%%%%%%%%% 50 આગમ - ૪૫ દ્રવ્યાનુયોગપ્રધાન અનુયોગકારસૂત્ર - ૪૫ શ્લોક પ્રમાણ દ્વાર - - - - - - - ------૪ ઉપલબ્ધ મૂલપાઠ ------------- ૧૮૯૯ ગદ્યસૂત્ર ----- ----- ૧૫૨ પદ્યસૂત્ર ----- - - - ------ ૧૪૩ CFC勇吳明步兵兵兵军步兵步兵乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐明明明明明明明明明明明军用兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐国乐FSC આ આગમમાં પાંચ પ્રકારના જ્ઞાનથી શરૂઆત કરીને સૂત્રના ચાર નિક્ષેપ, કંધના ચાર નિક્ષેપ, આવશ્યકના છ અધ્યયન તેમજ ઉપક્રમના છ નિક્ષેપોની વાત જણાવી છે. આનુપૂર્વીના ૧૦ વેધ અને એના વિવિધ વિષયો જણાવીને દ્રવ્યપ્રમાણના છ ભેદ, સમાસના સાત ભેદ, તદ્ધિતના આઠ અને ધાતુના અનેક ભેદ જણાવી નિયુક્તિની વ્યાખ્યા આપી છે. તે પછી પ્રમાદના ચાર ભેદ, કાલ-પ્રભાવના બે ભેદ તેમજ સમયની વ્યાખ્યા, આવલિકાથી માંડીને શીર્ષપ્રહેલિકા સુધીના ઔપનિક પલ્યોપમ વગેરે ભેદ-પ્રભેદો અને તેની વ્યાખ્યાઓ આપી છે. ૨૪ દંડકોમાં જીવોની સ્થિતિ, પાંચ શરીરોની વિચારણા, નયપ્રમાણના ત્રણ ભેદ સમજાવવા પ્રસ્થક, વસતિ અને પ્રવેશના દષ્ટાંતો, સંખ્યા-પ્રમાણના આઠ ભેદો અને તેની વ્યાખ્યા, સંખ્યાત, અસંખ્યાત અને અનંતની વ્યાખ્યા આપવામાં આવી છે. સ્વ-સમય, પર- સમય અને ઉભય-સમયના નયોની વ્યાખ્યા, આવશ્યકતા છે. અર્થાધિકાર અને છ સમવતાર જણાવી અંતે સાત નયોની વ્યાખ્યાથી ઉપસંહાર કરવામાં આવ્યો છે. ઈતિ૪૫ આગમોનો ભાવાર્થ સંપૂર્ણ 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听區 2 COMMEFFEMMMMMMMMMMMM & Tમગાર્મગુપ - ૫૬ KHMMMMMM MM MM ÆË ÆGO? Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR95555555555555555 (४५) अणुओगदाराई [१] $$$$ $$ $$$ $$ 0 %%%%%%$5500 %%%%%%% सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। अणुओगद्दाराइंक [सुत्तं १. मंगलं] १. नाणं पंचविहं पण्णत्तं । तं जहाआभिणिबोहियणाणं १ सुयणाणं २ ओहिणाणं ३ मणपज्जवणाणं ४ केवलणाणं ५। [सुत्ताई २.५. आवस्सगाणुओगपइण्णा] २. तत्थ चत्ताति णाणाई ठप्पाइं ठवणिज्जाइं, णो उद्दिस्संति णो समुहिस्संति णो अणुण्णविनंति, सुयणाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ । ३. जइ सुयणाणस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ, किं अंगपविट्ठस्स उद्देस्सो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ ? अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ ? अंगपविट्ठस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ, अंगबाहिरस्स वि उद्देसो समुद्देसो अणुण्णो अणुओगोय पवत्तइ । इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च अंगबाहिरस्स उद्देसो ४।४. जइ अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अणुण्णा अणुओगो य पवत्तइ, किं कालयस्स उद्देसो समुद्देसो ४ ? उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो ४ ? कालियस्स वि उद्देसो ४ उक्कालियस्स वि उद्देसो ४ । इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च उक्कालियस्स उद्देसो ४ । ५. जइ उक्कालियस्स उद्देसो ४ किं आवस्सगस्स उद्दसो ४ ? आवस्सगवइरित्तस्स उद्देसो ४ ? आवस्सगस्स वि उद्देसो ४ आवस्सगवइरित्तस्स वि उद्देसो ४ । इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च आवस्सगस्स अणुओगो [सुत्ताइं ६-८. आवस्सयाइपयनिक्खेवपइण्णा] ६. जइ आवस्सयस्स अणुओगो आवस्सयण्णं किमंगं अंगाई ? सुयक्खंधो सुयक्खंधी ? अज्झयणं अज्झयणाई ? उद्देसगो उद्देसगा? आवस्सयण्णं णो अंगंणो अंगाई, सुयक्खंधोणो सुयक्खंधा, णो अज्झयणं अज्झयणाई, णो उद्देसगो णो उद्देसगा। ७. तम्हा आवस्सयं णिक्खिविस्सामि, सुयं णिक्खिविस्सामि, खंधं णिक्खिविस्सामि, अज्झयणं णिग्धिविस्सामि । ८. जत्थ य जं जाणेज्जा णिक्खेवं णिक्खिवे णिरवसेसं । जत्थ वि य न जाणेज्जा चउक्कयं निक्खिवे तत्थ ।।१।। [सुत्ताई ९-२९. आवस्सयस्स निक्खेवो ] ९. से किं तं आवस्सयं ? आवस्सयं चउव्विहं पण्णत्तं । तं जहा-नामा-वस्सयं १ ठवणावस्सयं २ दव्वावस्सयं ३ भावावस्सयं ४।१०. से किं तं नामवस्सयं ? २ जस्सणं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आवस्सये त्ति नाम कीरए। सेतं नामावस्सयं। ११. से किं तं ठवणावस्सयं ? २ जण्णं कट्ठकम्मे वा चित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अणेगो वा सब्भावठवणाए वा असब्भावठवणाए वा आवस्सए त्ति ठवणा ठविज्जति । से तं ठवणावस्सयं । १२. नाम-ट्ठवणाणं को पइविसेसो ? णामं आवकहियं, ठवणा इत्तिरिया वा होज्जा आवकहिया वा । १३. से किं तं दव्वावस्सयं ? २ दुविहं पण्णत्तं । तं जहा-आगमतो य १णोआगमतो य २ । १४. से किं तं आगमतो दव्वावस्सयं ? २ जस्स णं आवस्सए त्ति पदं सिक्खितं ठितं जितं मितं परिजितं णामसमं घोससमं अहीणक्खरं अणच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुण्णघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं । से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, णो अणुप्पेहाए। कम्हा ? "अणुवओगो दव्व" मिति कट्ट । १५. [१] णेगमस्स एगो अणुवउत्तो आगमओ एगं दव्वावस्सयं, दोण्णि अणुवउत्ता आगमओ दोण्णि दव्वावस्सयाई, तिण्णि अणुवउत्ता आगमओ तिण्णि दव्वावस्सयाई, एवं जावइया अणुवउत्ता तावइयाइं ताई णेगमस्स आगमओ दव्वावयाइं। [२] एवमेव ववहारस्स वि। [३] संगहस्स एगो वा अणेगा वा अणुवउत्तो वा अणुवउत्ता वा आगमओ दव्वावस्सयं वा दव्वावस्सयाणि वा से एगे दव्वावस्सए। [४] उज्जुसुयस्स एगो अणुवउत्तो आगमओ एगं दव्वावस्सयं, पुहत्तं नेच्छइ। [५] तिण्हं सद्दनयाणं जाणए अणुवउत्ते अवत्थू । कम्हा ? जइ जाणए अणुवउत्ते ण भवति । से तं आगमओ दव्वावस्सयं । १६. से किं तं नोआगमतो दव्वावस्सयं ? २ तिविहं पण्णत्तं । तं जहा- जाणगसरीरदव्वावस्सयं १ GO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐CLE %%%%%%% GRO5555555555$$$$$$ सौन्य :- ५.पू. साध्वीश्री या३सताश्री म.सा. ना शिष्या प.पू. सा. महाप्रज्ञाश्री म.सा. नी प्रेरणाथी ઇંદોરથી હસ્તિનાપુર શીખરજી કલ્યાણક યાત્રા સમિતિ હ. જયંતી એલ જૈન અને દીલીપભાઈ શાહ 05 5555555555$$$$$$5, श्री आगमगुणमंजूषा १७०३5555555555555555555555530555xork Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GRO (४५) अणुओगदाराई भवियसरीरदव्वावस्सयं २ जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्तं दव्वावस्सयं ३ । १७. से किं तं जाणगसरीरदव्वावस्सयं ? २ आवस्सए त्ति पदत्थाधिकारजाणगस्स जं सरीरयं ववगयचुतचावितचत्तदेहं जीवविप्पजढं सेज्जागयं वा संथारगयं वा सिद्धसिलातलगयं वा पासित्ता णं कोइ भणेज्जा अहो ! णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं दि भावे आवस्सए त्ति पयं आघवियं पण्णवियं परूवियं दंसियं निदंसिय उवदंसियं । जहा को दिट्ठतो ? अयं महुकुंभे आसी, अयं घयकुंभे आसी से तं जाणगसरीरदव्वावस्सयं । १८. से किं तं भवियसरीरदव्वावस्स्यं ? २ जे जीवे जोणिजम्मणणिक्खंते इमेणं चेव सरीरसमुस्सएणं आदत्तएणं जिणोवदिट्टेणं भावेणं आवस्सए त्ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सइ, न ताव सिक्खइ । जहा को दिट्टंतो ? अयं महुकुंभे भविस्सइ, अयं घयकुंभे भविस्सइ । से तं भवियसरीरदव्वावस्सयं । १९. से किं तं जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ते दव्वावस्सए ? २ तिविधे पण्णत्ते । तं जहा लोइए १ कुप्पावयणिते २ लोउत्तरिते ३ । २०. से किं तं लोइयं दव्वावस्सयं ? २ जे इमे राईसर - तलवर - माडंबिय - कोडुंबिय इन्भ - सेट्ठि- सेणावइ- सत्थवाहप्पभितिओ कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए सुविमलाए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिल्लियम्मि अहपंडुरे पभाए रत्तासोगप्पगासकिंसुय- सुयमुह-गुंजद्धरागसरिसे कमलागर-नलिणिसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दियरे तेयसा जलते मुधोयण दंतपक्खालण तेल्ल- फणिह - सिद्धत्थय-हरियालिय- अद्दाग-धूव-पुप्फ-मल्ल-गंध- तंबोल- वत्थमाइयाई दव्वावस्सयाई करेत्ता ततो पच्छा रायकुलं वा देवकुलं वा आरामं वा उज्जाणं वा सभं वा पवं वा गच्छति । से तं लोइयं दव्वावस्सयं । २१. से किं तं कुप्पावयणियं दव्वावस्सयं ? २ जे इमे चरगचीरिग - चम्मखंडिय - मिच्छंडग- पंडरंग-गोतम-गोव्वतिय- गिहिधम्म- धम्मचिंतंग- अविरुद्ध-विरुद्ध-वुड्ड-सावगप्पभितयो पासंडत्था कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते इंदस्स वा खंदस्स वा रुद्दस्स वा सिवस्स वा वेसमणस्स वा देवस्स वा नागस्स वा जक्खस्स भूयस्स वा मुगुंदस्स वा अज्जाए वा कोट्टकिरियाए वा उवलेवण-सम्मज्जणाऽऽवरिसण-धूव- पुप्फ-गंध-मल्लाइयाइं दव्वावस्सयाइं करेति । से तं कुप्पावयणियं दव्वावस्सयं । २२. से किं तं लोगोत्तरियं दव्वावस्सयं ? २ जे इमे समणगुणमुक्कजोगी छक्कायनिरणुकंपा हया इव उद्दामा गया इव निरंकुसा घट्टा मट्ठा तुप्पोट्ठा पंडरपडपाउरणा जिणाणं अणाणाए सच्छंद विहरिऊणं उभओकालं आवस्सगस्स उवद्वंति से तं लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं । से तं जाणगसरीरभवियसरीरवइरित्तं दव्वावस्सयं । से तं नोआगमतो दव्वावस्सयं । से तं दव्वावस्सयं । २३. से किं तं भाववस्सयं ? २ दुविहं पण्णत्तं । तं जहा आगमतो य १ णोआगमतो य२ । २४. से किं तं आगमतो भाववस्सयं ? २ जाणए उवउत्ते । से; तं आगमतो भाववस्सयं । २५. से किं तं नोआगमतो भावावस्स्यं ? २ तिविहं पण्णत्तं । तं जहा लोइयं १ कुप्पावयणियं २ लोगुत्तरियं ३ । २६. से किं तं लोइयं भावावस्सयं ? २ पुव्वण्हे भारहं अवरण्हे रामायणं । से तं लोइयं भावावस्सयं । २७. से किं तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं ? २ जे इमे चरग चीरिय- जाव पासंडत्था इज्जलि - होम-जप-उंदुरुक्क-नमोक्कारमाइयाइं भावावस्सयाइं करेति । से तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं । २८. से किं तं लोगोत्तरियं भाववस्सयं ? २ जण्णं इमं समणे वा समणी वा सावए वा साविया वा तच्चित्ते तम्मणे तल्लसे तयज्झवसिते तत्तिव्वज्झवसाणे तयट्ठोवउत्ते तयप्पियकरणे तब्भावणाभाविते अण्णत्थ कत्थइ मण अकरेमाणे उभओकालं आवस्सयं करेति । से तं लोगोत्तरियं भावावस्सयं । से तं नोआगमतो भावावस्सयं । से तं भावावस्सयं । २९. तस्स णं इमे एगट्ठिया घोसणाणावंजणा णामधेज्जा भवंति । तं जहा आवस्स्यं १ अवस्सकरणिज्ज २ ध्रुवणिग्गहो ३ विसोही य ४ । अज्झयणछक्कवग्गो ५ नाओ ६ आराहणा ७ मग्गो ८ ||२|| समण सावएण य अवस्सकायव्वयं हवति जम्हा । अंतो अहो निसिस्स उ तम्हा आवस्सयं नाम ॥३॥ से तं आवस्स्यं । [ सुत्ताई ३०. ५१. सुयस्स निक्खेवो ] ३०. से किं तं सुयं ? २ चउव्विहं पण्णत्तं । तं जहा नामसुयं १ ठवणासुयं २ दव्वसुयं ३ भावसुयं ४ । ३१. से किं तं नामसुयं ? २ जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा सुए इ नाम कीरति । से तं नामसुयं । ३२. से किं तं ठवणासुयं ? २ जण्ण कट्ठकम्मे वा व सुइठवणा ठविज्जति । से तं ठवणासुयं । ३३. नाम-ठवणाणं को पतिविसेसो ? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तिरिया वा होज्जा आवकहिया वा । ३४. से किं तं दव्वसुयं ? २ दुविहं पण्णत्तं । तंजहा आगमतो य १ नोआगमतो य २ । ३५. से किं तं आगमतो दव्वसुयं ? २ जस्स णं सुए त्ति पयं सिक्खियं ठियं जियं परिजियं 1 ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - १७०३220 [२] Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई [३] जा कहा ? जइ जाणते अणुवउत्ते ण भवइ । से तं आगमतो दव्वसुयं । ३६. से किं तं णोआगमतो दव्वसुयं ? २ तिविहं पन्नत्तं । तं जहा जाणयसरीरदव्वसुयं १ भवियसरीरदव्वसुयं २ जाणयसरीरभवियसरीरइरित्तं दव्वसुयं ३ । ३७. से किं तं जाणयसरीरदव्वसुतं ? २ सुतत्तिपदत्थाहिकारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुतचतियचत्तदेहं जीवविप्पजढं सेज्नागयं वा संथारगयं वा सिद्धसिलायलगयं वा, अहो ! णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्टेणं भावेणं सुए इ पयं आघवियं पण्णवियं परूवियं दंसियं निदंसियं उवदंसियं । जहा को दिट्टंतो ? अयं मधुकुंभे आसी, अयं घयकुंभे आसी । से तं जाणयसरीरदव्वसुतं । ३८. से किं तं भवियसरीरदव्वसुतं ? २ जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खंते इमेणं चेव सरीरसमुस्सएणं आदत्तएणं जिणोवइद्वेणं भावेणं सुए इ पयं सेकाले सिक्खिस्सति, ण ताव सिक्खति । जहा को दिवंतो ? अयं मधुकुंभे भविस्सति, अयं घयकुंभे भविस्सति । से तं भवियसरीरदव्वसुतं । ३९. से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवतिरित्तं दव्वसुतं ? २ पत्तयपोत्थयलिहियं । ४०. अहवा सुत्तं पंचविहं पण्णत्तं । तं जहा अंडयं १ बोंडयं २ कीडयं ३ वालयं ४ वक्कयं ५ । ४१. से किं तं अंडयं ? अंडयं हंसगभादि । सेतं अंडयं । ४२. से किं तं बोंडयं । बोंडयं फलिहमादि । से तं बोंडयं ॥ ४३. से किं तं कीडयं ? कीडयं पंचविहं पण्णत्तं । तं जहा पट्टे १ मलए २ अंसुए ३ चीणंसुए ४ किमिरागे ५ । से तं कीडयं । ४४. से किं तं वालयं ? वालयं पंचविहं पण्णत्तं । तं जहा उण्णिए १ उट्टिए २ मियलोमिए ३ कुतवे ४ किट्टिसे ५ । से तं वालयं । ४५. से किं तं वक्कयं ? वक्कयं सणभाई से तं वक्कयं । से तं जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्तं दव्वसुयं । से तं नोआगमतो दव्वसुयं । से तं दव्वसुयं । ४६. से किं तं भावसुयं ? २ दुविहं पन्नत्तं । तं जहा आगमतो य १ नोआगमतो य २ । ४७. से किं तं आगमतो भावसुयं ? २ जाणते उवउत्ते । से तं आगमतो भावसुयं । ४८. से किं तं नोआगमतो भावसुयं ? २ दुविहं पन्नत्तं । तं जहा लोइयं १ लोउत्तरियं च २ । ४९. से किं लोइयं भावसुयं ? २ जं इमं अण्णाणिएहिं मिच्छदिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धि-मइविगप्पियं । तं जहा भारहं रामायणं हंभीमासुरुक्कं कोडिल्लयं घोडमुहं सगभद्दिआओ कप्पासियं नागसुहुमं कणगसत्तरी वइसेसियं बुद्धवयणं वेसियं काविलं लोयाययं सट्ठितंतं माढरं पुराणं वागरणं नाडगादी, अहवा बावत्तरिकलाओ चत्तारि य वेदा संगोवंगा । से तं लोइयं भावसुयं । ५०. से किं तं लोगोत्तरियं भावसुयं ? २ जं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पन्ननाण-दंसणधरेहिं तीत पडुप्पन्न मणागतजाणएहिं सव्वन्नूहिं सव्वदरिसीहिं तेलोक्कचहिय-महियपूइएहिं अप्पडिहयवरनाण-दंसणधरेहिं पणीतं दुवालसंगं गणिपिडगं । तं जहा अयारो १ सूयगडो २ ठाणं ३ समवाओ ४ वियाहपण्णत्ती ५ नायधम्मकहाओ ६ उवासगदसाओ ७ अंतगडदसाओ ८ अणुत्तरोववाइयदसाओ ९ पण्हावागरणाई १० विवागसुयं ११ दिट्टिवाओ १२ य । से तं लोगोत्तरियं भावसुयं । से तं नोआगमतो भावसुयं । से तं भावसुयं । ५१. तस्स णं इमे एगट्टिया नाणाघोसा नाणावंजणा नामधेज्जा भवंति । तं जहा सुय सुत्तं गंथ सिद्धंत सासणे आव उवदेसे । पण्णवण आगमे या एगट्ठा पज्जवा सुत्ते ॥ ४॥ से तं सुयं । [सुत्ताई ५२-७२. खंधस्स निक्खेवो ] ५२. से किं तं खंधे ? २ चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहानामखंधे १ ठवणाखंधे २ दव्वखंधे ३ भावखंधे ४ । ५३. से किं तं नामखंधे ? २ जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जाव खंधे ति णामं कज्जति । से तं णामखंधे । ५४. से किं तं ठवणाखंधे ? २ जण्णं कट्ठकम्मे वा जाव खंधे इ ठवणा ठविज्जति । से तं ठवणाखंधे। ५५. णाम-ठवणाणं को पतिविसेसो ? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तिरिया वा होज्जा आवकहिया वा । ५६. से किं तं दव्वखंधे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आगमतो य १ नोआगमतो य २ । ५७. [१] से किं तं आगमओ दव्वखंधे ? २ जस्स णं खंधे इ पयं सिक्खियं ठियं जियं मियं जाव णेगमस्स एगे अणुवउत्ते आगमओ एगे दव्वखंधे, दो अणुवउत्ता आगमओ दो [ण्णि] दव्वखंधाई, तिणि अणुवत्ता आगमओ तिण्णि दव्वखंधाई, एवं जावइया अणुवउत्ता तावइयाइं ताइं दव्वखंधाई । [२] एवमेव ववहारस्स वि । [३] संगहस्स एगो वा अणेगा वा अणुवत्ता वा अणुवत्ता वा दव्वखंधे वा दव्वखंधाणि वा से एगे दव्वखंधे । [४] उज्जुसुयस्स एगो अणुवउत्तो आगमओ एगे दव्वखंधे, पुहत्तं णेच्छति। [५] ति सद्दणयाणं जाणए अणुवउत्ते अवत्थू । कम्हा ? जइ जाणए कहं अणुवउत्ते भवति ? । से तं आगमओ दव्वखंधे। ५८. से किं तं णोआगमतो दव्वखंधे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा जाणगसरीरदव्वखंधे १ भवियसरीरदव्वखंधे २ जाणगसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वखंधे ३ । ५९. से किं तं जाणगसरीरदव्वखंधे ? २ Koron श्री आगमगुणमंजूषा- १७०४ GOR Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई खंधे इ पयत्थाहिगार जाणगस्स जाव खंधे इ पयं आघवियं पण्णवियं परूवियं जाव से तं जाणगसरीरदव्वखंधे । ६०. से किं तं भवियसरीरदव्वखंधे ? २ जे जीवे जोणिजम्मणनिक्खते जाव खंधे इ पयं सेकाले सिक्खिस्सइ । जहा को दिहंतो ? अयं महुकुंमे भविस्सइ, अयं घयंकुंभे भविस्सति । से तं भवियसरीरदव्वखंधे । ६१. से किं तं जाणगसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वखंधे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा सचित्ते १ अचित्ते २ मीसए ३ । ६२. से किं तं सचित्तदव्वखंधे ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा - हयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे उसभखंधे। से तं सचित्त दव्वखंधे । ६३. से किं तं अचित्तदव्वखंधे ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा-दुपएसिए खंधे तिपएसिए खंधे जाव दसपएसिए खंधे संखेज्जपएसिए खंधे असंखेज्जपएसिए खंधे अणतपएसिए खंधे। से तं अचित्तदव्वखंधे । ६४. से किं तं मी सदव्वखंधे ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा सेणाए अग्गिमखंधे सेणाए मज्झिमखंधे सेणाए अच्छिमखंधे । से तं मीसदव्वखंधे । ६५. अहवा जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ते दव्वखंधे तिविहे पन्नत्ते । तं जहा-कसिणखंधे १ अकसिणखंधे २ अणेगदवियखंधे ३ । ६६. से किं तं कसिणखंधे ? २ से चेव हयक्खंधे गयक्खंधे जाव उसभखंधे । से तं कसिणखंधे । ६७ से किं तं अकसिणखंधे ? २ से चेव दुपएसियादी खंधे जाव अणंतपदेसिए खंधे। से तं अकसिणखंधे । ६८. से किं तं अगदवियखंधे ? २ तस्सेव देसे अवचिते तस्सेव देसे उवचिए । से तं अणेगदवियखंधे । से तं जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ते दव्वखंधे । से तं नोआगमतो दव्वखंधे । से तं दव्वखंधे । ६९. से किं तं भावखंधे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा- आगमतो य १ नोआगमतो य २ । ७०. से किं तं आगमतो भावखंधे ? २ जाए उवउत्ते । सेतं आगमतो भावखंधे । ७१. से किं तं नोआगमओ भावखंधे ? २ एएसिं चेव सामाइयमाइयाणं छण्हं अज्झयणाणं समुदयसमिइसमागमेणं निप्पन्ने आवस्सगसुयक्खंधे भावखंधे त्ति लब्भइ । से तं नोआगमतो भावखंधे। से तं भावखंधे । ७२ तस्स णं इमे एगट्टिया नाणाघोसा नाणावंजणा नामधेज्जा भवंति । तं जहा- गण काय निकाय खंध वग्गरासी पुंजे य पिंड नियरे य । संघाय आकुल समूह भावखंधस्स पज्जाया ॥ ५॥ से तं खंधे । [सुत्तं ७३. आवस्सगस्स अत्थाहिगारा] ७३. आवस्सगस्स णं इमे अत्थाहिगारा भवंति । तं जहा- सावज्जजोगविरती १ उक्कित्तण २ गुणवओ य पडिवत्ती ३ । खलियस्स निंदणा ४ वणतिगिच्छ ५ गुणधारणा ६ चेव ||६|| [सुत्तं ७४. आवस्सगस्स अज्झयणाई ] ७४. आवस्सगस्स एसो पिंडत्थो वण्णितो समासेणं । एत्तो एक्केक्कं पुण अज्झयणं कित्तइस्सामि ||७|| तं जहा- सामाइयं १ चउवीसत्थओ २ वंदणं ३ पडिक्कमणं ४ काउस्सग्गो ५ पच्चक्खाणं ६ । [सुत्तं ७५. अणुओगद्दारनामसमुक्कित्तणं] ७५. तत्थ पढमज्झयणं सामाइयं । तस्स णं इमे चत्तारि अणुओगद्दारा भवंति । तं जहा उवक्कमे १ णिक्खेवे २ अणुगमे ३ गए ४ । [ सुत्ताई ७६ ९९. उवक्कमाणुओगदारं ] ७६. से किं तं उवक्कमे ? उवक्कमे छव्विहे पण्णत्ते। तं जहा - नामोवक्कमे १ ठवणोवक्कमे २ दव्वोवक्कमे ३ खेत्तोवक्कमे ४ कालोवक्कमे ५ भावोवक्कमे ६ । ७७. नाम-ठवणाओ गयाओ। ७८. से किं तं दव्वोवक्कमे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आगमओ य १ नोआगमओ य २ जाव जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ते aalaक्कमे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा सचित्ते १ अचित्ते २ मीसए ३ । ७९. से किं तं सचित्तदव्वोवक्कमे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा- दुपयाणं १ चउप्पयाणं २ अपयाणं ३ । एक्वेक्वे दुविहे परिकम्मे य १ वत्थुविणासे य २ । ८०. से किं तं दुपए उवक्कमे ? २ दुपयाणं नडाणं नट्टाणं जल्लाणं मल्लाणं मुठियाणं वेलंबगाणं कहगाणं पवगाणं लासगाणं आइक्खगाणं लंखाणं मंखाणं तूणइल्लाणं तुंबवीणियाणं कायाणं मागहाणं। से तं दुपए उवक्कमे । ८१. से किं तं चउप्पए उवक्कमे ? २ चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं इच्चाइ । से तं चउप्पए उवक्कमे । ८२. से किं तं अपए वक्कमे ? २ अपयाणं अंमाणं अंबाडगाणं इच्चाइ । से तं अपए उवक्कमे । से तं सचित्तदव्वोवक्कमे । ८३. से किं तं अचित्तदव्वोवक्कमे ? २ खंडाईणं गुडादीणं मत्स्यंडीणं । से तं अचित्तदव्वोवक्कमे । ८४. से किं तं मीसए दव्वोवक्कमे ? २ से चेव थासग आयंसगाइमंडिते आसादी । से तं मीसए दव्वोवक्कमे से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वोवक्कमे । से तं नोआगमओ दव्वोवक्कमे । से तं दव्वोवक्कमे । ८५. से किं तं खेत्तोवक्कमे ? २ जण्णं हल-कुलियादीहिं खेत्ताइं उवक्कामिज्जति। से तं खेत्तोवक्कमे । ८६. से किं तं कालोवक्कमे ? २ जं णं नालियादीहिं कालस्सोवक्कमणं कीरति । से तं कालोवक्कमे । ॐॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमंजूषा १७०५ ¶¶¶¶ [8] Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 095555555555 (४५) अणुओगदाराई $$$$$$$$2 0 2C玩乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$5G ८७. से किं तं भावोक्कमे १२ दुविहे पण्णत्ते। तं जहा आगमतो य १ नोआगमतो य २। ८८. [से कि त] आगमओ भावोवक्कमे ? २ जाणए उवउत्ते। सेतं आगमओ फ भावोवक्कमे। ८९. [से किं तं ] नोआगमतो भावोवक्कमे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-पसत्थे य १ अपसत्थे य २।९०. [से किं तं] अपसत्थे भावोवक्कमे ? २ डोडिणि-गणिया-ऽमच्चाईणं । से तं अपसत्थे भावोवक्कमे। ९१. [ से किं तं] पसत्थे भावोवक्कमे ? २ गुरुमादीणं। [से तं पसत्थे भावोवक्कमे ]] से तं नोआगमतो भावोवक्कमे । से तं भावोवक्कमे। [सुत्ताई ९२-५३३. पयारंतरेण उवक्कमदारं] ९२. अहवा उवक्कमे छव्विहे पण्णत्ते । तं जहा-आणुपुव्वी १ नामं २ पभाणं ३ वत्तव्वया ४ अत्याहिगारे ५ समोयारे ६। [सुत्ताई ९३-२०७. उवक्कमाणुओगदारे आणुपुव्वीदारं] ९३. से किं तं आणुपुव्वी ? २ दसविहा पण्णत्ता । तं जहानामा-णुपुव्वी १ ठवणाणुपुव्वी २ दव्वाणुपुव्वी ३ खेत्ताणुपुव्वी ४ कालाणुपुव्वी ५ उक्तित्तणाणुपुव्वी ६ गणणाणुपुव्वी ७ संठाणाणुपुव्वी ८ सामायारियाणुपुव्वी ९ भावाणुपुव्वी १०।९४. से किं तंणामाणुपुव्वी ? नाम-ठवणाओ तहेव । ९५. दव्वाणुपुव्वी जाव से किं तं जाणगसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वाणुपुव्वी ? २ दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-उवणिहिया य १ अणोवणिहिया य २।९६. तत्थ णं जा सा उवणिहिया सा ठप्पा। ९७. तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पन्नत्ता । तं जहाणेगम-ववहाराण १ संगहस्सय २।९८.से किं तंणेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया दव्वाणुपुव्वी ? २ पंचविहा पण्णत्ता । तं जहा-अट्ठपयपरूवणया १ भंगसमुक्कित्तणया २ भंगोवदंसणया ३ समोयारे ४ अणुगमे ५।९९. से किं तं णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया ? २ तिपएसिए आणुपुव्वी, चउपएसिए आणुपुव्वी जाव दसपएसिए आणुपुव्वी, संखेज्जपदेसिए आणुपुव्वी, असंखेजपदेसिए आणुपुव्वी, अणंतपएसिए आणुपुव्वी । परमाणुपोग्गले अणाणुपुव्वी। दुपएसिए अवत्तव्वए । तिपएसिया आणुपुव्वीओ जाव अणंतपएसिया आणुपुव्वीओ। परमाणुपोग्गला अणाणुपुव्वीओ। दुपएसिया अवत्तव्वगाई। से तं णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया। १००. एयाए णं णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं ? एयाए णं णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए भंगसमुक्कित्तणया कीरइ । १०१. से किं तं णेगमववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया ? २ अत्थि आणुपुव्वी १ अत्थि अणाणुपुव्वी २ अत्थि अवत्तव्वए ३ अत्थि आणुपुव्वीओ ४ अत्थि अणाणुपुव्वीओ ५ अस्थि अवत्तव्वयाई ६ । अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य १ अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य २ अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य ३ अहवा अस्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य ट्क, अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च २ अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ट्क, ट्क इति चतु:संख्याद्योतकोऽक्षराङ्को शेय: । अहवा अत्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा अत्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च २ अहवा अत्थि अणाणुपुवाओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा अत्थि आणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाई च ट्क । अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च २ अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ट्क अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ५ अहवा अस्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च ६ अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ७ अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ८, एए अट्ठभंगा । एवं सव्वे वि छव्वीसं भंगा २६ । से तं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्त्तिणया। १०२. एयाए णं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्वित्तणयाए किंपओयणं ? एयाए णं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए भंगोवदंसणया कीरइ। १०३. से किं तं णेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया ? २ तिपदेसिए आणुपुव्वी १ परमाणुपोग्गले अणाणुपुव्वी २ दुपदेसिए अवत्तव्वए ३ तिपदेसिया आणुपुव्वीओ ४ परमाणुपोग्गला अणाणुपुव्वीओ ५ दुपदेसिया अवत्तव्वयाइं ६ । अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गले य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य १ अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य २ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गले य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य ३ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य ४, अहवा तिपदेसिए य दुपदेसिएक veres55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१७०६ $$$$$$$$$$$$545555FOROR Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 59555555555555555555555555555555555555555555555555OTOS 20055555555555555明 (४५) अणुओगदाराई ६) _h5hhhhhhhhhhhhh 2.0% य आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा तिपदेसिए य दुपदेसिया य आणुपुव्वी य अवत्तव्वयाई च २ अहवा तिपदेसिया य दुपदेसिए य आणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा तिपदेसिया य दुपदेसिया य आणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइंच ४, अहवा परमाणुपोग्गले य दुपदेसिए य अणाणुपुत्वीय अवत्तव्वए य १ अहवा परमाणुपोग्गले य दुपदेसिया य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च २ अहवा परमाणुपोग्गला य दुपदेसिए य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा परमाणुपोग्गला य दुपदेसिया य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ४ । अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिए य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य १ अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिया य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च २ अहवा तिपदेसिए य परमाणुपोग्गला य दुपदेसिए य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य ३ अहवा तिपएसिए य परमाणुपोग्गला य दुपदेसिया य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीतो य अक्त्तव्वयाइं च ट्क अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिए य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ५ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गले य दुपदेसिया य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाई च ६ अहवा तिपदेसिया य परमाणुपोग्गला य दुपदेसिए य आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च ८ । से तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया। १०४. [१] से किं तं समोयारे? २णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कहिं समोयरंति? किं आणुपुव्वीदव्वेहिंसमोयरंति ? अणाणुपुत्वीदव्वेहि समोयरंति ? अवत्तव्वयदव्वेहि समोयरंति ? नेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं आणुपुत्वीदव्वेहिं समोयरंति, णो अणाणुपुव्वीदव्वेहि समोयरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति। [२] णेगमववहाराणं अणाणुपुग्विदव्वाइं कहिं समोयरंति ? किं आणुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति ? अणाणुपुव्विदव्वेहि समोयरंति ? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति ? २ णो आणुपुश्विदव्वेहि समोयरंति, अणाणुपुश्विदव्वेहिं समोयरंति, णो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति। [३] णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाई कहिं समोयरंति ? किं आणुपुब्विदव्वेहिं समोयरंति? अणाणुपुब्विदव्वेहिं समोयरंति ? अवत्तव्वयदव्वेहिंसमोयरंति? २ नो आणुपुव्वीदव्वेहि समोयरंति, णो अणाणुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति। सेतं समोयारे। १०५. से किं तं अणुगमे ? २ णवविहे पण्णत्ते। तं जहा-संतपयपरूवयणा १ दव्वपमाणं च २ खेत्त ३ फुसणा य ४ । कालो य ५ अंतरं ६ भाग ७ भाव ८ अप्पाबहुँ ९ चेव ।।८।१०६. [१] नेगम ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं किं अस्थि णत्थि ? णियमा अत्थि। [२] नेगम-ववहाराणं अणाणुपुत्वीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि ? णियमा अत्थि। [३] नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाइं किं अत्थि णत्थि ? नियमा अस्थि । १०७. [१] नेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाई किं संखेज्जाइं असंखेज्जाइं अणंताई ? नो संखेज्जाइं नो असंखेज्जाई अणंताई। [२] एवं दोण्णि वि। १०८. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं है लोग्गस्स कतिभागे होज्जा ? किं संखेज्जइभागे होज्जा ? असंखेज्जइभागे होज्जा ? संखेनेसु भागेसु होज्जा ? असंखेज्जेस्सु भागेसु होज्जा ? सव्वलोए होज्जा ? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागे वा होज्जा असंखेज्जइभागे वा होज्जा संखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा असंखेज्जेसु भागेसुवा होज्जा सव्वलोए वा होज्जा, नाणादव्वाई पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। २] नेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाइं किं लोगस्स संखेज्जइभागे होज्जा ? असंखेज्जइभागे होज्जा ? संखेनेसु भागेसु होज्जा ? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोएवा होज्जा ? एगदव्वं पडुच्च नो संखेज्जझ्भागे होज्जा असंखेज्जइभागे होज्जा नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा नो सव्वलोए होज्जा, णाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। [३] एवं अवत्तव्वगढ़व्वाणि वि । १०९. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाइं लोगस्स किं संखेज्जइभागं फुसंति ? असंखेज्जइभागं फुसंति ? संखेजे भागे फुसंति ? असंखेज्जे भागे फुसंति ? नो सव्वलोगं फुसंति ? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेजइभागं वा फुसंति असंखेज्जइभार्ग वा फुसंति संखेज्ने वा भागे फुसंति असंखेज्जे वा भागे फुसंति सव्वलोगं वा फुसंति, णाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोगं फुसंति। [२] णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्विदव्वाणं पुच्छा, एगं दव्वं पडुच्च नो संखेज्जइभागं फुसंति असंखेज्जइभागं फुसंति नो संखेज्ज भागे फुसंति नो असंखेजे भागे फुसंति नो सव्वलोगं फुसंति, नाणादव्वाई पडुच्च नियमा सव्वलोगं फुसंति। [३] एवं अवत्तव्वगदव्वाणि वि भाणियव्वाणि । ११०. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुब्विदव्वाइं कालओ केवचिरं होति ? एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सव्वद्धा। [२] एवं दोन्नि वि। 步步步五步步步为$$$$$$$$$$$5到19757-29555555555555555555555555 GO$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听ON Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई [७] ११. [१] गम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाणमंतरं कालतो केवचिरं होति ? एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं अणतं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं । [२] णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्विदव्वाणं अंतरं कालतो केवचिरं होइ ? एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं, नाणादव्वाईं पडुच्च णत्थि अंतरं । [३] णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाणं अंतरं कालतो केवचिरं होति ? एगं दव्वं पडुच्च जहणणेणं एवं समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं । ११२. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाई सेसदव्वाणं कइभागे होज्जा ? किं संखेज्जइभागे होज्जा ? असंखेज्जइभागे होज्जा ? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? नो संखेज्जइभागे होज्जा नो असंखेज्जइभागे होज्जा नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा नियमा असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा । [२] - ववहाराणं णाणुपुव्वीदव्वाइं सेसदव्वाणं कइभागे होज्जा ? किं संखेज्जइभागे होज्जा ? असंखेज्जइभागे होज्जा ? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? असंखेज्नेसु भागेसु होज्जा ? नो संखेज्जइभागे होज्जा असंखेज्जइभागे होज्जा नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा । [३] एवं अवत्तव्वगदव्वाणि वि । ११३. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कयरम्मि भावे होज्जा ? किं उदइए भावे होज्जा ? उवसमिए भावे होज्जा ? खाइए भावे होज्जा ? खाओवसमिए भावे होज्जा ? पारिणामिए भावे होज्जा ? सन्निवाइए भावे होज्जा ? णियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा । [२] अणाणुपुव्विदव्वाणि अवत्तव्वयदव्वाणि य एवं चेव भाणियव्वाणि । ११४. [१] एएसि णं भंते ! णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाणं अणाणुपुव्वीदव्वाणं अवत्तव्वयदव्वाण य दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठ-पएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोतमा ! सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं दव्वट्टयाए, अणाणुपुब्बीदव्वाइं दव्वट्टयाए विसेसाहियाई, आणुपुव्वीदव्वाइं दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणाई । [२] पएसट्टयाए णेगम-ववहाराणं सव्वत्थोवाइं अणाणुपुव्वीदव्वाइं अपएसट्टयाए, अवत्तव्वयदव्वाइं पएसझ्याए विसेसाहियाइं, आणुपुव्वीदव्वाइं पएसट्टयाए अणंतगुणाइं । [३] दव्वट्ठ-पएसट्टयाए सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाइं दव्वट्टयाए, अणाणुपुव्वीदव्वाइं दव्वट्टयाए अपएसट्टयाए विसेसाहियाई, अवत्तव्वगदव्वाइं पएसट्टयाए विसेसाहियाई, आणुपुव्वीदव्वाइं दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणाई, ताइं चेव पएसट्टयाए अणंतगुणाईं । से तं अणुगमे । से तं णेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया दव्वाणुपुव्वी । ११५. से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया दव्वाणुपुव्वी ? २ पंचविहा पण्णत्ता । तं जहा- अट्ठपयपरूवणया १ भंगसमुक्कित्तणया २ भंगोवदंसणया ३ समोयारे ४ अणुगमे ५ । ११६. से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ? २ तिपएसिया अणुपुवी उप्पएसिया आणुपुव्वी जाव दसपएसिया आणुपुब्वी संखिज्जपएसिया आणुपुव्वी असंखिज्जपएसिया आणुपुव्वी अणतपदेसिया आणुपुव्वी, परमाणुपोग्गला अणाणुपुब्वी, दुपदेसिया अवत्तव्वए । से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया । ११७. एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं ? एयाए संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया कीरइ । ११८. से किं तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया ? २ अत्थि आणुपुव्वी १ अत्थि अणाणुपुव्वी २ अत्थि अवत्तव्वए ३, अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य ४ अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ५ अहवा अत्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वय ६, अहवा अस्थि आणुपुवीय अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ७ । एवं एए सत्त भंगा से तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया । ११९. एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं ? एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कज्जति । १२०. से किं तं संगहस्स भंगोवदंसणया ? २ तिपएसिया आणुपुव्वी १ परमाणुपोग्गला अणाणुपुव्वी २ दुपएसिया अवत्तव्वए ३, अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य ४ अहवा तिपएसिया य दुपएसिया य आणुपुवीय अवत्तव्वए य ५ अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ६, अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य आणुपुवीय अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य ७ । से तं संगहस्स भंगोवंदसणया । १२१. से किं तं समोयारे ? २ संगहस्स आणुपुव्विदव्वाइं कहिं समोयरंति ? किं आणुपुव्वदव्वेहिं समोयरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति ? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति ? संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति, नो अणाणुपुव्वी दव्वेहिं समोयरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति । एवं दोण्णि वि सट्ठाणे सट्टाणे समोयरंति । से तं समोयारे । १२२. से किं तं अणुगमे ? २ अट्ठविहे HONOR श्री आगमगुणमंजूषा - १७०८ फ्र फ्र Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ £££££££££££££* [4] 五五五五五五五五五五 (४५) अणुओगदाराइ पन्नत्ते । तं जहा- संतपयपरूवणया १ दव्वपमाणं २ च खेत्त ३ फुसणा ४ य । कालो ५ य अंतरं ६ भारा ७ भाव ८ अप्पाबहुं नत्थि || ९ || १२३. संगहस्स आणुपुब्वीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि ? नियमा अत्थि । एवं दोण्णि वि । १२४. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं किं संखेज्जाई असंखेज्जाई अणंताई ? नो संखेज्जाई नो असंखेज्जाई नो अणंताई, नियमा एगो रासी । एवं दोणि वि । १२५. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई लोगस्स कतिभागे होज्जा ? किं संखेज्जतिभागे होज्जा ? असंखेज्जतिभागे होज्जा ? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? सव्वलोए होज्जा ? नो संखेज्जतिभागे होज्जा नो असंखेज्जतिभागे होज्जा नो संखेज्जेसु भागेस होना नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नियमा सव्वलोए होज्जा । एवं दोण्णि वि । १२६. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं लोगस्स किं संखेज्जतिभागं फुसंति ? असंखेज्जतिभागं फुसंति ? संखेज्जे भागे फुसंति ? असंखेज्जे भागे फुसंति ? सव्वलोगं फुसंति ? नो संखेज्जतिभागं फुसंति नो असंखेज्जतिभागं संति नो संखेज्जे भागे फुसंति नो असंखेज्जे भागे फुसंति, नियमा सव्वलोगं फुसंति । एवं दोन्नि वि । १२७. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं कालओ केवचिरं होति ? सव्वद्धा । एवं दोण्णि वि। १२८. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाणं कालतो केवचिरं अंतरं होति ? नत्थि अंतरं । एवं दोण्णि वि । १२९. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं सेसदव्वाणं कतिभागे होज्जा ? किं संखेज्जतिभागे होज्जा ? असंखेज्जतिभागे होज्जा ? संखेज्जेसुभागेसु होज्जा ? असंखेज्जेसु भागेसुहोज्जा ? नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा नो असंखेज्जेसुभागे होज्जा णो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा णो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नियमा तिभागे होज्जा । एवं दोणि वि । १३०. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं करम्मि भावे होज्जा ? नियमा सादिपारिणामिए भावे होज्जा । एवं दोण्णि वि । अप्पाबहुं नत्थि । से तं अणुगमे । से तं संगहस्स अणोवणिहिया दव्वाणुपुव्वी । से तं अणोवणिहिया दव्वाणुपुवी । १३१. से किं तं ओवणिहिया दव्वाणुपुव्वी ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुब्वी अणाणुपुव्वी ३ य । १३२. से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ धम्मत्थिकाए १ अधम्मत्थिकाए २ आगासत्थिकाए ३ जीवत्थिकाए ४ पोग्गलत्थिकाए ५ अद्धासमए ६ । से तं पुव्वाणुपुव्वी । १३३. से किं तं पच्छाणुपुवी ? २ अद्धासमए ६ पोग्गलत्थिकाए ५ जीवत्थिकाए ४ आगासत्थिकाए ३ अधम्मत्थिकाए २ धम्मत्थिकाए १ । से तं पच्छाणुपुव्वी । १३४. से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । १३५. अहवा ओवणिहिया दव्वाणुपुव्वी तिविहा पन्नता । तं जहा पुव्वाणुपुव्वी २ पच्छाणुपुवी अणाणुपुव्वी ३ । १३६. से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ परमाणुपोग्गले दुपएसिए तिपएसिए जाव दसपएसिए जाव संखिज्जपएसिए असंखेज्जपएसिए अनंतपएसिए। से तं पुव्वाणुपुव्वी । १३७. से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ अणतपएसिए असंखिज्जपएसिए संखिज्जपएसिए जाव दसपएसिए जाव तिपएसिए दुपएसिए परमाणुपोग्गले । से तं पच्छाणुपुव्वी । १३८. से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगाइयाए एगुतरियाए अणंतगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नन्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । से तं ओवणिहिया दव्वाणुपुव्वी । से तं जाणगव्वइरित्ता दव्वाणुपुब्वी । से तं नोआगमओ दव्वाणुपुव्वी। से तं दव्वाणुपुव्वी । १३९. से किं तं खेत्ताणुपुवी ? २ दुविहा पण्णत्ता । तं जहा ओवणिहिया य अणोवणिहिया य । १४०. तत्थ णं जा सा ओवणहिया सा ठप्पा । १४१. तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पन्नत्ता । तं जहा णेगम ववहाराणं १ संगहस्स य २ । १४२. से किं तं गम-ववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी ? २ पंचविहा पण्णत्ता । तं जहा अट्ठपयपरूवणया १ भंगसमुक्कित्तणया २ भंगोवदंसणया ३ समोयारे ४ अणुगमे ५ । १४३. से किं महाराणं पयपरूवणया ? २ तिपएसोगाढे आणुपुव्वी जाव दसपएसोगाढे आणुपुव्वी जाव संखिज्नपएसोगाढे आणुपुव्वी असंखेज्जपएसोगाढे आणुपुव्वी, एगपएसोगाढे अणाणुपुव्वी, दुपएसोगाढे अवत्तव्वए, तिपएसोगाढा आणुपुव्वीओ जाव दसपएसोगाढा आणुपुव्वीओ जाव संखेज्जपएसोगाढा आणुपुव्वीओ, अससंखेज्जापएसोगाढा आणुपुव्वीओ एगपएसोगाढा अणाणुव्वीओ, दुपएसोगाढा अवत्तव्वगाई। से तं णेगम ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया । १४४. एयाए णं गम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं ? एयाए णं णेगम ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया कीरति । १४५. से किं तं णेगम-ववहाराणं भंगसमुकित्तणया ? २ अत्थि आणुपुव्वी १ अत्थि अणाणुपुव्वी २ अत्थि अवत्तव्वए ३ । एवं दव्वाणुपुव्विगमेणं खेत्ताणुपुवीए वि ते चेव छव्वीसं ॐ श्री आगमगुणमजूषा - १७०९ SOON Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ForF5$ 555 (५) अणुओगदाराई 55555555555555550xOR 555OOK 听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F63D भंगा भाणियव्वा, जाव से तं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया। १४६. एयाए णं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तयणा किं पओयणं ? एयाए णं णेगम-ववहाराणं म भंगसमुक्कित्तणयाए णेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणा कज्जति।१४७. से किं तंणेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया ?२ तिपएसोगाढे आणुपुव्वी एगपएसोगाढे अणाणुपुव्वी दुपएसोगाढं अवत्तव्वयाई, अहवा तिपएसोगाढे य एगपएसोगाढे य आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य, एवं तहा चेव दव्वाणुपुब्विगमेणं छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव से तं णेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया। १४८. [१] से किं तं समोयारे? २ णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाई कहिं समोयरंति ? किं आणुपुव्वीदव्वेहि समोयरंति ? अणाणुपुव्वीदव्वेहिंसमोयरंति ? अवत्तव्वयदव्वेहिंसमोयरंति ? आणुपुव्वीदव्वाइं आणुपुव्वीदव्वेहिंसमोयरंति, नो अणाणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति नो अवत्तव्वयदव्वेहि समोयरंति। २ एवं तिण्णि वि सट्ठाणे समोयरंति त्ति भाणियव्वं । से तं समोयारे। १४९. से किं तं अणुगमे ? २ णवविहे पण्णत्ते। तं जहा- संतपयपरूवणया १५ दव्वपमाणं २ च खेत्त ३ फुसणा ४ य। कालो ५य अंतरं ६ भाग ७ भाव ८ अप्पाबहुं ९ चेव ॥१०॥१५०. से किं तं संतपयपरूवणया ? णेगम-ववहाराणं खेत्ताणुपुव्वीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि ? णियमा अस्थि । एवं दोण्णि वि । १५१. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं किं संखेज्जाइं असंखेज्जाई अणंताई ? नो संखेज्जाइं नो अणंताई, नियमा असंखेज्नाई । एवं दोण्णि वि । १५२. [१] णेगम-ववहाराणं खेत्ताणुपुव्वीदव्वाइं लोगस्स कतिभागे होज्जा ? किं संखिज्जइभागे वा होज्जा ? असंखेज्जइभागे वा होज्जा ? जाव सव्वलोए वा होज्जा ? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागे वा होज्जा असंखेज्जइभागे वा होज्जा संखेज्जेसु वा भागेसु होज्जा असंखेज्जेसुवा भागेसु होज्जा देसूणे वा लोए होज्जा, णाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सव्वलोए होज्जा। [२] अणाणुपुत्वीदव्वाणं पुच्छा, एगंदव्वं पडुच्च नो संखिजतिभागे होज्जा असंखिज्जतिभागे होज्जा नो संखेज्जेसु० नो असंखेजेसु० नो सव्वलोए होज्जा, नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। [३] एवं अवत्तव्वगदव्वाणि वि भाणियव्वाणि । १५३. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं लोगस्स किं संखेज्जइभागं फुसंति? असंखेज्जति० ? जाव सव्वलोगं फुसंति ? एणं दव्वं पडुच्च संखेज्जतिभागं वा फुसंति असंखेज्जतिभागं वा संखेज्जे वा भागे असंखेज्जे वा भागे देसूणं वा लोगं फुसंति, णाणादव्वाइं पडुच्च णियमा सव्वलोगं फुसंति। [२] अणाणुपुव्वीदव्वाइं अवत्तव्वयदव्वाणि य जहा खेत्तं, नवरं फुसणा भाणियव्वा । १५४. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कालतो केवचिरं होति ? एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्नं कालं, णाणादव्वाइं पडुच्च सव्वद्धा । एवं दोण्णि वि । १५५. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाणमंतरं कालतो केवचिरं होति ? तिण्णि वि एणं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्नं कालं, णाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं। १५६. णेगम-ववहाराणं आणुपुत्वीदव्वाइं सेसदव्वाणं कतिभागे होज्जा ? तिण्णि वि जहा दव्वाणुपुव्वीए। १५७. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाइं कयरम्मि भावे होज्जा ? तिन्नि वि णियमा सादिपारिणामिए भावे होज्जा। १५८. [१] एएसि णं भंते ! णेगम-ववहाराणं आणुपुव्वीदव्वाणं अणाणुपुव्वीदव्वाणं अवत्तव्वयदव्वाण य दव्वट्ठयाए पएसठ्ठयाए दव्वट्ठ-पएसठ्ठयाए य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं दव्वट्ठयाए, अणाणुपुव्वीदव्वाइं दव्वट्ठयाए विसेसाहियाइं, आणुपुव्वीदव्वाई दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणाई। [२] पएसठ्ठयाए सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्वीदव्वाइं अपएसट्ठयाए, अवत्तव्वयदव्वाइं पएसट्ठयाए विसेसाहियाई, आणुपुग्विदव्वाइं पएसट्टयाए असंखेजगुणाई। [३] दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए सव्वत्थोवाइं णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं दव्वठ्ठयाए, अणाणुपुब्विदव्वाइं दव्वट्ठयाए अपएसट्ठयाए विसेसाहियाई, अवत्तव्वयदव्वाइं पएसठ्ठयाए विसेसाहियाई, आणुपुव्विदव्वाई दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणाई, ताई चेव पएसट्ठयाए असंखेनगुणाई। सेतं अणुगमे । से तं णेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुन्वी । १५९. से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी ? जहेव दव्वाणुपुव्वी तहेव खेत्ताणुपुव्वी णेयव्वा । सेतं संगहस्स अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी। सेतं अणोवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी। १६०. से किं तं ओवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी ? म २ तिविहा पण्णत्ता ? तं जहा-पुव्वाणुपुवी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । १६१. से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ अहोलोए १ तिरियलोए २ उड्डलोए ३ । से तं ॥ पुव्वाणुपुव्वी। १६२. से किं तं पच्छाणुपुव्वी? २ उड्डलोए ३ तिरियलोए २ अहोलोए १ । सेतं पच्छाणुपुवी। १६३. से किं तं अणाणुपुव्वी?२ एयाए चेव एगादियाएर EXOK5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १७१०555555555555555555555555FOOK MONOFFFFFFFFFFFFFFF55555555555555555555555555円玉よFFFF5 wwjaneindiary.org Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CORO (GRO [१०] (४५) अणुओगदाराई गुत्तरिया तिगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । १६४. अहोलोयखेत्ताणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता । तं जहा पुव्वाणुपुब्वी १ पच्छाणुपुब्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । १६५. से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ रयणप्पभा १ सक्करप्पभा २ वालुयप्पभा ३ पंकप्पभा ४ धूमप्पभा ५ तमप्पभा ६ तमतमप्पभा ७ । से तं पुव्वाणुपुवी । १६६. से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ तमातमा ७ जाव रयणप्पभा १ । से तं पच्छाणुपुव्वी । १६७. से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए सत्तगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । १६८. तिरियलोयखेत्ताणुपुब्वी तिविहा पण्णत्ता । तं जहा - पुव्वाणु - पुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । १६९. से किं तं पुव्वाणुपुव्वी १ २ जंबुद्दीवे लवणे धायइ कालोय-पुक्खरे वरुणे । खीर- घय खोय-नंदी- अरुणवरे कुंडले रुयगे ॥ ११ ॥ जंबुद्दीवाओ खलु निरंतरा, सेसया असंखइमा । भुयगवर कुसवरा वि य कोंचवराऽऽभरणमाइया ||१२|| आभरण-वत्थ- गंधे उप्पल-तिलये य पउमनिहि-रयणे । वासहर-दह णदीओ विजया वक्खार - कप्पिंदा ॥ १३॥ कुरु-मंदर - आवासा कूडा नक्खत्त चंद सूरा य। देवे नागे जक्खे भूये य सयंभुरमणे य ॥ १४ ॥ से तं पुव्वाणुपुव्वी । १७०. से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ सयंभुरमणे य भूए य जाव जंबुद्दीवे । से तं पच्छाणुपुव्वी । १७१. से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए व एगादिया एगुत्तरियाए असंखेज्जगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । १७२. उड्डोलोगखेत्ताणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता । तं जहापुव्वाणुपुवी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । १७३. से किं तं पुव्वाणुपुवी ? २ सोहम्मे १ ईसाणे २ सणकुमारे ३ माहिंदे ४ बंभलोए ५ लंतए ६ महासुक्के ७ सहस्सारे ८ आणते ९ पाणते १० आरणे ११ अच्चुते १२ गेवेज्जविमाणा १३ अणुत्तरविमाणा १४ ईसिपब्भारा १५ । से तं पुव्वाणुपुव्वी । १७४. से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ ईसिपब्भारा १५ जाव सोहम्मे १ । सेतं पच्छाणुपुव्वी । १७५. से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादिगाए एगुत्तरियाए पण्णरसगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । १७६. अहवा ओवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी तिविहा पण्णत्ता । तं जहा- पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणावी ३ । १७७. से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ एगपएसोगाढे दुपएसोगाढे जाव दसपएसोगाढे जाव असंखेज्जपएसोगाढे । से तं पुव्वाणुपुव्वी । १७८. से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ असंखेज्जपएसोगाढे जाव एगपएसोगाढे । से तं पच्छाणुपुव्वी । १७९. से किं तं अणाणुपुब्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए असंखेज्जगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । से तं ओवणिहिया खेत्ताणुपुव्वी । से तं खेत्ताणुपुव्वी । १८०. से किं तं कालाणुपुवी ? २ दुवा पण्णत्ता । तं जहा- ओवणिहिया य १ अणोवणिहिया य २ । १८१. तत्थ णं जा सा ओवणिहिया सा ठप्पा । १८२. तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया सा दुविहा पण्णत्ता । तं जहा णेगम ववहाराणं १ संगहस्स य २ । १८३. से किं तं पणेगम ववहारणं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी ? २ पंचविहा पण्णत्ता । तं जहाअट्ठपयपरूवणया १ भंगसमुक्कित्तणया २ भंगोवदंसणया ३ समोतारे ४ अणुगमे ५ । १८४. से किं तं णेगम ववहाराणं अट्ठपदपरूवणया ? २ तिसमयईिए XX पुवी जाव दससमयडिईए आणुपुव्वी संखेज्जसमयट्ठिईए आणुपुव्वी असंखेज्जसमयद्वितीए आणुपुव्वी एगसमयद्वितीए अणाणुपुव्वी दुसमयट्ठिईए अवत्तव्वए, तिसमयद्वितीयाओ आणपुव्वीओ जाव संखेज्जसमयद्वितीयाओ आणुपुवीओ असंखेज्जसमयद्वितीयाओ आणुपुव्वीओ एगसमयद्वितीयाओं अणाणुपुव्वीओ दुसमयईियाई अवत्तव्वयाई । से तं णेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया । १८५. एयाए णं णेगम ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए जाव भंगसमुक्कित्तणया कज्जति । १८६. से किं तं गम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया ? २ अत्थि आणुपुव्वी अत्थि अणाणुपुव्वी अत्थि अवत्तव्वए, एवं दव्वाणुपुव्विगमेणं कालाणुपुव्वीए वि ते चेव छव्वीस भंगा भाणियव्वा जाव से तं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया । १८७. एयाए णं णेगम ववहाराणं जाव किं पओयण ? एयाए णं णेगम० जाव भंगोवदंसणया जति । १८८. से किं तं णेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया १२ तिसमयद्वितीए आणुपुव्वी एगसमयद्वितीए अणाणुपुब्वी दुसमयद्वितीए अवत्तव्वए, तिसमयद्वितीयाओ वीओ एगसमयद्वितीयाओ अणाणुपुवीओ दुसमयद्वितीयाई अवत्तव्वयाई । एवं दव्वाणुगमेणं ते चेव छव्वीस भंगा भाणियव्वा, जाव से तं णेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया । १८९. से किं तं समोयारे ? २ णेगम ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाई कहिं समोयरंति ? जाव तिण्णि वि सट्ठाणे २ समोयरंति त्ति भाणियव्व । से तं श्री आगमगुणमंजूषा - १७११2OK Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई [११] 55555555555 ROR9555555555555555555555555555555555555555555555theory समोयारे। १९०. से किं तं अणुगमे ? २णवविहे पण्णत्ते। तं जहा- संतपयपरूवणया १ जाव अप्पाबडं चेव ९॥१५॥ १९१. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि णत्थि ? नियमा तिण्णि वि अत्थि। १९२.णेगम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाइं किं संखेज्जाइं असंखेज्जाइं अणंताई ? तिण्णि वि नो संखेज्जाइं असंखेज्जाइंनोई अणंताई। १९३. णेगम ववहाराणं आणुपुब्विदव्वाइं लोगस्स किं संखेज्जइभागे होजा?० पुच्छा, एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेजतिभागे वा होज्जा जाव असंखेज्जेसु वा भागेसु होज्जा देसूणे वा लोए होज्जा, नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा । एवं अणाणुपुव्वि-अवत्तव्वयदव्वाणि भाणियव्वाणि जहा णेगम-ववहाराणं खेत्ताणुपुव्वीए। १९४. एवं फुसणा कालाणुपुव्वीए वि तहा चेव भाणितव्वा । १९५. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाई कालतो केवचिरं होति ? एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं तिण्णि समया उक्कोसेणं असंखेनं कालं, नाणादव्वाइं पडुच्च सव्वद्धा। [२] णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्विदव्वाइं कालओ केवचिरं होति ? एगदव्वं पडुच्च अजहण्णमणुक्कोसेणं एक्कं समयं, नाणादव्वाइं पडुच्च सव्वद्धा। [३] णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं कालतो केवचिरं होति ? एगं दव्वं पडुच्च अजहण्णमणुक्कोसेणं दो समया, नाणादव्वाई पडुच्च सव्वद्धा । १९६. [१] णेगम-ववहाराणं आणुपुग्विदव्वाणमंतरं कालतो केवचिरं होति ? एगदव्वं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं दो समया, नाणादव्वाई पडुच्च नत्थि अंतरं। [२] णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्विदव्वाणं अंतरं कालतो केवचिरं होति? एगदव्वं पडुच्च जहण्णेणं दो समया उक्कोसेणं असंखेज्नं कालं, णाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं। [३] णेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाणं पुच्छा, एगदव्वं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेनं कालं, णाणादव्वाइं पडुच्च णत्थि अंतरं । १९७. णेगम-ववहाराणं आणुपुग्विदव्वाई सेसदव्वाणं कइभागे होज्जा ? पुच्छा, जहेव खेत्ताणुपुव्वीए । १९८. भावो वि तहेव । अप्पाबहुं पि तहेव नेयव्वं जाव से तं अणुगमे । से तं णेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी । १९९. से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुवी ? २ पंचविहा पण्णत्ता । तं जहा-अट्ठपयपरूवणया १ भंगसमुक्कित्तणया २ भंगोवदंसणया ३ समोतारे ४ अणुगमे ५। २००. से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया ? २ एयाई पंच वि दाराइं जहा खेत्ताणुपुव्वीए संगहस्स तहा कालाणुपुव्वीए वि भाणियव्वाणि, णवरं ठितीअभिलावो जाव से तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी । से तं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी । २०१. [१] से किं तं ओवणिहिया कालाणुपुव्वी ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहापुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । [२] से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ एगसमयठितीए दुसमयठितीए तिसमयठितीए जाव दससमयठितीए जाव संखेजसमयठितीए असंखेज्जसमयठितीए। सेतं पुव्वाणुपुव्वी। [३] से किंतं पच्छाणुपुव्वी ? २ असंखेजसमयठितीए जाव एक्कसमयठितीए। से तं पच्छाणुपुव्वी। [४] से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए असंखेज्जगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुवी । २०२. [१] अहवा ओवणिहिया कालाणुपुत्वी तिविहा पण्णत्ता। तं जहा-पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । [२] से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ समए आवलिया आणापाणू थोवेलवेमुहुत्ते दिवसे अहोरत्ते पक्खे मासे उदू अयणे संवच्छरे जुगे वाससते वाससहस्से वाससतसहस्से पुव्वंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुयंगे ह्हुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे अउयंगे अउए नउयंगे नउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी उस्सप्पिणी पोग्गलपरियट्टे तीतद्धा अणागतद्धा सव्वद्धा । से तं पुव्वाणुपुव्वी। [३] से किं तं पच्छाणुपुवी ? २ सव्वद्धा अणागतद्धा जाव समए। से तं पच्छाणुषुव्वी। [४] से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए अणंतगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो के दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । से तं ओवणिहिया कालाणुपुव्वी । से तं कालाणुपुव्वी । २०३. [१] से किं तं उक्कित्तणाणुपुव्वी ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहापुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । [२] से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ उसमे १ अजिए २ संभवे ३ अभिणंदणे ४ सुमती ५पउमप्पभे ६ सुपासे७ चंदप्पहे ८ सुविही९ सीतले १० सेज्जंसे ११ वासुपुज्जे १२ विमले १३ अणंतती १४ धम्मे १५ संती १६ कुंथू १७ अरे १८ मल्ली १९ मुणिसुव्वए २०२१ अरिट्ठणेमी २२ 2 पासे २३ वद्धमाणे २४ । से तं पुव्वाणुपुव्वी । [३] से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ वद्धमाणे २४ पासे २३ जाव उसभे १ । से तं पच्छाणुपुव्वी। [४] से किं तंत्र Toros55555 श्री आगमगुणमजूषा - १७१२॥ 5 55555555555 56700 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明覺 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G9%85%%%%% ऊण मानवारा CS听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听55 अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगत्तरियाए चउवीसगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो। सेतं अणाणुपुव्वी। से तं उक्तित्तणाणुपुव्वी। २०४.। [१] से किं तं गणपुमणुपुव्वी ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ [२] से किं तं पुव्वाणुपुब्वी ? २ एक्को दस सयं सहस्सं दससहस्साइं सयसहस्सं दससयसहस्साई कोढी दस कोडीओ कोडीसयं दसकोडिसयाई। से तं पुव्वाणुपुव्वी । [३] से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ दसकोडिसयाई जाव एक्को। से तं पच्छाणुपुवी। [४] से किं तं अणाणुपुवी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए दसकोडियसयगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी। से तं गणाणाणुपुव्वी। २०५. [१] से किं तं संठाणाणुपुव्वी ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३। [२] से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ समचउरंसे १ णग्गोहमंडले २ सादी ३ खुजे ४ वामणे ५ हुंडे ६ । से तं पुव्वाणुपुवी। [३] से किं तं पच्छाणुपुव्वी ? २ हुंडे ६ जाव समचउरंसे १ । से तं पच्छाणुपुव्वी। [४] से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी। से तं संठाणाणुपुव्वी। २०६. [१] से किं तं सामायाराणुपुव्वी ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा पुव्वाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । [२] से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? इच्छा १ मिच्छा २ तहक्कारो ३ आवसिया ४ य निसीहिया ५। आपुच्छणा ६ य पडिपुच्छा ७ छंदणा ८ य निमंतणा ९ । उपसंपया य काले १० सामायारी भवे दसविहा उ।।१६।। से तं पुव्वाणुपुव्वी। [३] से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ उवसंपया १० जाव इच्छा १ । सेतं पच्छाणुपुव्वी। [४] से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए दसगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो। से तं अणाणुपुव्वी। से तं सामायाराणुपुव्वी । २०७. [१] से किं तं भावाणुपुव्वी ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा पुवाणुपुव्वी १ पच्छाणुपुव्वी २ अणाणुपुव्वी ३ । [२] से किं तं पुव्वाणुपुव्वी ? २ उदइए १ उवसमिए २ खतिए ३ खओवसमिए ४ पारिणामिए ५ सन्निवातिए ६ । सेतं पुव्वाणुपुव्वी। [३] से किं तं पच्छाणुपुवी ? २ सन्निवातिए ६ जाव उदइए १ । सेतं पच्छाणुपुव्वी। [४] से किं तं अणाणुपुव्वी ? २ एयाए चेव एगादियाए एगत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो । से तं अणाणुपुव्वी । से तं भावाणुपुवी। से तं आणुपुव्वि त्ति पदं समत्तं। सुत्ताइं २०८-३१२. उवक्कमाणुओगदारे नामदारं] २०८. से किं तं णामे ? णामे दसविहे पण्णत्ते । तं जहा एगणामे १ दुणामे २ तिणामे ३ चउणामे ४ पंचणामे ५ छणामे ६ सत्तणामे ७ अट्ठणामे ८ णवणामे ९ दसणामे १०।२०९. से किं तं एगणामे ? २ णामाणि जाणि काणि विदव्वाण गुणाण पज्जवाणं च । तेसिं आगमनिहसे नाम ति परूविया सण्णा ।१७।। से तं एगणामे । २१०. से किं तं दुणामे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा एगक्खरिए य १ अणेगक्खरिए य। २११. से किं तं एगक्खरिए ? २ अणेगविहा पण्णत्ते । तं जहा ह्री: श्री: धी: स्त्री । से तं एगक्खरिए । २१२. से किं तं अणेगक्खरिए ? २ अणेगविहे पण्णत्ते। तं जहा कण्णा वीणा लता माला। सेतं अणेगक्खरिए। २१३. अहवा दुनामे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-जीवनामे य १ अजीवनामे य २२१४. से किं तं जीवणामे २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा देवदत्तो जण्णदत्तो विण्हुदत्तो सोमदत्तो। से तं जीवनामे । २१५. से किं तं अजीवनामे ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा- घडो पडो कडो रहो। सेतं अजीवनामे । २१६. [१] अहवा दुनामे दुविहा पण्णत्ते । तं जहा-विसेसिए य १ अविसेसिए य २। [२] अविसेसिए दव्वे, विसेसिए जीवदव्वे य अजीवदव्वे य। [३] अविसेसिए जीवदव्वे, विसेसिए णेरइए तिरिक्खजोणिए मणुस्से देवे । [४] अविसेसिए णेरइए, विसेसिए रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए तभाए तमतमाए। अविसेसिए रयणप्पभापुढविणेरइए, विसेसिए पज्जत्तए य अपज्जत्तए य । एवं जाव अविसेसिए तमतमापुढविणेरइए, विसेसिए पज्जत्तए य अपज्जत्तए य। [५] अविसेसिए तिरिक्खजोणिए, विसेतिए एगिदिए बेइंदिए तेइंदिए चउरिदिए। [६] अविसेसिए एगिदिए, विसेसिए पुढविकाइए आउकाइए तेउकाइए वाउकाइए वणस्सइकाइए । अविसेसिए पुढविकाइए, विसेसिए सुहुमपुढविकाइए य बादरपुढविकाइए य । फू अविसेसिए सुहुमपुढविकाइए, विसेसिए पज्जत्तयसुहुमपुढविकाइए य अपज्जत्तयसुहुमपुढविकाइए य । अविसेसिए बादरपुढविकाइए, विसेसिएपज्जत्तयबादरपुढविकाइए रय अपज्जत्तयबादरपुढविकाइए य । एवं आउ० तेउ० वाउ० वणस्सती० य अविसेसिए विसेसिए य पज्जत्तय-अपज्जत्तय-भेदेहिं भाणियव्वा । [७] अविसेसिए बेइंदिए, tree5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-२७१३०555555555555555555555555O OK 0555555555555555555555555555555555555555555555sexy Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फफफफ5555555555555OR (४५) अणुओगदाराई [१] विसेसिए पज्जत्तयबेइंदिए य अपज्जत्तयबेइंदिए य | एवं तेइंदिय-चउरिदिया वि भाणियव्वा । [८] अविसेसिए पंचेदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए थलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य। [९] अविसेसिए जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिएम सम्मुच्छिमजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य गम्भवक्कंतियजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य। अविसेसिए सम्मुच्छिमजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिक्खिजोणिए य अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयगब्भवक्वंतियजलयरपंचेदियतिरिक्वजोणिए य अपज्जत्तयगब्भवक्वंतियजलयरपंचेदियतिरिक्ख-जोणिए य। [१०] अविसेसिए थलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य । विसेसिए चउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य परिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए चउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए विसेसिए सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य गब्भवक्वंतियचउप्पयथलयरपंचेदिय-तिरिक्खजोणिए य। अविसेसिए समुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिए य अपज्जत्तयसम्मुच्छिमचउम्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए गब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य अपज्जत्तयगब्भवक्वंतियचउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएय। अविसेसिए परिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए विसेसिए, उरपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य भुयपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य । एवं समुच्छिमा पज्जत्ता अपजत्ता य, गब्भवक्कंतिया वि पज्जत्ता, अपज्जत्ता य भाणियव्वा । [११] अविसेसिए खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए विसेसिए समुच्छिमखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य गब्भवक्कंतियखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य। अविसेसिए समुच्छिमखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयसमुच्छिमखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य अपज्जत्तयसमुच्छिमखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य । अविसेसिए गब्भवक्कंतियखहयरपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिए, विसेसिए पज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य, अपज्जत्तयगम्भवक्वंतियखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिए य। [१२] अविसेसिए मणुस्से, विसेसिए सम्मुच्छिममणूसे य गब्भवक्कंतियमणुस्से य । अविसेसिए सम्मुच्छिममणूसे, विसेसिए पज्जत्तयसम्मुच्छिममणूसे य अपज्जत्तगसम्मुच्छिममणूसे य । अविसेसिए गम्भवक्कंतियमणूसे, विसेसिए पज्जत्तयगब्भवक्कंतियमणूसे य अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियमणूसे य। [१३] अविसेसिए देवे, विसेसिए भवणवासी वाणमंतरे जोइसिए वेमाणिए य । अविसेसिए भवणवासी, विसेसिए असुरकुमारे ५ एवं नाग० सुवण्ण० विज्जु० अग्गि० दीव० उदधि० दिसा० वात० थणियकुमारे। सव्वेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेया भाणियव्वा । [१४] अविसेसिये वाणमंतरे, विसेसिए पिसाए भूते जक्खे रक्खसे किण्णरे किंपुरिसे महोरगे गंधव्वे । एतेसिं पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेदा भाणियव्वा । [१५] अविसेसिए जोइसिए, विसेसिए चंदे सूरे गहे नक्खत्तेतारारूवे। एतेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेया भाणियव्वा। [१६] अविसेसिए वेमाणिए, विसेसिए कप्पोवगे य कप्पातीतए य । अविसेसिए कप्पोवए, विसेसिए सोहम्मए ईसाणए सणंकुमारए माहिंदए बंभलोगए लंतयए महासुक्कए सहस्सारए आणयए पाणयए आरणए अच्चुतए । एतेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेदा भाणियव्वा। [१७] अविसेसिए कप्पातीतए, विसेसिए गेवेज्जए य अणुत्तरोववाइए य। अविसेसिएगेवेज्जए, विसेसिए हेट्ठिमगेवेज्जए मज्झिमगेवेज्जए उवरिमगेवेज्जए। अविसेसिए हेट्ठिमगेवेज्जए, विसेसिए हेट्टिमहेट्ठिमगेवेज्जए हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जए हेट्टिमउवरिमगेवेज्जए । अविसेसिए मज्झिमगेवेज्जए, विसेसिए मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जए मज्झिममज्झिमगेवेज्जए मज्झिमउवरिमगेवेज्जए। अविसेसिए उवरिमगेवेज्जए, विसेसिए उवरिमहेट्ठिमगेवेज्जए उवरिममज्झिमगेवेज्जए उवरिमउवरिमगेवेज्जए। एतेसिं ति सव्वेसिं अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय- ' अपज्जत्तयभेदा भाणियव्वा। [१८] अविसेसिए अणुत्तरोववाइए, विसेसिए विजयए वेजयंतए जयंतए अपराजियए सव्वट्ठसिद्धए। एतेसि पि सव्वेसि अविसेसिय विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेदा भाणियव्वा। [१९] अविसेसिए अजीवदव्वे, विसेसिए धम्मत्थिकाए अधम्मन्थिकाए आगासत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धसमए Prer.c555555555555555555555555 श्री आगमगणमंजमा १०००1555555555555555555555555$$OOR HC5乐乐于乐乐乐于乐乐中乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听56 כתובתנו on Education International 201003 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐॐॐॐॐॐॐॐ (४५) अणुओगदाराई य। अविसेसिए पोग्गलत्थिकाए, विसेसिए परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणतपएसिए । से तं दुनामे । २१७. से किं तं तिनामे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहाव्वणामे १ गुणणामे २ पज्जवणामे य ३ । २१८. से किं तं दव्वणामे ? २ छव्विहे पण्णत्ते । तं जहा धम्मत्थिकाए १ अधम्मत्थिकाए २ आंगासत्थिकाए ३ जीवत्थिकाए ४ पोग्गलत्थिकाए ५ अद्धसमए ६ अ से तं दव्वणामे। २१९. से किं तं गुणणामे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा वण्णणामे १ गंधणामे २ रसणामे ३ फासणामे ४ संठाणणामे ५ । २२०. से किं तं वण्णनामे ? पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा कालवण्णनामे १ नीलवण्णनामे २ लोहियवण्णनामे ३ हालिद्दवण्णनामे ४ सुक्किलवण्णनामे ५ । से तं वण्णनामे । २२१. से किं तं गंधनाये ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा सुरभिगंधनामे य १ दुरभिगंधनामे य २ । से तं गंधना । २२२. से किं तं रसनामे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा - तित्तरसणामे १ कडुयरसणामे २ कसायरसणामे ३ अंबिलरसणामे ४ महुररसणामे य ५ । से तं रसनामे । २२३. से किं तं फासणामे ? २ अट्ठविहे पण्णत्ते । तं जहा- कक्खडफासणामे १ मउयफासणामे २ गरुयफासणामे ३ लहुयफासणामे ४ सीतफासणामे ५ उसिणफासणामे ६ जिद्धफासणामे ७. क्खफासणा८ । सेतं फासणामे । २२४. से किं तं संठाणणामे १ २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा- परिमंडलसंठाणणामे १ वट्टसंठाणणामे २ तंससंठाणणामे ३ चउरंसठाणणामे ४ आयातसंठाणणामे ५ । से तं संठाणणामे । से तं गुणणामे । २२५. से किं तं पज्जवनामे ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा एगगुणकालए काल जावतगुणकालए, एगगुणनीलए दुगुणनीलए जाव अणंतगुणनीलए, एवं लोहिय- हालिद्द-सुक्किला वि भाणियव्वा । एगगुणसुरभिगंधे दुगुणसुरभिगंधे जाव अणंतगुणसुरभिगंधे, एवं दुरभिगंधो वि भाणियव्वो । एगगुणतित्ते दुगुणतित्ते जाव अणंतगुणतित्ते, एवं कडुय कसाय - अंबिल - महुरा वि भाणियव्वा । गुणकडे दुगणकक्खडे जाव अनंतगुणकक्खडे, एवं मउय गरूय-लहुय - सीत- उसिण- णिद्ध - लुक्खा वि भाणियव्वा । से तं पज्जवणामे । २२६. तं पुण णामं तिविहं इत्थी १ पुरिसं २ णपुंसगं ३ चेव । एएसिं तिण्हं पि य अंतिम्मि परूवणं वोच्छं ||१८|| तत्थ पुरिसस्स अंता आ ई ऊ ओ य होति चत्तारि । ते चेव इत्थियाए हवंति ओकारपरिहीणा ||१९|| अंति य इति य उति य अंता उ णपुंसगस्स बोद्धव्वा । एतेसिं तिण्डं पि य वोच्छामि निदंसणे एतो ||२०|| आकारंतो राया ईकारंतो गिरी य सिहरी य । ऊकारंतो विण्हू दुमो ओअंताओ पुरिसाणं ॥ २१॥ आकारंता माला ईकारंता सिरी य लच्छी य। ऊकारंता जंबू बहू य अंता उ इत्थीणं ||२२|| अंकारंतं धन्नं इंकारंतं नपुंसकं अच्छिं । उंकारंतं पीलुं महुं च अंता णपुसाणं ॥ २३ ॥ से तं तिणामे । २२७. से किं तं चतुणामे ? २ चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा-आगमेणं १ लोवेणं २ पयईए ३ विगारेणं ४ । २२८. से किं तं आगमेणं ? २ पद्मानि पयांसि कुण्डानि । से तं आगमेणं । २२९. से किं तं लोवेणं ? २ ते अत्र तेऽत्र, पटो अत्र पटोऽत्र, घटो अत्र घटोऽत्र, रथो अत्र रथोऽत्र । से तं लोवेणं । २३०. से किं तं पगतीए ? अग्री एतौ पटू इमौ शाले एते, माले इमे । से तं पगतीए । २३१. से किं तं विकारेणं ? २ दण्डस्य अग्रं दण्डाग्रम्, सा आगता साऽऽगता, दधि इदं दधीदम्, नदी ईहते नदीहते, मधु उदकं मधूदकम्, बहु ऊहते बहूहते। से तं विकारेणं । से तं चणा । २३२. से किं तं पंचनामे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा नामिकं १ नैपातिकं २ आख्यातिकं ३ औपसर्गिकं ४ मिश्रं ५ च । अश्व इति नामिकम्, खल्विति नैपातिकम्, धावतीत्याख्यातिकम् परि इत्यौपसर्गिकम्, संयत इति मिश्रम् । से तं पंचनामे । २३३. से किं तं छनामे ? २ छव्विहे पण्णत्ते । तं जहा - उदइए १ उवसमिए २ खइए ३ खओवसमिए ४ पारिणामिए ५ सन्निवातिए ६ । २३४. से किं तं उदइए ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा उदए य १ उदयनिप्फण्णे य २ । २३५. से किं तं उदए ? २ अट्टण्हं कम्मपगडीणं उदएणं। से तं उदए । २३६. से किं तं उदयनिप्फण्णे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा- जीवोदयनिप्फन्ने य १ अजीवोदयनिप्फन्ने य २ । २३७. से किं तं जीवोदयनिप्फन्ने ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा णेरइए तिरिक्खजोणिए मणुस्से देवे, पुढविकाइए जाव वणस्सइकाइए तसकाइए, कोहकसायी जाव लोहकसायी, इत्थीवेदए पुरिसवेदए णपुंसगवेदए, कण्हलेसे एवं नील० काउ० तेउ० पम्ह० सुक्कलेसे, मिच्छादिट्ठी अविरए अण्णाणी आहारए छउमत्थे सजोगी संसारत्थे असिद्धे । से तं जीवोदयनिप्फन्ने । २३८. से किं तं अजीवोदयनिप्फन्ने ? २ चोद्दसविहे पण्णत्ते । तं जहा ओरालियं वा सरीरं १ ओरालियसरीरपयोगपरिणामियं वा दव्वं २ वेउव्वियं वा सरीरं ३ वेउव्वियसरीरपयोगपरिणामियं वा दव्वं ४ एवं आहारगं सरीरं ६ तेयगं सरीरं ८ कम्मगं सरीरं श्री आगमगुणमंजूषा १७१५ ॐ 98 [१४] Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 《步步$$$$$ $$$$$$$国 (४५) अणुओगदाराइ २५) 55555555555555 520 Veron 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐$$$$乐乐56O च भाणियव्वं १०, पयोगपरिणामिए वण्णे ११ गंधे १२ रसे १३ फासे १४। सेतं अजीवोदयनिप्फण्णे । सेतं उदयनिप्फण्णे । सेतं उदए। २३९. से किं तं उवसमिए ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-उवसमे य १ उवसमनिप्फण्णे य २ । २४०. से किं तं उवसमे ? २ मोहणिज्जस्स कम्मस्स उवसमेणं । से तं उवसमे । २४१. से किं तं उवसमनिप्फण्णे? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा-उवसंतकोहे जाव उवसंतलोभे उवसंतपेज्जे उवसंतदोसे उवसंतदंसणमोहणिजे उवसंतचरित्तमोहणिज्ने उवसंतमोहणिज्जे उवसमिया सम्मत्तलद्धी उवसमिया चरित्तलद्धी उवसंतकसायछउमत्थवीतरागे। सेत उवसमनिप्फण्णे । से तं उवसमिए । २४२. से किं तं खइए १२ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-खए य १ खयनिप्फण्णे य २।२४३. से किं तं खए ? २ अट्ठण्हं कम्मपगडीणं खएणं । से तं खए । २४४. से किं तं खयनिप्फण्णे? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा- उप्पण्णणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली खीणआभिणिबोहियणाणावरणे खीणसुयणाणावरणे खीणओहिणाणावरणे खीणमणपज्जवणाणावरणे खीणकेवलणाणावरणे अणावरणे णिरावरणे खीणावरणे णाणावरणिज्जकम्मविप्पमुक्के, केवलदंसी सव्वदंसी खीणनिद्दे खीणनिद्दानिद्दे खीणपयले खीणपयलापयले खीणथीणगिद्धे खीणचक्खुदंसणावरणे खीणअचक्खुदंसणावरणे खीणओहिदंसणावरणे खीणकेवलदसणावरणे अणावरणे निरावरणे खीणावरणे दरिसणावरणिज्जकम्मविप्पमुक्के, खीणसायवेयणिज्जे खीणअसायवेयणिज्जे अवेयणे निव्वेयणे खीणवेयणे सुभाऽसुभवेयणिज्जकम्मविप्पमुक्के, खीणकोहे जाव खीणलोभे खीणपेज्जे खीणदोसे खीणदेसणमोहणिज्जे खीणचरित्तमोहणिजे अमोहे निम्मोहे खीणमोहे मोहणिज्जकम्मविप्पमुक्के, खीणणेरइयाउए खीणतिरिक्खजोणियाउत्रए खीणमणुस्साउए खीणदेवाउए अणाउए निराउए खीणउए आउयकम्मविप्पमुक्के, गति-जाति-सरीरंगोवंग-बंधण-संघात-संघतणअणेगबोदिवंदसंघायविप्पमुक्के खीणसुभनामे खीणासुभणामे अणामे निण्णामे खीणनामे सुभाऽसुभणामकम्मविप्पमुक्के, खीणउच्चागोए खीणणीयागोए अगोए निगोए खीणगोए सुभाऽसुभगोत्तकम्मविप्पमुक्के, खीणदाणंतरराए खीणलाभंतराए खीणभोगंतराए खीणवभोगंतराए खीणविरियंतराए अणंतराए णिरंतराए खीणंतराए अंतराइयकम्मविप्पमुक्के, सिद्धे बुद्धे मुत्ते परिणिव्वुए अंतगडे सव्वदुक्खप्पहीणे । सेतं खयनिप्फण्णे । सेतं खइए। २४५. से किं तं खओवसमिए ? २ दुविहे पन्नत्ते। तं जहा-खओवसमे य १ खओवसमनिप्फन्ने य २।२४६. से किं तं खओवसमे? २ चउण्डं घाइकम्माणं खओवसमेणं । तं जहा-नाणावरणिज्जस्स १ दंसणावरणिज्जस्स २ मोहणिज्जस्स ३ अंतराइयस्स ४ । सेतं खओवसमे । २४७. से किं तं खओवसमनिप्फन्ने ? २ अणेगविहे पण्णत्ते। तं जहा-खओवसमिया आभिणिबोहियणाणलद्धी जाव खओवसमिया मणपज्जवणाणलद्धी, खओवसमिया मतिअण्णाणलद्धी खओवसमिया सुयअण्णाणलद्धी खओवसमिया विभंगणाणलद्धी, खओवसमिया चक्खुदंसणलद्धी एवमचक्खुदंसणलद्धी ओहिदंसणलद्धी, एवं सम्मइंसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्मामिच्छादसणलद्धी, खओवसमिया सामाझ्यचरिइलद्धी एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धियलद्धी सुहमसंपराइयलद्धी एवं चरित्ताचरितलद्धी, खओवसमिया दाणलद्धी एवं लाभ० भोग० उवभोग० खओवसमिया वीरियलद्धी एवं पंडियवीरियलद्धी बालवीरियलद्धी बालपंडियवीरियलद्धी, खओवसमिया सोइंदियलद्धी जाव खओवसमिया फासिदियलद्धी, खओवसमिए आयारधरे एवं सूयगडधरे ठाणधरे समवायधरे विवाहपण्णत्तिधरे एवं नायाधम्मकहा० उवासगदसा० अंतगडदसा० अणुत्तरोववाइयदसा० पण्हावागरण० खओवसमिए विवागसुयधरे खओवसमिए दिट्टिवायधरे, खओवसमिए णवपुव्वी जाव चोद्दसपुव्वी, खओवसमिए गणी खओवसमिए वायए। से तं खओवसमनिप्फण्णे । से तं खओवसमिए । २४८. से किं तं पारिणामिए ? २ दुविहे पण्णत्ते । तंजहा-सादिपारिणामिए य १ अणादिपारिणामिए य २।२४९. से किं तं सादिपारिणामिए ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा- जुण्णसुरा जुण्णगुलो जुण्णघयं जुण्णतंदुला चेव । अब्भा य अब्भरुक्खा संझा गंधव्वणगरा य ।।२४।। उक्कावाया दिसादाघा गज्जियं विजू णिग्घाया जूवया जक्खालित्ता धूमिया महिया रयुग्घाओ चंदोवरागा सूरोवरागा चंदपरिवेसा सूरपरिवेसा पडिचंदया पडिसूरया इंदधणू उदगमच्छा कविहसिया अमोहा वासा वासधरा गामा णगरा घरा पव्वता पायाला भवणा निरया रयणप्पभा सक्करप्पभा वालुयप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा सोहम्मे ईसाणे जाव आणए पाणए आरणे अच्चुए गेवेज्ज अणुत्तरोववाइया ईसीपब्भारा परमाणुपोग्गले दुपदेसिए जाव अणंतपदेसिए । से तं सादिपारिणामिए । २५०. से किं तं meros555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१७१६5555555555$$$$$$$$$$$$$$50 GO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明覺 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१६] (४५) अणुओगदाराई फफफफफफफफफफफफ अणादिपारिणामिए ? २ धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए अन्द्रसमए लोए अलोए भवसिद्धिया अभवसिद्धिया । से तं अणादिपारिणामिए । से तं पारिणामिए । २५१. से किं तं सण्णिवाइए ? २एतेसिं चेव उदइय- उवसमिय-खइय-खओवसमिय-पारिणामियाणं भावाणं दुयसंजोएणं तियसंजोएणं चउक्कसंजोएणं पंचगसंजोएणं जे निप्पज्जेति सव्वे से सन्निवाइए नामे । तत्थ णं दस दुगसंजोगा. दस तिगसंजोगा, पंच चउक्कसंजोगा, एक्के पंचगसंजोगे । २५२. तत्थ णं जे ते दस दुगसंजोगा ते णं इमे अत्थे णामे उदइए उवसमनिप्पणं १ अत्थि णामे उदइए खयनिप्पण्णे २ अत्थि णामे उदइए खओवसमनिप्पण्णे ३ अत्थि णामे उदइए पारिणामियनिप्पण्णे ४ अत्थि णामे उवसमिए खयनिप्पण्णे ५ अत्थि णामे उवसमिए खओवसमनिप्पन्ने ६ अत्थि णामे उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ७ अत्थि णामे खइए खओवसमनिप्पन्ने ८ अत्थि णामे खइए पारिणामियनिप्पन्ने ९ अत्थि णामे खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने १० । २५३. कतरे से नामे उदइए उवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया, एस णं से णामे उदइए उवसमनिप्पन्ने १ । कतरे से नामे उदइए खयनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खतियं सम्मत्तं, एस णं से नामे उदइए खयनिप्पन्ने २ । कतरे से णामे उदइए खयोवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खयोवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइए खयोवसमनिप्पन्ने ३ । कतरे से णामे उदइए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए पारिणामियनिप्फन्ने ४ । कयरे से णामे उवसमिए खयनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उवसमिए खयनिप्पन्ने ५ । कयरे से णामे उवसमिए खओवसमनिप्पण्णे ? उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाई, एस णं से णामे उवसमिए खओवसमनिप्पन्ने ६ । कयरे से णामे उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया पारिणामिए जी, एस सेणा उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ७ । कतरे से णामे खइए खओवसमियनिप्पन्ने ? खइयं सम्मत्तं खयोवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे खइए खयोवसमनिप्पन्ने ८ । कतरे से णामे खइए पारिणामियनिप्पन्ने ? खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइए पारिणामियनिप्पन्ने ९ । कतरे से णामे खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? खयोवसमियाइं इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खयोवसमिए पारिणामियनिप्पने १० । २५४. तत्थ णं जे ते दस तिगसंजोगा तेणं इमे - अत्थि णामे उदइए उवसमिए खयनिप्पन्ने १, अत्थि णामे उदइए उवसमिए खओवसमनिप्पन्न २, अत्थि णामे उदइए उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ३, अत्थि णामे उदइए खइए खओवसमनिप्पन्ने ४, अत्थि णामे उदयिए खइए पारिणामियनिप्पन्ने ५, अत्थि णामे उदइए खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ६, अत्थि णा उवसमिए खइए खओवसमनिप्पन्ने ७, अत्थि णामे उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पन्ने ८, अत्थि णामे उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ९, अत्थि मे खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने १० । २५५. कतरे से णामे उदइए उवसमिए खयनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं, एस णं से उद उवसमिए खयनिप्पन्ने १ । कतरे से णामे उदइए उवसमिए खयोवसमियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खयोवसमियाई इंदियाई, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खओवसमनिप्पन्ने २ । कयरे से णामे उदइए उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णा उदइए उवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ३ । कयरे से णामे उदइए खइए खओवसमनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं खओवसमियाई इंदियाई, एस णं से उद खइए खओवसमन्निप्पन्ने ४ । कतरे से णामे उदइए खइए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उदइए खइए पारिणामियनिप्पन्ने ५ । कतरे से णामे उदइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खयोवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जवि, एस णं से णामे उदइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ६ । कतरे से णामे उवसमिए खइए खओवसमन्निप्पन्ने ? उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खओवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उवसमिए खइए खओवसमनिप्पन्ने ७ । कतरे से णामे उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पन्ने ८ । कतरे से णामे उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ९ । कतरे से णामे खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? खइयं सम्मत्तं खओवसमियाई O श्री आगमगुणमंजूषा - १७१७ 9152 0.1 0 0.5 1954 1945 1946 1945 1944 1945 19 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RS2555$ $$ $$ 明 (४५) अणुओगदाराई 步步步步步步步步步步步步505C OAC%听听乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C 2 इंदियाइं पारणामिए जीवे, एस णं से णामे खइए खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने १०।२५६. तत्थ णं जे ते पंच चउक्कसंयोगा ते णं इमे-अस्थि णामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिप्पन्ने १ अत्थि णामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पन्ने २ अत्थि णामे उदइए उवसमिए खयोवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ३ अत्थि णामे उदइए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ४ अत्थि णामे उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ५ । २५७. कतरे से णामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिप्पन्ने ? उदए तिमणूसे उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खओवसमियाइं इंदियाई, एसणं से णामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिप्पन्ने १। कतरे से नामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामियनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ३ । कतरे से णामे उदइए खइए खओवसमिए पारिणामयनिप्पन्ने ? उदए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं खओवसमिए इंदियाइं पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उदइए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ४ । कतरे से नामे उवसमिए खइए खओवसमियाई इंदियाइं पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ५ । २५८. तत्थ णं जे से एक्के पंचकसंजोगे से णं इमे-अत्थि नामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ११२५९. कतरे से नामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने ? उद्दए त्ति मणूसे उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खओवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिप्पन्ने । से तं सन्निवाइए। सेतं छण्णामे । २६०. [१].से किं तं सत्तनामे ? २ सत्त सरा पण्णत्ता । तं जहा सज्जे १ रिसभे २ गंधारे ३ मज्झिमे ४ पंचमे सरे ५। धेवए ६ चेव णेसाए ७ सरा सत्त वियाहिया ॥२५॥ २] एएसि ‘णं सत्तण्हं सराणं सत्त सरहाणा पण्णत्ता । तं जहा सज्जं च अग्गजीहाए १ उरेण रिसहं सरं २। कंठुग्गतेण गंधारं ३ मज्झजीहाए मज्झिमं ४ ||२६|| नासाए पंचम बूया ५ दंतोटेण य धेवतं ६ । भमुहक्खेवेण णेसायं ७ सरट्ठाणा वियाहिया ।।२७।। [३] सत्त सरा जीवणिसिया पण्णत्ता । तं जहा सज्ज खइ मयूरो १ कुक्कुडो रिसभं सरं २। हंसो खइ गंधारं ३ मज्झिमं तु गवेलगा ४ ॥२८॥ अह कुसुमसंभवे काले कोइला पंचमं सरं ५। छटुं च सारसा कुंचा ६ णेसायं सत्तमंगओ७॥२९॥ [४] सत्तसरा अजीवणिस्सिया पण्णत्ता। तं जहा सज्जं रवइ मुयंगो १ गोमुही रिसहं सर २१ संखो रवइ गंधारं ३ मज्झिमं पुण झल्लरी ४॥३०॥ चउचलणपतिढाणा गोहिया पंचमं सरं ५। आडंबरो धेवइयं ६ महाभेरी य सत्तमं७॥३१॥ [५] एएसिणं सत्तण्हं सराणं सत्त सरलक्खणा पण्णत्ता । तं जहा सज्जेण लहइ वित्तिं कयं च न विणस्सई । गावो पुत्ता य मित्ता य नारीणं होति वल्लहो १॥३२॥ रिसहेणं तु एसज्जं सेणावच्चं धणाणि य । वत्थ गंधमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य २॥३३। गंधारे गीतजुत्तिण्णा वज्जवित्ती कलाहिया । हवंति कइणो पण्णा जे अण्णे सत्थपारगा ३ ॥३४॥ मज्झिमसरमंता उ हवंति सुहजीविणो । खायती पियती देती मज्झिमस्सरमस्सिओ ४ ॥३५॥ पंचमस्समंता उ हवंती पुहवीपती । सूरा संगहकत्तारो अणेगणरणायगा ५ ॥३६।। धेवयसरमंता उ हवंति कलहप्पिया। साउणिया वग्गुरिया सोयरिया मच्छबंधा य ६॥३७॥ चडाला मुट्ठिया मेता, जे यऽण्णे पावकारिणो । गोघातगाय चोरा य नेसातं सरमस्सिता ७॥३८॥ [६] एतेसिणं सत्तण्हं सराणं तयो गामा पण्णत्ता । तं जहा सज्जग्गामे १ मज्झिमग्गामे २ गंधारग्गामे ३ । [७] सज्जग्गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तं जहा मंगी कोरव्वीया हरी य रयणीय सारकंताय । छठ्ठी य सारसी नाम सुद्धसज्जा य सत्तमा ॥३९॥ [८] मज्झिमग्गामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तं जहा उत्तरमंदा रयणी उत्तरा उत्तरायसा(ता)। अस्सोकंता य सोवीरा अभीरू भवति सत्तमा ।।४०|| [९] गंधारग्गामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ। तं जहा नंदी य खुड्डिमा पूरिमा य चउथी य सुद्धगंधारा। उत्तरगंधारा वि य पंचमिया हवइ मुच्छा उ॥४१|| सुद्द्त्तरमायामा सा छट्ठा नियमसो उणायव्वा । अहउत्तरायता कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा ॥४२॥ [१०] सत्त स्सरा कतो संभवंति ? गीयस्स का हवति जोणी?। कतिसमया ऊसासा ? कति वा गीयस्स आगारा?|४३|| सत्त सरा नाभीओ संभवंति, गीतं च रुन्नजोणीयं । पायसमा उस्सासा, तिण्णि य गीयस्स आगारा ॥४४॥ आदिमउ आरभंता, समुव्वहंता य मज्झगारम्मि । अवसाणे य झवेता, तिन्नि वि गीयस्स आगारा ॥४५|| [॥११॥] छ होसे अट्ठ गुणे तिण्णि य वित्ताणि दोण्णि भणितीओ। जो णाही सो गाहिति सुसिक्खितो रंगमज्झम्मि ||४६।। भीयं दुयं mero5555555 5 55555555555 श्री आगमगुणमंजूषा १७१८ $$$$$ $ $$ $$$Gors MOROSSホホホホホホホホホホホホホホホホホホ$$55555555555ホホホホホホホ$F$FFFFOOL Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ro955555555555555 (४५) अणुओगदाराई ___[१८] 5555555555%ERIOR दुयमुप्पिच्छं उत्तालं च कमसो मुणयव्वं । काकस्सरमणुनासं छ होसा होति गीयस्स ॥४७॥ पुण्णं रत्तं च अलंकियं च वत्तं तहेवमविघु₹ । महुरं समं सुललियं अट्ठ गुणा होति गीयस्स ॥४८|| उर-कंठ-सिरविसुद्धं च गिज्जते मउय-रिभियपदबद्धं । समताल पडुक्खेवं सत्तस्सरसीभरं गीयं ।।४९।। अक्खरसमं पयसमं तालसमं लयसमं गहसमं च । निस्ससिउम्ससियसमं संचारसमं झरा सत्त ।।५०|| निद्दोसं सारवंतं च हेउजुत्तमलंकियं । उवणीयं सोवयारं च मियं महरमेव य ।।५१।। समं अद्धसमं चेव सव्वत्थ विसमं च जं । तिणि वित्तप्पयाराइं चउत्थं नोवलब्भइ ॥५२|| सक्कया पायया चव भणिईओ होति दुणि उ । सरमंडलम्मि गिज्जते पसत्था इसिभासिया।।५३।। [१२] केसी गायति महुरं? केसी गायति खरं च रुक्खं च ? । केसी गायति चउर ? केसी य विलंबियं? दुतं केसी? विस्सरं पुण केरिसी? ॥५४॥ पंचपदी सामा गायति महुरं, काली गायति खरंच रुक्खं च । गोरी गायति चउरं, काणा य विलंबियं, दुतं अंधा, विस्सरं पुण पिंगला ।।५५|| पंचपदी सन स्सरा तयो गामा मुच्छणा एक्कवीसति । ताणा एगूणपण्णासं सम्मत्तं सरमंडलं ॥५६।। सेत्तं सतनामे । २६१. से किं तं अट्ठनामे ? २ अट्ठविहा वयणविभत्ती पण्णत्ता । तं जहा. निद्देसे पढमा होति १ बितिया उवदेसणे २ । तइया करणम्मि कया ३ चउत्थी संपयावणे ४ ॥५७|| पंचमी य अपायाणे ५ छट्ठी सस्सामिवायणे ६ । सत्तमी सण्णिधाणत्थे ७ अट्ठमाऽऽमंतणी भवे ८॥५८॥ तत्थ पढमा विभत्ती निद्देसे सो इमो अहं व त्ति १ । रितिया पुण उवदेसे भण कुणसु इमं व तं वत्ति २॥५९|| ततिया करणम्मि कया भाणियं व कयं व तेण व मए वा ३ । हंदि णमो साहाए हवति चउत्थी पयाणम्मि ४॥६०॥ अवणय गिण्ह य एत्तो इतो त्ति वा पंचमी अपायाणे ५। छट्ठी तस्स इमस्स व गयस्स वा सामिसंबंधे ६॥६१।। हवति पुण सत्तमीतं इमम्मि आधार काल भावे य७। आमंतणी भवे अट्ठमी उजह हे जुवाण ! त्ति ८॥६२|| से तं अट्ठणामे । २६२ [१] . से किं तं नवनामे ? २ णव कव्वरसा पण्णत्ता । तं जहा- वीरो १ सिंगारो २ अब्भुओ य ३ रोबो य ४ होइ बोधव्वो । वेलणओ ५ बीभच्छो ६ हासो ७ कलुणो ८ पसंतो य ९॥६३|| [२] तत्थ परिच्चायम्मि य १ तव-चरणे २ सत्तुजणविणासे य ३। अणणुसय-धिति-परक्कमचिण्हो वीरो रसो होइ ॥६४॥ वीरो रसो जहा- सोणाम महावीरो जोरजं पयहिऊण पव्वइओ। काम-क्कोहमहासत्तुपक्खनिग्घायणं कुणइ ।।६५।। [३] सिंगारो नाम रसो रतिसंजोगाभिलाससंजणणो । मंडण-विलास-बिब्बोय-हास-लीला-रमणलिंगो ॥६६|| सिंगारो रसो जहा- महुरं विलासललियं हिययुम्मादणकरं जुवाणाणं । सामा सदुद्दामं दाएती मेहलादामं ॥६७|| [४] विम्हयकरो अप्पुवो व भूयपुव्वो व जो रसो होइ । सो हास-विसायुप्पत्तिलक्षणो अब्भुतो नाम ||६८।। अब्भुओ रसो जहाअब्भुयतरमिह एत्तो अन्नं किं अत्थि जीवलोगम्मि । जं जिणवयणेणऽत्था तिकालजुत्ता वि णज्जति ? ||६९॥ [५] भयजणणरूव-सइंधकारचिंता-कहासमुप्पन्नो। सम्मोह-संभम-विसाय-मरणलिंगो रसो रोहो ॥७०|| रोद्दो रसो जहा- भिउडीविडंबियमुहा ! संदट्ठोठ्ठ ! इय रुहिरमोकिण्ण ! । हणासि पसुं असुरणिभा ! भीमरसिय ! अतिरोद्द ! रोद्दोऽसि ॥७१|| [६] विणयोवयार-गुज्झ-गुरुदारमेरावतिक्कमुप्पण्णो । वेलणओ नाम रसो लज्जा-संकाकरणलिंगो ॥७२॥ वेलणओ रसो जहा- किं लोइयकरणीओ लज्जणियतरं ति लज्जिया होमो । वारिज्जम्मि गुरुजणो परिवंदइ जं वहूपोत्तिं ॥७३॥ [७] असुय-कुणव-दुईसणसंजोगब्भासगंधनिप्फण्णो । निव्वेयऽविहिंसालक्खणो रसो होइ बीभत्सो॥७४।। बीभत्सो रसो जहा- असुइमलभरियनिज्झर समावदुग्गंधि सव्वकालं पि । धण्णा उ सरीरकलिं बहुमलकलुसं विमुंचंति॥७५।। [८] रूय-वय-वेस-भासाविवरियविलंबणासमुप्पन्नो। हासो मणप्पहासोपकासलिंगो रसो होति ॥७६|| हासो रसो जहा- पासुत्तमसीमंडीयपडिबुद्धं देयरं पलोयंती । ही ! जह थणभरकंपणपणमियमज्झा हसति सामा ॥७७|| [९] पियविप्पयोग-बंध-वह-वाहि-विणिवाय-संभमुप्पन्नो । सोचिय-विलवियपव्वाय-रुन्नलिंगो रसो कलुणो॥७८॥ कलुणो रसो जहा- पज्झातकिलामिययं आहागयपप्पुयच्छियं बहुसो । तस्स वियोगे पुत्तय ! दुब्बलयं ते मुहं जायं ॥७९॥ [१०] निहोसमणसमाहाणसंभवो जो पसंतभावेणं । अविकारलक्खणों सो रसो पसंतो त्ति णायव्वो ।।८०॥ पसंतो रसो जहा- सब्भावनिम्विकारं उवसंत-पसंतF सोमदिट्ठीयं । ही ! जह मुणिणो सोहति मुहकमलं पीवरसिरीयं ॥८१।। एए णव कव्वरसा बत्तीसादोसविहिसमुप्पण्णा । गाहाहिं मुणेयव्वा, हवंति सुद्धा व मीसा वा फू १८२।। सेतं नवनामे।२६३. से किं तं दसनामे ? दसविहे पण्णत्तेतं जहा - गोण्णे १ णो गोण्णे २ आयाणपदेणं ३ पडिपक्खपदेणं ४ पाहण्णयाए ५ अणादियसिद्धतेणं trerof 555555555555555555 श्री आगमगणमंजपा-१00555555555555555555555555550ROR CC$$$$$$$$$$听听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听得 9058555听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$23 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Xo395555555555555 (४५) अणुओगदाराई [१९] 5555555555555FOOD र HOR555555555555555555555555555555555555555555555FORY नामेणं ७ अवयवेणं ८ संजोगेणं ९ पमाणेणं १०।२६४. से किं तं गोण्णे ? २ खमतीति खमणो, तपतीति तपणो, जलतीति जलणो, पवतीति पवणो । से तं गोण्णे। २६५. से किं त नोगोण्णे ? २ अकुंतो सकुंतो, अमुग्गो समुग्यो, अमुद्दो समुद्दो, अलालं पलाल, अकुलिया सकुलिया, नो पलं असतीति पलासो, अमातिवाहए मातिवाहए, अबीयवावए बीयवावए, नो इंदं गोवयतीति इंदगोवए। से तं नोगोण्णे । २६६. से किं तं आयाणपदेणं ? २ आवंती चातुरंगिजं असंखयं जण्णइज्जं पुरिसइज्जं एलइज्ज वीरियं धम्मो मग्गो समोसरणं ओहत्तद्विज्जं गंथे जमईयं । से तं आयाणपदेणं । २६७. से किं तं पडिपक्खपदेणं ? २ णवेसुगामा-ऽऽगर-णगरखेड-कव्वड-मडंब-दोणमुह-पट्टणाऽऽसम-संवाह-सन्निवेसेसु निविस्समाणेसु असिवा सिवा, अग्गी सीयलो, विसं महुरं, कल्लालघरेसु अंबिलं साउयं, जे लत्तए से अलत्तए, जे लाउए से अलाउए, जे सुंभए से कुसुभए, आलवंते विवलीयभासए। सेतं पडिपक्खपदेणं । २६८.से किं तं पाहण्णयाए?२ असोगवणे सत्तवण्णवणे चंपकवणे चूयवणे नागवणे पुन्नागवणे उच्छुवणे दक्खवणे सालवणे । से तं पाहण्णयाए । २६९. से किं तं अणादियसिद्धतेणं ? २ धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए । सेतं अणादियसिद्धंतेणं । २७०. से किं तं नामेणं ? २ पिउपियामहस्स नामेणं उन्नामियए। से तं णामेणं । २७१. से किं तं अवयवेणं ? २ सिंगी सिही विसाणी दाढी पक्खी खुरी णही वाली । दुपय चउप्पय बहुपय णंगूली केसरी ककुही॥८३।। परियरबंधेण भडं जाणेज्जा, महिलियं निवसणेणं । सित्थेण दोणपागं, कविं च एगाइ गाहाए।।८४।। सेतं अवयवेणं । २७२. से किं तं संजोगेणं? संजोगे चउविहे पण्णत्ते। तं जहा- दव्वसंजोगे १ खेत्तसंजोगे २ कालसंजोगे ३ भावसंजोगे ४।२७३. से किं तं दव्वसंजोगे? २ तिविहे पण्णत्ते। तं जहा-सचित्ते १ अचित्ते २ मीसए ३।२७४. से किं तं सचित्ते?२ गोहिं गोमिए, महिसीहिं माहिसिए, ऊरणीहिं ऊरणिए, उट्टीहिं उट्टवाले। से तं सचित्ते । २७५. से किं तं अचित्ते ? २ छत्तेण छत्ती, दंडेण दंडी, पडेण पडी, घडेण घडी, कडेण कडी । से तं अचित्ते। २७६. से किं तं मीसए ? २ हलेणं हालिए, सकडेणं साकडिए, रहेणं रहिए, नावाए नाविए। से तं मीसए। से तं दव्वसंजोगे। २७७. से किं तं खेत्तसंजोगे ? २ भारहे एरवए हेमवए एरण्णवए हरिवस्सए रम्मयवस्सए पुव्वविदेहए अवरविदेहए, देवकुरुए उत्तरकुरुए अहवा मागहए मालवए सोरट्ठए मरहट्ठए कोंकणए कोसलए। से तं खेत्तसंजोगे। २७८. से किं तं कालसंजोगे? २ सुसमसुसमए सुसमए सुसमदूसमए दूसमसुसमए दूसमए दूसमदूसमए, अहवा पाउसए वासारत्तए सरदए हेमंतए वसंतए गिम्हए। सेतं कालसंजोगे।२७९. से किं तंभावसंजोगे? २ दुविहे पण्णत्ते। तं जहा-पसत्थेय १ अपसत्थेय २।२८०. से किं तं पसत्थे ? २ नाणेणं नाणी, दंसणेणं दंसणी, चरित्तेणं चरित्ती । से तं पसत्थे। २८१. से किं तं अपसत्थे ? २ कोहेणं कोही, माणेणं माणी, मायाए मायी, लोभेणं लोभी । से तं अपसत्थे । से तं भावसंजोगे । से तं संजोगेणं । २८२. से किं तं पमाणेणं ? २ चउव्वि पण्णत्ते । तं जहा-णामप्पमाणे १ ठवणप्पमाणे २ दव्वप्पमाणे ३ भावप्पमाणे ४ । २८३. से किं तं नामप्पमाणे १२ जस्सणं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा पमाणे त्तिणामं कज्जति । सेतं णामप्पमाणे। २८४.से किं तं ठवणप्पमाणे ? २ सत्तविहे पण्णत्ते। तं जहा- णक्खत्त-देवय-कुले पासंड-गणे यजीवियाहेउं आभिप्पाउयणामे ठवणानामं तु सत्तविहं ।।८५।। २८५. से किं तं नक्खत्तणामे १२ कत्तियाहिं जाए कत्तिए कत्तिदिण्णे कत्तिधम्मे कत्तिसम्मे कत्तिदेवे कत्तिदासे कत्तिसेणे कत्तिरक्खिए। रोहिणीहिं जाए रोहिणिए रोहिणिदिन्ने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणिदासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए। एवं सव्वणक्खत्तेसुणामा भाणियव्वा । एत्थ संगहणिगाहाओ कत्तिय १ रोहिणि २ मिगसिर ३ अद्दा ४ य पुणव्वसू ५ य पुस्से ६ य । तत्तो य अस्सिलेसा ७ मघाओ ८ दो फग्गुणीओ य ९-१०॥८६|| हत्थो ॐ ११ चित्ता १२ सादी १३ [य] विसाहा १४ तह य होइ अणुराहा १५। जेट्ठा १६ मूलो १७ पुव्वसाढा १८ तह उत्तरा १९ चेव ।।८७।। अभिई २० सवण २१ धणिट्ठा २२ सतिभिसदा २३ दो य होति भद्दवया २४-२५ । रेवति २६ अस्सिणि २७ भरणी २८ एसा नक्खत्तपरिवाडी ।।८८।। से तं नक्खत्तनामे । २८६. से किं तं । देवयणामे ? २ अग्गिदेवयाहिं जाते अग्गिए अग्गिदिण्णे अग्गिधम्मे अग्गिसम्मे अग्गिदेवे अग्गिदासे अग्गिसेणे अग्गिरक्खिए । एवं पि सव्वनक्खत्तदेवतनामा भाणियव्वा । एत्थं पिय संगहणिगाहाओ, तं जहा- अग्गि १ पयावइ २ सोमे ३ रुद्दे ४ अदिती ५ बहस्सई ६ सप्पे ७। पिति ८ भग ९ अज्जम १० सविया ११ तट्ठा Horos 5 555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१७२० 5555555555555555555#FOOL Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IG.105555555555555 (४५) अणुओगदाराई २०] $$ $$$ $$$$$ $$2 0 Mero 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 र १२ वायू १३ य इंदग्गी १४ ॥८९।। मित्तो १५ इंदो १६ णिरिती १७ आऊ १८ विस्सो १९ य बंभ २० विण्हू य २१ । वसु २२ वरुण २३ अय २४ विवद्धी २५ पूसे म २६ आसे २७ जमे २८ चेव ॥९०|| सेतं देवयणामे। २८७. से किं तं कुलनामे ? २ उग्गे भोगे राइण्णे खत्तिए इक्खागे णाते कोरव्वे । सेत्तं कुलनामे। २८८. से किं , तंपासंडनामे ? २ समणए पंडरंगए भिक्खू कावालियए तावसए परिव्वायगे। से तं पासंडनामे। २८९. से किं तं गणनामे ? २ मल्ने मल्लदिन्ने मल्लधम्मे मल्लसम्मे मल्लदेवे मल्लदासे मल्लसेणे मल्लरक्खिए। से तं गणनामे । २९०.से कि तं जीवियाहेउं ? २ अवकरए उक्कुरुडए उज्जियए कज्जवए सुप्पए । से तं जीवियाहेडं। ॐ २९१. से किं तं आभिप्पाउयनामे ? २ अंबए निंबए बबूलए पलासए सिणए पिलुयए करीरए । से तं आभिप्पाउयनामे । से तं ठवणप्पमाणे । २९२. से किं तं दव्वप्पमाणे ? २ छविहे पण्णत्ते। तं जहा-धम्मत्थिकाए जाव अद्धासमए से तं दव्वप्पमाणे । २९३. से किं तं भावप्पमाणे? २ चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा-सामासिए ' १ तद्धितए २ धातुए ३ निरुत्तिए ४।२९४. से किं तं सामासिए ? २ सत्त समासा भवंति। तं जहा-दंदे १ य बहुम्वीही २ कम्मधारए ३ दिग्गु ४ य । तप्पुरिस ५ ॥ अव्वइभावे ६ एक्कसेसे ७ य सत्तमे ॥९१।। २९५. से किं तं दंदे समासे? २ दन्ताश्च ओष्ठौ च दन्तोष्ठम्, स्तनौ च उदरं च स्तनोदरम्, वस्त्रं च पात्रं च वस्त्रपात्रम्, अश्वश्च महिश्च अश्वमहिषम्, अहिश्च नकुलश्च अहिनकुलम् । से तं दंदे समासे । २९६. से किं तं बहुव्रीहिसमासे ? २ फुल्ला जम्मि गिरिम्मि कुडय-कलंबा सो इमो गिरी फुल्लियकुडय-कलंबो । से तं बहुव्रीहिसमासे । २९७. से किं तं कम्मधारयसमासे ? २ धवलो वसहो धवलवसहो, किण्हो मिगो किण्हमिगो, सेतो पटो सेतपटो, रत्तो पटो रत्तपटो। से तं कम्मधारयसमासे । २९८. से किं तं दिगुसमासे ? २ तिण्णि कडुगा तिकडुगं, तिणि महुराणि तिमहुरं, तिण्णि गुणा तिगुणं, तिण्णि पुरा तिपुरं, तिण्णि सरा तिसरं, तिण्णि पुक्खरा तिपुक्खरं, तिण्णि बिंदुवा तिबिंदुयं, तिण्णि पहा तिपहं, पंच णदीओ पंचणदं, सत्त गया सत्तगयं, नव तुरगा नवतुरगं, दस गामा दसगाम, दस पुरा दसपुर। से तं दिगुसमासे । २९९. से किं तं तप्पुरिसे समासे ? २ तित्थे कागो तित्थकागो, वणे हत्थी वणहत्थी, वणे वराहो वणवराहो, वणे महिसो वणमहिसो, वणे मयूरो वणमयूरो । से तं तप्पुरिसे समासे । ३००. से किं तं अव्वइभावे समासे ? २ अणुगामं अणुणदीयं अणुफरिहं अणुचरियं । से तं अव्वईभावे समासे । ३०१. से किं तं एगसेसे समासे ? २ जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो, जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो, जहा एगो साली तहा बहवे सालिणो जहा बहवे सालिणो तहा एगो साली । से तं एगसेसे समासे । से तं सामासिए। ३०२. से किं तं तद्धियए ? २ कम्मे १ सिप्प २ सिलोए ३ संजोग ४ समीवओ ५ य संजूहे ६ । इस्सरिया७ऽवच्चेण ८ य तद्धितणामं तु अट्ठविहं ।।९२॥ ३०३. से किं तं कम्मणामे ? दीस्सिए सोत्तिए कप्पासिए सुत्तवेतालिए भंडवेतालिए कोलालिए, णरदावणिए । से तं कम्मनामे । ३०४. से किं तं सिप्पनामे ? २ वत्थिए तंतिए तुण्णाए तंतुवाए पट्टकारे देअहे वरुडे भुंजकारे कट्ठकारे छत्तकारे वज्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे। सेतं सिप्पनामे । ३०५. से किं तं सिलोयनामे ? २ समणे माहणे सच्चतिही। से तं सिलोयनामे । ३०६. से किं तं संजोगनामे ? २ रण्णो ससुरए, रण्णो सालए, रण्णो सङ्खए, रण्णो जामाउए, रन्नो भगिणीवती । से तं संजोगनामे । ३०७. से किं तं समीवनामे ? २ गिरिस्स समीवे णगरं गिरिणगरं, विदिसाए समीवे णगरं वेदिसं, वेन्नाए समीवे णगरं वेन्नायडं, तगराए समीवे णगरं तगरायडं | से तं समीवनामे । ३०८. से किं तं संजूहनामे ? २ तरंगवतिकारे मलयवतिकारे अत्ताणुसट्ठिकारे बिंदुकारे। सेतं संजूहनामे। ३०९. से किं तं ईसरियनामे ? २ राईसरे तलवरे माडबिए कोडुबिए इन्भे सेट्ठी सत्थवाहे सेणवई। सेतं ईसरियनामे। ३१०. से किं तं अवच्चनामे ? २ तित्थयरमाया चक्कवट्टिमाया बलदेवमाया वासुदेवमाया रायमाया गणिमाया वायगमाया। से तं अवच्चनामे । से तं तद्धिते । ३११. से किं तं धाउए ? २ भू सत्तायां परस्मैभाषा, एध वृद्धौ, स्पर्द्ध संहर्षे, गा, प्रतिष्ठा-लिप्सयोर्ग्रन्थे च, बाधृ लोडने । से तं धाउए। ३१२. से किं तं निरुत्तिए ? २ मह्यां शेते ऽ 4 महिश:, भ्रमति च रौति च भ्रमर:, मुहर्मुहर्लसंति मुसलं, कचिरिव लम्बते त्यच्च करोति कपित्थं, चिदिति करोति खल्लं च भवति चिक्खल्लं, ऊर्ध्वकर्ण: उलूकः, ॐ OC玩乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听中出2d Prows卐55555555555555 श्री आगमगुणमंजवा - १७२१55555555555555 5 555555ORE Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66666666与与出与出的 खस्य माला मेखला । से तं निरुतिए । से तं भावप्पमाणे । से तं पमाणनामे से तं दसनामे से तं नामे । ॥ नामे त्ति पयं सम्मत्तं । । [सुत्ताई ३१३-५२०. पमाणदारं] ३१३. से किं तं पमाणे ? २चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा दव्वप्यमाणे १ खेत्तप्पमाणे २ कालप्पमाणे ३ भावप्पमाणे ४ । ३१४. से किं तं दव्वपमाणे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा पदेस-निप्फण्णे य १ विभागनिप्फण्णे य २ । ३१५. से किं तं पदेसनिप्फण्णे । ? २ परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणतपदेसिए । से तं पदेसनिप्फण्णे । ३१६. से किं तं विभागनिफ्फण्णे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा माणे १ उम्माणे २ ओमाणे ३ गणिमे ४ पडिमाणे ५ । ३१७. से किं तं माणे ? २ दुवि पण्णत्ते । तं जहा धन्नमाणप्पमाणे य १ रसमाणप्पमाणे य २ । ३१८. से किं तं धण्णमाणप्पमाणे ? २ दो असतीओ पसती, दो पसतीओ सेतिया, चत्तारि सोतियाओं कुलओ, चत्तारि कुलया पत्थो चत्तारि पत्थया आढयं चत्तारि आढयाइं दोणो, सट्ठि आढयाइं जहन्नए कुंभे, असीतिआढयाइं मज्झिमए कुंभे, आढयसतं उक्कोसए कुंभे, अट्टआढयसतिए वाहे । ३१९. एएणं धण्णमाणप्पमाणेणं किं पओयणं ? एतेणं धण्णमाणप्पमाणेणं मुत्तोली- मुरव- इड्डर - अलिंद - अपवारिसंसियाणं धणाणं धणमाणप्यमाणनिव्वित्तिलक्खणं भवति । से तं धण्णमाणप्पमाणे । ३२०. से किं तं रसमाणप्पमाणे ? २ धण्णमाणप्पमाणाओ चउभागविवड्डिए अभिंतरसिहाजुत्ते रसमाणप्पमाणे विहिज्जति । तं जहा चउसट्ठिया ४, बत्तीसिया ८, सोलसिया १६, अट्टमाइया ३२, चउभाइया ६४, अद्धमाणी १२८, माणी २५६ | दो चउसट्ठियाओ बत्तीसिया, दो बत्तीसियाओ सोलसिया, दो सोलसियाओ अट्टभातिया, दो अट्टभाइयाओ चउभाइया, दो चउभाइयाओ अद्धमाणी, सो अद्धमाणीओ माणी । ३२१. एतेणं रसमाणप्पमाणेणं किं पओयणं ? एएणं रसमाणप्पमाणेणं वारग घडग करग-किक्किरि-दइय-करोडि-कुंडियसंसियाणं रसाणं रसमाणप्पमाणनिव्वित्तिलक्खणं भवइ । से तं रसमाणप्पमाणे । से तं माणे । ३२२. से किं तं उम्माणे ? २ जण्णं उम्मिणिज्जइ । तं जहा अद्धकरिसो करिसो अद्धपलं पलं अद्धतुला अद्धभारो भारो । दो अद्धकरिसा करिसो, दोकरिसा अद्धपलं, दो अद्धपलाई पलं, पंचुत्तरपलसतिया तुला, दस तुलाओ अदभारो, वीसं तुलाओ भारो । ३२३. एएणं उम्माणपमाणेणं किं पयोयणं ? एतेणं उम्माणपमाणेणं पत्त-अगलु-तगर-चोयय-कुंकुम खंड-गुल-मच्छंडियादीणं दव्वाणं उम्माणपमाणणिव्वत्तिलक्खणं भवति । से तं उम्माणपमाणे । ३२४. से किं तं ओमाणे ? २ जण्णं ओमिणिज्जति । तं जहा हत्थेण वा दंडेण वा धणुएण वा जुगेण वा णालियाए वा अक्खेण वा मुसलेण वा । दंडं धणू जुगं णालिया य अक्ख मुसलं च चउहत्थं । दसनालियं च रज्जुं वियाण ओमाणसण्णा ||९३ || वत्थुम्मि हत्थमिज्जं खित्ते दंडं धणुं च पंथम्मि | खायं च नालियाए वियाण ओमाणसण्णाए ||९४ || ३२५. एतेणं ओमाणपमाणेणं किं पओयणं ? एतेणं ओमाणप्पमाणेणं खाय-चिय-करगचित-कड-पड-भित्ति परिक्खेवसंसियाणं दव्वाणं ओमाणप्पमाणनिवत्तिलक्खणं भवति । से तं ओमाणे । ३२६. से किं तं गणिमे ? २ जण्णं गणिज्जति । तं जहा एक्को दसगं सतं सहस्सं दससहस्साइं सतसहस्सं दससतसहस्साइं कोडी । ३२७. एतेणं गणिमप्पमाणेणं किं पओयणं ? एतेणं गणिमप्पमाणेणं भितग- भिति भत्त-वेयण- आय-व्वयनिव्विसंसियाणं दव्वाणं गणिमप्पमाणनिव्वित्तिलक्खणं भवति । से तं गणिमे । ३२८. से किं तं पडिमाणे ? २ जण्णं पड़िमिणिज्जइ । तं जहा गुंजा कागणी निप्फावो कम्ममासओ मंडलओ सुवण्णो । पंच गुंजाओ कम्ममासओ, कागण्यपेक्षया चत्तारि कागणीओ कम्ममासओ । तिणि निप्फावा कम्ममासओ, एवं चउक्को कम्ममासओ । बारस कम्ममासया मंडलओ, एवं अडयालीसाए कागणीए मंडलओ । सोलस कम्ममासया सुवण्णो, एवं चउसट्ठीए कागणीए सुवण्णो । ३२९. एतेणं पडिमाणप्पमाणेणं किं पओयणं ? एतेणं पडिमाणप्पमाणेणं सुवण्ण रजत-मणि-मोत्तिय संख-सिल-प्पवालादीणं दव्वाणं पडिमाणप्पमाणनिव्वत्तिलक्खणं भवति । से तं पडिमाणे । से तं विभागनिप्फण्णे । से तं दव्वपमाणे । ३३०. से किं तं खेत्तप्पमाणे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं T जहा पदेसणिफण्णेय १ विभागणिप्फण्णे य २ । ३३१. से किं तं पदेसणिप्फण्णे ? २ एगपदेसोगाढे दुपदेसोगाढे जाव संखेज्जपदेसोगाढे असंखिज्जपदेसोगाढे। से तं पएसणिप्फण्णे । ३३२. से किं तं विभागणिप्फण्णे । २ अंगुल विहत्थि रयणी कुच्छी धणु गाउयं च बोधव्वं । जोयणसेढी पयरं लोगमलोगे वि य तहेव ||१५|| (४५) अणु आगदारा श्री आगमगुणमजूषा १७२२ (25) תתתתתתם Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HORO55555555555 (४५) अणुओगदाराई 555555555555555FOTO 955555555555555SOCTOR ३३३. से किं तं अंगुले ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा आयंगुले १ उस्सेहंगुले २ पमाणंगुले ३ । ३३४. से किं तं आयंगुले ? २ जेणं जया मणुस्सा भवंति तेसि णं तया अप्पणो अंगुलेणं दुवालस अंगुलाइं मुहं, नवमुहाइं पुरिसे पमाणजुत्ते भवति, दोणिए पुरिसे माणजुत्ते भवति, अद्धभारं तुलमाणे पुरिसे उम्माणजुत्ते भवति । माणुम्माण-पमाणे जुत्ता लक्खण-वंजण-गुणेहिं उववेया। उत्तमकुलप्पसूया उत्तमपुरिसा मुणेयव्वा ।।९६|| होति पुण अहियपुरिसा अट्ठसतं अंगुलाण उव्विद्धा। छण्णउति अहमपुरिसा चउरुत्तर मज्झिमिल्ला उ॥९७|| हीणा वा अहिया वा जे खलु सर-सत्त-सारपरिहीणा । ते उत्तमपुरिसाणं अवसा पेसत्तणमुवेति ॥९८|| ३३५. एतेणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाई पादो, दो पाया विहत्थी, दो विहत्थीओ रयणी, दो रयणीओ कुच्छी, दो कुच्छीओ दंडं धणू जुगे नालिया अक्खमुसले, दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं । ३३६. एएणं आयंगुलप्पमाणेणं किं पओयणं ? एतेणं आयंगुलप्पमाणेण जे णं जया मणुस्सा भवंति तेसिं तया अप्पणो अंगुलेणं अगड-दह-नदी-तलाग-वापी-पुक्खरणि-दीहिया-गुंजालियाओ सरा सरपंतियाओ सरसरंपतियाओ बिलपंतियाओ आरामुज्जाण-काणण-वणवणसंड-वणराईओ देवकुल-सभा-पवा-थूम-खाइय-परिहाओ पागारा-ऽट्टालग-चरिय-दार-गोपुर-तोरण-पासाद-घर-सरण-लेण-आवण-सिंघाडग-तिय-चउक्कचच्चर-चउमुह-महापह-पहा सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीय-संदमाणिय-लोही-लोहकड़ाह-कडुच्छुय-आसण-सतण-खंभ-भंड-मत्तोवगर-णमादीणि अज्जकालिगाइं च जोयणाई मविज्जति। ३३७. से समासओ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-सूतिअंगुले १ पयरंगुले घणंगुले ३ । अंगुलायता एगपदेसिया सेढी सूइअंगुले १ सूयी सूयीए गुणिया पयरंगुले २ पयरं सूईए गुणितं घणंगुले ३ ॥ ३३८. एतेसि णं भंते ! सूतिअंगुल-पयरंगुल-घणंगुलाण य कतरे कतरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ? सव्वत्थोवे सूतिअंगुले, पतरंगुले असंखेज्जगुणे, घणंगुले असंखेजगुणे । से तं आयंगुले । ३३९. से किं तं उस्सेहंगुले ? २ अणेगविहे पण्णत्ते । तं जहा परमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च वालस्स । लिक्खा जूया य जवो अट्ठगुणविवड्डिया कमसो ॥९९।। ३४०. से किं तं परमाणू ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-सुहुमे य १ वावहारिए य २।३४१. तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे। ३४२. से किं तं वावहारिए ? २ अणंताणं सुहुमपरमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमाकमेणं से एगे वावहारिए परमाणुपोग्गले निप्पज्जति । ३४३. [१] सेणं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा ? हंता ओगाहेज्जा । से णं तत्थ छिज्जेज वा भिज्जेज वा ? नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमति । [२] से णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीतीवदेना ? हंता वितीवदेजा। से णं तत्थ डहेज्जा ? नो तिणद्वे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमति। [३] सेणं भंते ! पुक्खलसंवट्टयस्स महामेहस्स मज्झमज्झेणं वीतीवदेज्ना? हंता वीतीवदेज्जा । से णं तत्थ उदउल्ले सिया ? नो तिणद्वे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमति। [४] सेणं भंते । गंगाए महाणईए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ? हेता हव्वमागच्छेज्जा । सेणं तत्थ विणिघायमावज्जेज्जा ? नो तिणढे समढे, णो खलु तत्थ सत्थं कमति। [५] से णं भंते ! उदगावत्तं वा उदगबि, वा ओगहेज्जा ? हंता ओगाहेज्जा । सेणं तत्थ कुच्छेज्ज वा परियावज्जेज वा ? णो इणमढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमति । सत्थेण सुतिक्खेण वि छेत्तुं भेत्तुं व जं किर न सक्का । तं परमाणू सिद्धा वयंति आदी पमाणाणं ॥१००।। ३४४. अणंताणं वावहारियपरमाणुपोग्गलाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हिया ति वा सहसण्हिया ति वा उड्ढरेणू ति वा तसरेणू ति वा रहरेणू ति वा। अट्ठ उस्सण्हसण्हियाओ सा एगा सण्हसण्हिया । अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा उड्ढरेणू । अट्ठ उड्डरेणूओ सा एगा तसरेणू । अट्ठतसरेणूओ सा एगा रहरेणू । अट्ठ रहरेणूओ देवकुरु-उत्तर-कुरुयाणं मणुयाणं से एगे वालग्गे । अट्ट देवकुरु-उत्तरकुरुयाणं मणुयाणं वालग्गा हरिवास-रम्मगवासाणं मणुयाणं से एगे वालग्गे। अट्ठ हरिवस्सरम्मयवासाणं मणुस्साणं वालग्गा, हेमवय-हेरण्णवयवासाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे । अट्ट हेमवय-हेरण्णवयवासाणं मणुस्साणं वालग्गा पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे । अट्ठ पुव्वविदेह-अवरविदेहाणं मणूसाणं वालग्गा भरहेरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे । अट्ठ भरहेरवयाणं मणूसाणं वालग्गा सा एगा लिक्खा। अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया। अट्ठ जूयातो से एगे जवमज्झे । अट्ठ जवमज्झे से एगे उस्सेहंगुले। ३४५. एएणं अंगुलपमाणेणं 2 छ अंगुलाई पादो, बारस अंगुलाई विहत्थी, चउवीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्नउती अंगुलाई से एगे दंडे इ वा धणू इ वा जुगे इ वा नालिया xex555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१७२३555555555555555555555$$$OOK 545555555555555555$$$$$$$$$$5555555555555555OOR $5乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐5C Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR9545555555555555 (४५) अणुओगदाराई (२३] $$ $ $ $$$$$$2 0 OC乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐55C इवा अक्खे इ वा मुसले इवा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साइं गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं । ३४६. एएणं उस्सेहंगुलेणं किं पओयणं? एएणं उस्सेहंगुलेणं णेरइयतिरिक्खजोणिय-मणूस-देवाणं सरीरोगाहणाओ मविनंति । ३४७. [१] णेरइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गोतमा ! दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-भवधारणिज्जा य १ उत्तरवेउव्विया य २। तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं पंच धणूसयाइं । तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहण्णेणं अंगुलस्स संखेजइभाग, उक्कोसेणं धणुसहस्सं। [२] रयणप्पभापुढवीए नेरझ्याणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-भवधारणिज्जा य १ उत्तरवेउव्विया य २ । तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त धणूइं तिण्णि रयणीओ छच्च अंगुलाई। तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं पण्णरस धणूई अड्डाइज्जाओ रयणीओ य। [३] सक्करप्पभापुढविणेरइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-भवधारणिज्जा य १ उत्तरवेउव्विया य २। तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं पण्णरस धणूई अड्डाइज्जाओ रयणीओ य। तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं एक्कत्तीसं धूणइं रयणी य। [४] वालुयपभापुढवीए णेरइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पं०? गो०! दुविहा पण्णत्ता, तं जहाभवधारणिज्जा य १ उत्तरवेउब्विया य २। तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं एक्कतीसं धणूई रयणी य । तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजतिभागं, उक्कोसेणं बास४ि धणूई दो रयणीओ य। [५] एवं सव्वासिं पुढवीणं पुच्छा भाणियव्वा-पंकप्पभाए भवधारणिज्जा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्कोसेणं बासहिँ धणूइं दो रयणीओ य, उत्तरवेउव्विया जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं पणुवीसं धणुसयं । धूमप्पभाए भवधारणिज्जा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं पणुवीसं धणुसयं, उत्तरवेउब्विया जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं अड्डाइज्जाइंधणूसयाई। तमाए भवधारणिज्जा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्कोसेणं अड्डाइज्जाइंधणूसयाई, उत्तरवेउव्विया जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं पंच धणुसयाइं। [६] तमतमापुढविनेरइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता। तं जहा-भवधारणिज्जा य १ उत्तरवेउब्विया ॥ य २। तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं पंच धणूसयाई । तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धणुसहस्सं। ३४८. [१] असुरकुमाराणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोतमा ! दुविहा पण्णत्ता । तं०-भवधारणिज्जा य १ उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त रयणीओ । तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं जोयणसतसहस्सं। [२] एवं असुरकुमारगमेणं जाव थणितकुमाराणं ताव भाणियव्वं । ३४९. [१] पुढविकाइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जति भागं । एवं सुहुमाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाणं बादराणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाणं च भाणियव्वं । एवं जाव बादरवाउक्काइयाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाणं भाणियव्वं । [२] वणस्सइकाइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गो० जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं । सुहुमवणस्सइकाइयाणं ओहियाणं १ अपज्जत्तयाणं २ पज्जत्तगाणं ३ तिण्ह विजहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं वि अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं । बादरवणस्सतिकाइयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं; अपज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं; पज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं । ३५०. [१] एवं बेइंदियाईणं पुच्छा भाणियव्वा-बेइंदियाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं बारस जोयणाई; अपज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेजइभागं; पज्जत्तयाणं ज० अंगुलस्स संखेज्जइभागं, उक्कोसेणं बारस जोयणाई। [२] तेइंदियाणं पुच्छा. गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं; reso ###555555555555 श्री आगमगुणमजूषा १७२८4555555555555555555$$$07 ORY 50%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听乐听听C息 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGR95555555555555555 (४५) अणुओगदाराई [२४] 55555555555555550Tort HOTO555555555555555555555 SNOR95555555555555555555555555555555555555555555555FFODXONS अपज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेजइभाग: पज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजतिभागं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई। [३] चउरिदियाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई, अपज्जत्तयाणं जहन्नेणं उक्कोसेणं वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं; पज्जत्तयाणं पुच्छा, जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई । ३५१. [१] पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोअमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । [२] जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव । सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियाणं एवं चेव । अपज्जत्तगसम्मुच्छिमजलयरपंचेदियाणं पुच्छा, जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असं०। पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, जहन्नेणं अंगु० संखे०, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । अपज्जत्तयाणं पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगु० असं० । पज्जत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंगु० संखे०, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं। [३] चउप्पयथलयराणं पुच्छा. गो० ! जह० अंगुलस्स असं०, उक्कोसेणं छ गाउयाई । सम्मुच्छिमचउप्पयथलयराणं पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असं०, उक्को० गाउयपहुत्तं० । अपज्जतगसम्मुच्छिमचउप्पयभलयराणं पुच्चा गो० जह० अंगु० असं० उक्को० अंगु० असं० पज्जत्तगसम्मुच्छिमचउप्पयथलयराणं पुच्छा, गो०! जहन्नेणं अंगु० संखे०, उक्को० गाउअपुहत्तं । गम्भवक्कं तियचउप्पयथलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जह० अंगु० असं०, उक्को० छ गाउयाई । अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगु० असं०; पज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगु० संखे०, उक्कोसेणं छ गाउयाई । उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगु० असं०, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । सम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगु० असंखे०, उक्कोसेणं जोयणपुहत्तं; अपज्जत्तयाणं जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगुल० असं०; पज्जत्तयाणं जह० अंगु० संखे०, उक्कोसेणं जोयणपुहत्तं । गम्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयर० जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं जोयणसहस्स; अपज्जत्तयाणं जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगु० असं०; पज्जत्तयाणं जह० अंगु० संखे०, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । भुयपरिसप्पथलयराणं पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असंखे०, उक्कोसेणं गाउयपुहत्तं । सम्मुच्छिमभुय० जाव जह० अंगु० असं०, उक्को० धणुपुहत्तं । अपज्जत्तगसम्मुच्छिमभुय० जाव पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असं०, उक्को० अंगु० असं० । पज्जत्तयाणं जह० अंगु० संखे०, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं । गब्भवक्कंतियभुय० जाव पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं गाउयपुहत्तं; अपज्जत्तयाणं जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगु० असं०; पज्जत्तयगब्भवक्वंतिय० जाव पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० संखे०, उक्को० गाउयपुहत्तं । [४] खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं०, गो० ! जह० अंगु० असं०, उक्को० धणुपुहत्तं । सम्मुच्छिमखहयराणं जहा भुयपरिसप्पसम्मुच्छिमाणं तिसु विगभेसुतहा भाणियव्वं । गब्भवक्कंतियाणं जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं; अपज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगु० असं०, उक्को० अंगु० असं०; पज्जत्तयाणं जह० अंगु० संखे०, उक्को० धणुपुहत्तं । [५] एत्थं संगहणिगाहाओ भवंति । तं जहाजोयणसहस्स गाउयपुहत्त तत्तो य जोयणपुहत्तं । दोण्हं तु धणुपुहत्तं सम्मुच्छिम होइ उच्चत्तं ॥१०१|| जोयणसहस्स छग्गाउयाइं तत्तो य जोयणसहस्सं । गाउयपुहत्त भुयगे पक्खीसु भवे धणुपुहत्तं ॥१०२।। ३५२. [१] मणुस्साणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई। [२] सम्मुच्छिममणुस्साणं जाव गोयमा ! जहन्नेणं अंगु० असं०, उक्को० अंगु० असं०। [३] गब्भवक्कंतियमणुस्साणं जाव गोयमा ! जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई। अपज्जत्तगगब्भवक्तंतियमणुस्साणं पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं वि० अंगु० असं० पज्जत्तयग० पुच्चा, गो०! जह० अंगु० संखे० उक्कोसेणं तिन्नि गाउआई। ३५३. वाणमंतराणं भवधारणिज्जा उत्तरवेउब्विआ य जहा असुरकुमाराणं तहा भाणियव्वं । ३५४. जहा वाणमंतराणं तहा जोतिसियाणं । ३५५. [१] सोहम्मयदेवाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गोयमा ! दुविहा प० । तं०-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त रयणीओ। तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं, उक्कोसेणं Meres555555555555555555555555 श्री आगमगणमंजषा - १७२५55555555555555555555555555FONOR 55555555555555555550xx Education interna Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G9555555555555555 (४५) अणुओगदाराई २५] $$$$$$ $$$$ $$20 听听听听听听听听听听听听听乐 乐玩玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听 र जोयणसतसहस्सं । [२] जहा सोहम्मे तहा ईसाणे कप्पे वि भाणियब्वं । [३] जहा सोहम्मयदेवाणं पुच्छा तहा सेसकप्पाणं देवाणं पुच्छा भाणियव्वा जाव अच्चुयकप्पो-सणंकुमारे भवधारणिज्जाजह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं छ रयणीओ; उत्तरवेउब्विया जहा सोहम्मे । जहा सणंकुमारे तहा माहिदे । बंभलोग-लंतएसु भवधारणिज्जा जह० अंगुल असं०. उक्को० पंच रयणीओ; उत्तरवेउब्विया जहा सोहम्मे । महासुक्क-सहस्सारेसु भवधारणिज्जा जहन्नेणं अंगु० असं०, उक्कोसेणं चत्तारि रयणीआ: उत्तरवेउब्विया जहा सोहम्मे । आणत-पाणत-आरण-अच्चुतेसु चउसु वि भवधारणिज्जा जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं तिण्णि रयणीओ; उत्तरवेउव्विया जहा सोहम्मे। [४] गेवेज्जयदेवाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ? गो० ! गेवेज्जगदेवाणं एगे भवधारणिज्जए सरीरए, से जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं, उक्कोसेणं दो रयणीओ। [५] अणुत्तरोववाइयदेवाणं भंते ! केमहालिया सरीरगाहणा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणुत्तरोववाइयदेवाणं एगे भवधारणिज्जए सरीरए, से जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं एक्का रयणी। ३५६. से समासमो तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-सूईअंगुले पयरंगुले घणंगुले। अंगुलायता एगपदेसिया सेढी सूईअंगुले, सूई सूईए गुणिया पयरंगुले, पयरं सूईए गुणियं घणंगुले । ३५७. एएसि णं सूचीअंगुल-पयरंगुल-घणंगुलाणं कतरे कतरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विससाहिए वा ? सव्वत्थोवे सूईअंगुले, पयरंगुले असंखेजगुणे, घणंगुले असंखेजगुणे । सें तं उस्सेहंगुले । ३५८. से किं तं पमाणंगुले ? [२] एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स अट्ट सोवण्णिए कागणिरयते छत्तले दुवालसंसिए अट्ठकण्णिए अहिगरणिसंठाणसंठिए पण्णत्ते, तस्स णं 3 एगमेगा कोडी उस्सेहंगुलविक्खंभा, तं समणस्स भगवओ महावीरस्स अद्धंगुलं, तं सहस्सगुणं पमाणंगुलं भवति । ३५९. एतेणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पादो, दो पाया-दुवालस अंगुलाई विहत्थी, दो विहत्थीओ रयणी, दो रयणीओ कुच्छी, दो कुच्छीओ धणू, दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं । ३६०. एतेणं पमाणंगुलेणं किं पओयणं? एएणं पमाणंगुलेणं पुढवीणं कंडाणं पायालाणं भवणाणं भवणपत्थडाणं निरयाणं निरयावलियाणं निरयपत्थडाणं कप्पाणं विमाणाणं विमाणावलियाणं विमाणपत्थडाणं टंकाणं कूडाणं सेलाणं सिहरीणं पब्भाराणं विजयाणं वक्खाराणं वासाणं वासहराणं वासहरपव्वयाणं वेलाणं वेइयाणं दाराणं तोरणाणं दीवाणं समुद्दाणं आयाम-विक्खंभ-उच्चत्तोव्वेह-परिक्खेवा मविनंति । ३६१. से समासओ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-सेढीअंगुले पयरंगुले घणंगुले । असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ सेढी, सेढी सेढीए गुणिया पतरं, पतरं सेढीए गुणितं लोगो, संखेज्जएणं लोगो गुणितो संखेजा लोगा, असंखेज्जएणं लोगो गुणिओ असंखेज्जा लोगा। ३६२. एतेसिणं सेढीअंगुल-पयरंगुल-घणंगुलाणं कतरे कतरेहितो अप्पे वा बहुए वा तुल्ले वा विसेसाहिए वा ? सव्वत्थोवे सेढिअंगुले, पयरंगुले असंखेज्जगुणे, घणंगुले असंखेज्जगुणे । से तं पमाणंगुले । से तं विभागनिप्पण्णे। सेतं खेत्तप्पमाणे । ३६३. से किं तं कालप्पमाणे? २ दुविहे पण्णत्ते। तंजहापदेसनिप्पण्णे य विभागनिप्पण्णे य । ३६४. से किं तं पदेसनिप्पण्णे ? २ एगसमयद्वितीए दुसमयद्वितीए तिसमयद्वितीए जाव असंखेज्जसमयट्ठिईए। से तं पदेसनिप्पण्णे । ३६५. से किं तं विभागनिप्पण्णे ? २ समयाऽऽवलिय-मुहुत्तादिवस-अहोरत्त-पक्ख-मासा य । संवच्छर-जुग-पलिया सागर-ओसप्पि-परिअट्टा ||१०३।। ३६६. से किं तं समए ? समयस्स णं परूवणं करिस्सामि-से जहाणामए तुण्णागदारए सिया तरुणे बलगं जुगवं जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणिपाय-पास-पिटुंतरोरुपरिणते तलजमलजुयल-परिघणिमबाहू चम्मेदृग-दुहण-मुट्ठियसमाहयनिचियगत्तकायेलंघण-पवण-जइणवायामसमत्थे उरस्सबलसमण्णागए 'छेए दक्खे पत्तढे कुसले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए एगं महतिं पडसाडियं वा पट्टसाडियं वा गहाय सयराह हत्थमेतं ओसारेज्जा । तत्थ चोयए घण्णवयं एवं वयासी-जेणं कालेणं तेणं तुण्णागदारएणं तीसे पडसाडियाए वा पट्टसाडियाए वा सयराहं हत्थमेत्ते ओसारिए से समए भवइ ? नो इणमढे समढे । कम्हा ? जम्हा म संखेज्जाणं तंतूणं समुदयसमितिसमागमेणं पडसाडिया निप्पज्जइ, उवरिल्लम्मि तंतुम्मि अच्छिण्णे हेट्टिले तंतू ण छिज्जइ, अण्णम्मि काले उवरिल्ले तंतू छिज्जइ + अण्णम्मि काले हिडिल्ले तंतू छिज्जति, तम्हा से समए न भवति । एवं वयंत पण्णवर्ग चोयए एवं वयासि-जेणं कालेणं तेणं तुण्णागदाराणं तीसे पडसाडियाए वा १ पट्टसाडियाए वा उवरिल्ले तंतू छिण्णे से समए ? ण भवति । कम्हा ? जम्हा संखेज्जाणं पम्हाणं समुदयसमितिसमागमेणं एगे तंतू निप्फज्जइ, उवरिल्ले पम्हम्मि xes ##555555$$555555 श्री आगमगुणमजूषा १७२६ 4555555555555555FFFFOR SOF听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听网 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C%5F听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听GO NO.105555555555555 (४५) अणुओगदाराई ।२६) $$ $$$$$$$$$ $55222 अच्छिण्णे हेट्टिले पम्हे न छिज्जति, अण्णम्मि काले उवरिल्ले पम्हे छिज्जति अण्णम्मि काले हेट्टिल्ले पम्हे छिज्जति, तम्हा से समए ण भवति । एवं वदंतं पण्णवगं चोयए एवं वदासि-जेण कालेणं तेणं तुण्णागदाराएणं तस्स तंतुस्स उवरिल्ले पम्हे छिण्णे से समए ? ण भवति । कम्हा ? जम्हा अणंताणं संघाताणं समुदयसमितिसमागमेणंएग पम्ह णिप्फज्जइ. उवरिल्ले संघाते अविसंघातिए हेट्टिले संघाते ण विसंघाडिज्नति, अण्णम्मि काले उवरिल्ले संघाए विसंघातिज्जइ अण्णम्मि काले हेछिल्ले संघए विराघादिज्जइ, तम्हा से समए ण भवति । एत्तो वि णं सुहुमतराए समए पण्णत्ते समणाउसो ! । ३६७. असंखेज्जाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा आवलिय त्ति पवुच्चइ । संखेज्जाओ आवलियाओ ऊसासो । संखेज्जाओ आवलियाओ नीसासो । हट्ठस्स अणवगल्लस्स निरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसास-नीसासे एस पाणु त्ति वुच्चति ।।१०४।। सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए एस मुहुत्ते वियाहिए ॥१०५॥ तिण्णि सहस्सा सत्त य सयाणि तेहत्तरं च उस्सासा । एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहि अणंतनाणीहिं॥१०६।। एतेणं मुहत्तपमाणेणं तीसं मुहत्ता अहोरत्ते, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिण्णि उऊ अयणं, दो अयणाइं संवच्छरे, पंचसंवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससताई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससतसहस्सं, चउरासीई वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीति पुव्वंगसतसहस्साई से एगे पुव्वे, चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइंसे एगे तुडियंगे, चउरासीइंतुडियंगसयसहस्साइं से एगे तुडिए, चउरासीइंतुडियसयसहस्साइं से एगे अडडंगे, चउरासीइं अडडंगसयसहस्साई से एगे अडडे, चउरासीई अडडसयसहस्साइं से एगे अववंगे, चउरासीई अववंगसयसहस्साइं से एगे अववे, चउरासीति अववसतसहस्साइं से एगे हुहुयंगे, चउरासीइं हूहुयंगसतसहस्साई से एगे हूहुए, एवं उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे अउयंगे अउए णउयंगे णउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिया, चउरासीति चूलियासतसहस्साइं से एगे सीसपहेलियंगे, चउरासीतिं सीसपहेलियंगसतसहस्साइं सा एगा सीसपहेलिया। एताव ताव गणिए, . एयावए चेव गणियस्स विसए, अतो परं ओवमिए । ३६८. से किं तं ओवमिए ? २ दुविहा पण्णत्ते। तं जहा-पलिओवमे य सागरोवमे य।३६९. से किं तं पलिओवमे? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा-उद्धारपलिओवमे य अद्धापलिओवमे य खेत्तपलिओवमे य । ३७०. से किं तं उद्धारपलिओवमे १ २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-सुहुमे य वावहारिए य।३७१. तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे । ३७२. तत्थ णं जे से वावहारिए से जहानामए पल्ले सिया-जोयणं आयाम-विक्खंभेणं जोयणं उडे उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं; से णं एगाहिय-बेहिय-तेहिय जाव उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं सम्म8 सन्निचिते भरिए वालग्गकोडीणं । ते णं वालग्गा नो अग्गी डहेज्जा, नो वाऊ हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा, नो पलिविद्धंसिज्जा, णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा। तओणं समए समए एगमेगं वालग्गं अवाहाय जावतिएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लवे णिट्ठिते भवति, सेतं वावहारिए उद्धारपलिओवमे । एएसि पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिता। तं वावहारियस्स उद्धारसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ॥१०७।। ३७३. एतेहिं वावहारियउद्धारपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पयोयणं ? एतेहिं वावहारियउद्धारपलिओवम-सागरोवमेहिं णत्थि किंचि पओयणं, फ केवलं तु पण्णवणा पण्णविज्जति । से तं वावहारिए उद्धारपलिओवमे। ३७४. से किं तं सुहमे उद्धारपलिओवमे ? २ से जहानामए पल्ले सिया-जोयणं आयाम विक्खंभेणं, जोयणं उई उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं; से णं पल्ले एगाहिय-बेहिय-तेहिय० उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं समढे सन्निचिते भरिते वालग्गकोडीणं तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेज्जाइं खंडई कज्जति। तेणं वालग्गा दिट्ठीओगाहणौ असंखेज्जतिभागमेत्ता सुहमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेनगुणा । तेणं वालग्गा णो अग्गी डहेज्जा, णो वाऊ हरेना, णो कुच्छेज्जा, णो पलिविद्धंसेज्जा, णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा । तओ णं समए समए एगमेगं वालग्गं अवहाय जावतितेणं कालणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लवे णिट्ठिए भवति, से तं सुहमे उद्धारपलिओवमे । एतेसिंपल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिया। तं 3 सुहमस्स उद्धारमागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ॥१०८।। ३७५. एएहिं सुहुमेहिं उद्धारपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं ? एतेहिं सुहुमेहिं उद्धारपलिओवम सागरोवमेहिं दीव-समुद्दाणं उद्धारे घेप्पति । ३७६. केवतिया णं भंते ! दीव-समुद्दा उद्धारेणं पन्नत्ता? गो०! जावइया णं अड्डाइज्जाणं उद्धारसमया उद्धारसागरोपमाणं OCK$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听Fa Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RG.99 $$$$$$$$$$$$ (४५) अणुओगदाराइ [२७] 555555555555555xom %$$$$60 %%%%%% % CC%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$$$$$$$ 50 एवतिया णं दीव-समुद्दा उद्धारेणं पण्णत्ता । सेतं सुहुमे उद्धारपलिओवमे । सेतं उद्धारपलिओवमे। ३७७. से किं तं अद्धापलिओवमे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा सुहुमे य वावहारिए य । ३७८. तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे । ३७९. तत्थ णं जे से वावहारिए से जहानामए पल्ले सिया जोयणं आयाम-विक्खंभेणं, जोयणं उर्ल्ड उच्छत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं ; से णं पल्ले एगाहिय-बेहिय तेहिया जाव भरिये वालग्गकोडीणं । ते णं वालग्गा नो अग्गी डहेज्जा, नो वाऊ हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा, नो पलिविद्धंसेज्जा, नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा। ततो णं वाससते वाससते गते एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीट्ठिए भवति, से तं वावहारिए अद्धापलिओवमे। एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हविज्ज दसगुणिया । तं वावहारियस्स अद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ॥१-९।। ३८०. एएहिं ॐ वावहारिएहिं अद्धापलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं ? एएहिं जाव नत्थि किंचि प्पओयणं, केवलं तु पण्णवणा पण्णविज्जति । सेत्तं वावहारिए अद्धापलिओवमे।' ३८१. से किं तं सुहुमे अद्धापलिओवमे ? २ से जहानामते पल्ले सियाजोयणं आयाम-विक्खंभेणं, जोयणं उ8 उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं; से णं पल्ले एगाहिय-बेहिय-तेहिय जाव भरिए वालग्गकोडीणं । तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेज्जाइं खंडाइं कजति । ते णं वालग्गा दिट्ठीओगाहणाओ असंखेज्जतिभागमेत्ता सुहुमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेज्जगुणा। तेणं वालग्गा णो अग्गी डहेज्जा, नो वाऊ हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा, नो पलिविद्धंसेज्जा, नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा । ततो णं वाससते गते एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्ठिए भवति । से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे । एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । तं सुहुमस्स अद्धासागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ॥११०।। ३८२. एएहिं सुहुमेहिं अद्धापलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं ? एतेहिं सुहुमेहिं अद्धापलिओवम-सागरोवमेहिं णेरतिय-तिरियजोणिय-मणूस-देवाणं आउयाई मविज्जति । ३८३. [१] णेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गो० ! जहन्नेणं दसवाससहस्साइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। [२] रयणप्पभापुढविणेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं० ? गो० ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं एक्कं सागरोवमं, अपज्जत्तगरयणप्पभापुढविणेरइयाणं भंते ! केवतिकालं ठिती पं०? गो०! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्को० अंतो०, पज्जत्तग जाव जह० दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तूणं। [३] सक्करपभापुढविणेरइयाणं भंते ! केवतिकालं ठिती पं० ? गो० ! जहन्नेणं सागरोवमं उक्कोसेणं तिण्णि सागरोवमाइं। [४] एवं सेसपहासु वि पुच्छा भाणियव्वा-वालुयपभापुढविणेरइयाणं जह तिण्णि सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई। पंकपभापुढविनेरइयाणं जह० सत्त सागरोवमाई, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई। धूमप्पभापुढविनेरइयाणं जह० दस सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं । तमपुढविनेरइयाणं भंते ! केवतिकालं ठिती पन्नत्ता ? गो० ! जहन्नेणं सत्तरस सागरोवमाई, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई। तमतमापुढविनेरइयाणं भंते! केवतिकालं ठिती पन्नत्ता? गो०! जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। ३८४. [१] असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवतिकालं ठिती पं० ? गो० ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं । असुरकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतिकालं ठिती पं० १ गो० ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिओवमाइं। [२] नागकुमाराणं जाव गो० ! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं देसूणाई दोण्णि पलिओवमाइं । नागकुमारीणं जाव गो० ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणं पलिओवमं । [३] एवं जहा णागकुमाराणं देवाणं देवीण य तहा जाव थणियकुमाराणं देवाणं देवीण य भाणियव्वं । ३८५. [१] पुढवीकाइयाणं भंते ! केवतिकालं ठिती पन्नत्ता ? गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्सा। सुहुमपुढविकाझ्याणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाण य तिण्ह वि पुच्छा, गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । बादरपुढविकाइयाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं, अपज्जत्तयबादरपुढविकाइयाणं पुच्छा, गो० ! जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयबादरपुढविकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई। [२] एवं सेसकाइयाणं पि पुच्छावयणं भाणियव्वं आउकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई । सुहुमआउकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाणं तिण्ह वि जहण्णेण वि अंतोमुहुत्तं Exe:5 55555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-२७२८०55555555555555555555555555OOK $历牙牙牙牙牙牙乐步步为5555555555555%%% QS Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GKO (४५) अणुओगदाराई उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । बादरआउकाइयाणं जाव गो० ! जहा ओहियाणं, अपज्जत्तयबादर आउकाझ्याणं जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्त उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयबादरआउ० जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई। [३] तेउकाइयाणं भंते ! जाव मो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिणि राइंदियाई । सुहुमतेउकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाण य तिण्ह वि जहं० अंतो० उक्को० अंतो० । बादरतेउकाइयाणं भंते ! जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णि राइंदियाइं, अपज्नत्तयबायरतेउकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंत० उक्कोसेणं अंतो०, पज्जत्तयबायरते उकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं तिण्णि राइंदियाइं अंतोमुहुत्तूणाई । [४] वाउकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कौ० तिण्णि वाससहस्साइं । सुहुमवाउकाइयाणं ओहियाण अप्पज्जत्या पज्जत्तयाण य तिह वि जहं० अंतो० उक्को० अंतोमुहुत्तं । बादरवाङकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णि वाससहस्साइं, अपज्जत्तयबादरवाउकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयबादरवाउकातिखाणं जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णि वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई । [५] वणस्सइकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंत उक्को० दस वाससहस्साइं । सुहुमाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाणं पज्जत्तयाण य तिण्ह वि जहं० अंतो० उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं । बादरवणस्सइकाइयाणं भंते! केवइयां कालं ठिती पन्नता ? गो० ! जह० अंतो० उक्को० दस वाससहस्साइं अपज्जत्तयाणं जाव गो० ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयबादरवणस्सइकाइयाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई । ३८६. [१] बेइंदियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं बारस संवच्छराणि । अपज्जत्तय जाक गोतमा ! जह० अंतो० उक्लोसेणं अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयाणं जाव गोतमा ! जहं० अंतो० उल्कोसेणं बारस संवच्छराणि अंतमुत्तूणाई । [२] इंदियाणं जाव गो० ! जहन्नेणं अंतो० उक्को० एकूणपण्णासं राइंदियाई। अपज्जत्तय जाव गोतमा ! जहं० अंतो० बोसेणं अंतो०, पज्जत्तय जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं एकूणपण्णासं राईदियाई अंतोमुहुत्तूणाई। [३] चउरिदियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० छम्मासा । अपज्जलय जाव गो० ! • जहं० अंतोमुहुत्तं उक्को० अंतो०, पज्जत्तयाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं छम्मासा अंतोमुहुत्तूणा । ३८७ [१] पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० तिण्णि पलिओ माई । [२] जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणां जाव गो० ॥ जहं० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी । सम्मुच्छिमजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गोतमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी, अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपांचेदियतिरिक्खजोणियाणां जाव गोयमा ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतो०, पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूंपा गन्भवकंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी, अपज्जत्तायगब्भवक्वतियजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० अंतो०, पज्जत्तयगब्भवक्कंतियजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गोयमा ! जहं० अंतो० उक्को० पुब्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा । [३] चउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! केवतिकालं ठिती पन्नत्ता ? गो० ! जहं० अंतो० उक्को० तिण्णि पलिओवमाई। सम्मुच्छिमचउप्पयायलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० चउरासीतिवाससहस्साइं अपज्जत्तयसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहन्त्रेण अंतो० उक्को० अंतो०, पज्जत्तयसम्मुच्छिमच उप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो उक्को० चउरासीतिवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, गब्भवक्कंतियचउप्पयथलयर० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० तिण्णि पलिओवमाई, अपज्जत्तयगब्भवक्कं तियचउप्पय० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयगब्भवक्कंतियच उप्पंयथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव जहं० अंतो० उक्को० तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। उरपरिसप्पथलयरपंचेंद्रियतिरिक्खजोणियाणं भंते! केवतिकालं ठिती पं ? गो० ! जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी । सम्मुच्छिमउरपरिसप्प० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० तेवन्नं वाससहस्साइं अपज्जत्तयसम्मुच्छिमउरपरिसप्प० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं अंतो०, पज्जत्तयसम्मुच्छिमउरपरिसप्प० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० तेवणं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई, गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयर० जाव गोतमा ! जहं० अंतो० उक्को० अंतो० पज्जत्तयगब्भवक्वं तियउरपरिसप्पथश्री आगमगुणमंजूषा - १७२९ [२८] GOR Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई ___ [२९] D%%%%% %%% %%%%%2AE) 听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐所 乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐 लयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० जहं० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा । भुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी। सम्मुच्छिमभुयपरिसप्प० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साई, अपज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो०! जहं० अंतो० उक्को० अंतो०, पज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेदिय० जाव गो०! जहं० अंतो० उक्को० बायालीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाइं; गब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियाणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी, अपज्जत्तयगब्भवक्वंतियभुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयगब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयर० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा। [४] खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतिकालं ठिती पन्नत्ता ? गो० ! जहं० अंतो० उक्को० पलिओवमस्स असंखेजइभागं | समुच्छिमखहयर० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० बावत्तरि वाससहस्साइं, अपज्जत्तयसम्मुच्छिमखहयर० जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं अंतो०, पज्जत्तगसम्मुच्छिमखहयर० जाव गोतमा ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं बावत्तरि वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई; गब्भवक्कं तियखहयरपंचेंदियतिरिक्ख० जाव गो० ! जहं अंतो० उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं, अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयर० जाव गो० ! जहं० अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तयगब्भवक्कंतियखहयरपंचेदियतिरिक्ख० जाव गोतमा ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं अंतोमुहुत्तूणं । [५] एत्थ एतेसिं संगहणिगाहाओ भवंति । तं जहा- सम्मुच्छ पुव्वकोडी, चउरासीतिं भवे सहस्साई । तेवण्णा बायला, बावत्तरिमेव पक्खीणं ।।१११|| गब्भम्मि पुव्वकोडी, तिण्णि य पलिओवमाइं परमाउं। उर-भुयग पुव्वकोडी, पलिउवमासंखभागो य ॥११२।। ३८८. [१] मणुस्साणं भंते ! केवइकालं ठिई पं० ? गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाई। [२] सम्मुच्छिममणुस्साणं जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्को० अंतो०। [३] गब्भवक्कंतियमणुस्साणं जाव जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाई । अपज्जत्तयगब्भवक्वंतियमणुस्साणं जाव गो०! जहं० अंतो० उक्कोसेणं अंतो०, पज्जत्तयगब्भवक्कंतियमणुस्साणं जाव गोतमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई। ३८९. वाणमंतराणं भंते ! देवाणं केवतिकालं ठिती पण्णत्ता ? गो० ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं पलिओवमं । वाणमंतरीणं भंते ! देवीणं केवतिकालं ठिती पण्णत्ता ? गो०! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं । ३९०. [१] जोतिसियाणं भंते ! देवाणं जाव गोतमा ! जहं०सातिरेगं अट्ठभागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओवमं वाससतसहस्समब्भहियं । जोइसीणं भंते ! देवीणं जाव गो० ! जहं० अट्ठभागपलिओवम उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं। [२] चंदविमाणाणं भंते ! देवाणं जाव जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओवमं वाससतसहस्साहियं । चंदविमाणाणं भंते ! देवीणं जाव जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्को० अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं। [३] सूरविमाणाणं भंते ! देवाणं जाव जहं० चउभागपलिओवमं उक्को० पलिओवमं वाससहस्साहियं । सूरविमाणाणं भंते ! देवीणं जाव जहं० चउभागपलिओवमं उक्को अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिं अधियं। [४] गहविमाणाणं भंते ! देवाणं जाव जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्को० पलिओवमं । गहविमाणाणं भंते ! देवीणंजाव जहं० चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं। [५] णक्खत्तविमाणाणं भंते ! देवाणं जाव गोयमा ! जहं० चउभागपलिओवमं उक्को० अद्धपलिओवमं । णक्खत्तविमाणाणं भंते ! देवीणं जाव गो० ! जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्को० सातिरेगं चउभागपलिओवमं। [६] ताराविमाणाणं भंते ! देवाणं जाव गो० ! जह० सातिरेगं अट्ठभागपलिओवम उक्को० चउभागपलिओवमं । ताराविमाणाणं भंते ! देवीणं जाव गो० ! जहन्नेणं अट्ठभागपलिओवमं उक्को० सातिरेगं अट्ठभागपलिओवमं । ३९१. [१] वेमाणियाणं भंते ! देवाणं जाव गो० ! जहण्णेणं पलिओवमं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। वेमाणीणं भंते ! देवीणं जाव गो० ! जह० पलिओवमं उक्को० पणपण्णं पलिओवमाइं। [२] सोहम्मे णं भंते ! कप्पे देवाणं केवतिकालं ठिती पं० ? गो० ! जहं० पलिओवमं उक्कोसेणं दोन्नि सागरोवमाइं। सोहम्मे णं भंते ! कप्पे देवीणं जाव गोतमा ! जहन्नेणं पलिओवमं उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाई। सोहम्मे णं भंते ! कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं जाव गो० ! जहं० पलिओवमं उक्कोसेणं पन्नासं पलिओवमाई। [३] ईसाणे णं भंते । कप्पे देवाणं केवतिकालं ठिती पन्नत्ता ? MOV959595555555555555 श्री आगभगुणमंजूषा-१७३००5454555 OOR C%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听元 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PO955555555555 (४५) अणुओगदाराई [३०] 5555555555520 55555FOXOR 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩乐乐 乐乐玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐SC गो०.! जहन्नेणं सातिरेगं पलिओवमं उक्को० सातिरेगाइं दो सागरोवमाइं । ईसाणे णं भंते ! कप्पे देवीणं जाव गो० ! जह० सातिरेगं पलिओवम उक्को० नव पलिओवमाइं। ईसाणे णं भंते ! कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं जाव गो० जहन्नेणं साइरेगं पलिओवमं उक्कोसेणं पणपण्णं पलिओवमाइं। [४] सणंकुमारेणं भंते ! कप्पे देवाणं केवइकालं ठिती पन्नत्ता ? गो० ! जहं० दो सागरोवमाइं उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाइं। [५] माहिदे णं भंते ! कप्पे देवाणं जाव गोतमा ! जहं० साइरेगाई दो सागरोवमाई, उक्को० साइरेगाइं सत्त सागरोवमाइं। [६] बंभलोए णं भंते ! कप्पे देवाणं जाव गोतमा ! जह० सत्त सागरोवमाइं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं। [७] एवं कप्पे कप्पे केवतिकालं ठिती पन्नत्ता ? गो० ! एवं भाणियव्वं लंतए जहं० दस सागरोवमाइं उक्को० चोद्दस सागरोवमाइं । महासुक्के जहं० चोद्दस सागरोवमाइं उक्कोसेणं सत्तरस सागरोवमाइं । सहस्सारे जहं० सत्तरस सागरोवमाइं उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं । आणए जहं० अट्ठारस सागरोवमाइं उक्को० एक्कूणवीस सागरोवमाइं । पाणए जहं० एक्कूणवीसं सागरोवमाइं उक्को० वीसं सागरोवमाई । आरणे जहं० वीसं सागरोवमाई उक्को० एक्कवीसं सागरोवमाइं । अच्चुए जहं० एक्कवीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई। [८] हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जविमाणेसुणं भंते ! देवाणं केवइकालं ठिती पं० १ गो० ! जहं० बावीसं सागरोवमाई उक्को० तेवीसं सागरोवमाई, हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेनविमाणेसुणं जाव गो० ! जहं० तेवीसं सागरोवमाइं उक्नोसेणं चउवीसं सागरोवमाई, हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज० जाव जहं० चउवीसं सागरोवमाई उक्को० पणुवीसं सागरोवमाइं । मज्झिमहेट्ठिमगेवेज्जविमाणेसु णं जाव गोतमा ! जहं० पणुवीसं सागरोवमाइं उक्को० उव्वीसं सागरोवमाइं, मज्झिममज्झिमगेवेज० जाव जह० छव्वीसं सागरोवमाइं उक्को० सत्तावीसंसागरोवमाई मज्झिमउवरिमगेवेजविमाणेसुणंजाव गोतमा! जहं० सत्तावीसं सागरोवमाइं उक्को० अठ्ठावीसं सागरोवमाई । उवरिमहेट्ठिमगेवेज्ज० जाव जहं० अट्ठावीसं सागरोवमाई उक्को० एक्कूणतीसं सागरोवमाई, उवरिममज्झिमगेवेज्ज० जाव जहं० एक्कूणतीसं सागरोवमाई उक्को० तीसं सागरोवमाई, उवरिमउवरिमगेवेज० जाव जहं० तीसं सागरोवमाई उक्को० एक्कतीसं सागरोवमाई। [९] विजय-वेजयंतजयंत-अपराजितविमाणेसुणं भंते ! देवाणं केवइकालं ठिती पण्णत्ता ? गो० जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई । सव्वट्ठसिद्धे णं भंते ! महाविमाणे देवाणं केवइकालं ठिती पण्णत्ता ? गो० ! अजहण्णमणुक्कोसं तेतीसं सागरोवमाई। से तं सुहमे अद्धापलिओवमे । से तं अद्धापलिओवमे । ३९२. से किं तं ई खत्तपलिओवमे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा सुहुमे य वावहारिए य । ३९३. तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे । ३९४. तत्थ णं जे से वावहारिए से जहानामए पल्ले सिया-जोयणं आयाम-विक्खंभेणं, जोयणं उर्दु उच्चत्तेणं, तं तिंगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं; सेणं पल्ले एगाहिय-बेहिय-तेहिय० जाव भरिए वालग्गकोडीणं । तेणं वालग्गा णो अग्गी डहेज्जा, णो वातो हरेज्जा, जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा । जेणं तस्स पल्लस्स आगासपदेसा तेहिं वालग्गेहि अप्फुन्ना ततो णं समए २ गते एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावतिएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव निट्ठिए भवइ । सेतं वावहारिए खेत्तपलिओवमे। एएसिंपल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया। तं वावहारियस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ||११३|| ३९५. एएहिं वावहारिएहिं खेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पयोयणं ? एएहिं नत्थि किंचि प्पओयणं, केवलं तु पण्णवणा पण्णविज्झइ । से तं वावहारिए खत्तपलिओवमे। ३९६. से किं तं सुहुमे खेत्तपलिओवमे ? २ से जहाणामए पल्ले सिया-जोयणं आयाम-विक्खंभेणं, जोयणं उर्ल्ड उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं; से णं पल्ले एगाहिय-बेहिय-तेहिय० जाव उक्कोसेणं सत्तरपरूढाणं सम्मढे सन्निचिते भरिए वालग्गकोडीणं । तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेज्नाइं खंडाई कज्जइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीओगाहणाओ असंखेजइ भागमेत्ता सुहमस्स त्त पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेजगुणा । ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेज्जा, नो वातो हरेज्जा, णो कुच्छेज्जा, णो पलिविद्धंसेज्जा, णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा । जे णं तस्स पल्लस्स रगरसपदासर तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना वा अणाप्फुण्णा वा तओ णं समए २ गते एगमेगं आगासपदेसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे म णिट्ठिए भवति । सेतं सुहुमे खेत्तपलिओवमे । ३९७. तत्थ णं चोदए पण्णवगं एवं वदासी अत्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणप्फुण्णा? रहता अत्थेि, जहा को दिटुंतो? से जहाणामते कोट्ठए सिया कोहंडाणं भरिए तत्थ णं माउलुंगा पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं बिल्ला पक्खित्ता ते विमाया, तत्थ णं Rero5555555555555555555555॥ श्री आगमगुणमंजूषा-१७३१5555555 55555$$OOR SC明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听国明明明明明明明明明明明明明明明明明乐明明听听听听听听F2 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई 国历历历步步步步步步步勇FROZ 1555555 5555555555555555555%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%$20 आमलया पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं बयरा पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं चणगा पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं मुग्गा पक्खित्ता ते वि माया, तत्थ णं सरिसवा पक्खित्ता ते वि माता, तत्थ णं गंगावालुया पक्खित्ता सा वि माता, एवामेव एएणं दिट्ठतेणं अत्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणप्फुण्णा। एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । तं सुहुमस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ॥११४।। ३९८. एतेहिं सुहुमेहिं खेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं ? एतेहिं सुहुमेहिं पलिओवम-सागरोवमेहि दिट्ठिवाए दव्वाइं मविनंति । ३९९. कइविधा णं भंते ! दव्वा पण्णत्ता ? गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं है जहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य । ४००. अजीवदव्वा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता गो० ! दुविहा पन्नत्ता । तं जहा अरूविअजीवदव्वा य रूविअजीवदव्वा य ४०१. अरूविअजीवदव्वा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गो० ! दसविहा पण्णत्ता । तं जहा धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मत्थिकायस्स पदेसा अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मत्थिकायस्स पदेसा आगासत्थिकाए आगासत्थिकायस्स देसा आगासत्थिकायस्स पदेसा अद्धासमए । ४०२. रूविअजीवदव्वा णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ? गो० ! चउव्विहा पण्णत्ता । तं जहा खंधा खंधदेसा खंधदेसा परमाणुपोग्गला। ४०३. ते णं भंते ! किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ? गोतमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति तेणं नो संखेप्पज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ? गो० ! अणंता परमाणुपोग्गला अणंता दुपएसिया खंधा जाव अणंता अणंतपदेसिया खंधा, से एतेणं अटेणं गोतमा ! एवं वुच्चति ते णं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। ४०४. जीवदव्वा णं भंते ! किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ? गो० ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता । से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ जीवदव्वा णं नो संखेज्जा नो असंखेज्जा अणंता ? गोतमा ! असंखेज्जा णेरइया, असंखेज्जा असुरकुमारा जाव असंखेज्जा थणियकुमारा, असंखेज्जा पुढवीइकाया जाव असंखेज्जा वाउकाइया, अणंता वणस्सइकाइया, असंखेज्जा बेदिया जाव असंखेज्जा चउरिदिया, असंखेज्जा पंचेदियतिरिक्खजोणिया असंखेज्जा मणूसा, असंखेज्जा वाणमंतरिया, असंखेज्जा जोइसिया, असंखेज्जा वेमाणिया, अणंता सिद्धा, से एएणं अटेणं गोतमा ! एवं वुच्चइ-जीवदव्वाणं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। ४०५. कति णं भंते ! सरीरा पं०? गो०? पंच सरीरा पण्णत्ता । तं जहा-ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए। ४०६. णेरइयाणं भंते ! कति सरीरा पन्नत्ता ? गो० ! तयो सरीरा पं० । तं०वेउव्विए तेयए कम्मए। ४०७. असुरकुमाराणं भंते ! कति सरीरा पं०? गो०! तओ सरीरा पण्णत्ता। तं जहा-वेउव्विए तेयए कम्मए । एवं तिण्णि २ एते चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणियव्वा । ४०८. [१] पुढवीकाइयाणं भंते ! कति सरीरा पण्णत्ता ? गो० ! तयो सरीरा पण्णत्ता । तं जहा-ओरालिए तेयए कम्मए। [२] एवं आउ-तेउ-वणस्सइकाइयाण वि एते चेव तिण्णि सरीरा भाणियव्वा। [३] वाउकाइयाणं जाव गो० ! चत्तारि सरीरा पन्नत्ता । तं०-ओरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए। ४०९. बेदिय-तेंदिय-चउरिदियाणं जहा पुढवीकाइयाणं। ४१०. पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं जाव गो० ! जहा वाउकाइयाणं। ४११. मणूसाणंजाव गो० ! पंच सरीरा पन्नत्ता । तं०-ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए। ४१२. वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं, वेउव्वियतेयग-कम्मगा तिन्नि तिन्नि सरीरा भाणियव्वा । ४१३. केवतिया णं भंते ! ओरालियसरीरा पण्णत्ता गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्ततो असंखेज्जा लोगा। तत्थ णं जे ते मुक्केल्लगा ते णं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्ततो अणंता लोगा, दव्वओ अभवसिद्धिएहिं अणंतगुणा सिद्धाणं अणंतभागो। ४१४. केवतिया णं भंते ! वेउब्वियसरीरा पं०? गोतमा ! दविहा पण्णत्ता । तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, के खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पतरस्स असंखेज्जइभागो । तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अणंता अणंताहिँ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, सेसं , F जहा ओरालियस्स मुक्केल्लया तहा एते विभाणियव्वा। ४१५. केवइया णं भंते ! आहारगसरीरापं० ? गोयमा ! दुविहा पं०। तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया या तत्थक र णंजे ते बद्धेल्लया तेणं सिया अस्थि सिया नत्थि, जइ अत्थि जहण्णेणं एगो वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सहस्सपुहत्तं । मुक्केल्लया जहा ओरालियसरीरस्स तहा ROYOFFFFFFF555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १७३२ EFFFFFFF F FF## FORGK OSC555555555万历历明步555555555555559 Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XG9555555555555555 (४५) अणुओगदाराई [३२] 1555555555555555sexoY OGC明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听乐乐乐乐国乐乐乐听听听听听听C भाणियव्वा। ४१६. केवतियाणं भंते ! तेयगसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा! दुविहा पं०1०-बद्धेल्लया य मुकेल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धल्लया तेणं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्ततो अणंता लोगा, दव्वओ सिद्धेहिं अणंतगुणा सव्वजीवाणं अणंतभागूणा । तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अणंता ॥ अणंताहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्ततो अणंता लोगा, दव्वओ सव्वजीवेहिं अणंतगुणा जीववग्गस्स अणंतभागो। ४१७. केवइया णं भंते ! कम्मयसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य। जहा तेयगसरीरा तहा कम्मगसरीरा वि भाणियव्वा । ४१८. [१] नेरझ्याणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ? गोतमा ! दुविहा पण्णत्ता । तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया तेणं नत्थि। तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते जहा ओहिया ओरालिया तहा भाणियव्वा। [२] नेरइयाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-बद्धल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जइभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूयी अंगुलपढमवग्गमूलं बितियवग्गमूलपडुप्पण्णं अहवणं अंगुलबितियवग्गमूलघणपमाणमेत्ताओ सेढीओ। तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा । [३] णेरइयाणं भंते ! केवइया आहारगसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं नत्थि । तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते जहा ओहिया ओरालिया तहा भाणियव्वा। [४] तेयग-कम्मगसरीरा जहा एतेसिं चेव वेउब्वियसरीरा तहा भाणियव्वा । ४१९. [१] असुरकुमाराणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! जहा नेरइयाणं ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा। [२] असुरकुमाराणं भंते ! केवतिया वेउव्वियसरीरा पन्नत्ता ? गोतमा ! दुविहा पण्णत्ता तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो,खेत्ततो असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेजइभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखेजतिभागो । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा। [३] असुरकुमाराणं भंते ! केवइया आहारगसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । जहा एएसिं चेव ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा। [४] तेयग-कम्मगसरीरा जहा एतेसिं चेव वेउब्वियसरीरा तहा भाणियव्वा। [५] जहा असुरकुमाराणं तहा जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियव्वं । ४२०. [१] पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पन्नत्ता? गो० ! दुविहा पं०। तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । एवं जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा । पूढविकाइयाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पं० । तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य ।तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं णत्थि । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा। आहारगसरीरा वि एवं चेव भाणियव्वा । तेयग-कम्मगसरीराणं जहा एएसिं चेव ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा। [२] जहा पुढविकाइयाणं एवं आउकाइयाणं तेउकाइयाण य सव्वसरीरा भाणियव्वा। [३] वाउकाइयाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ? गो० जहा पुढविकाइयाणं ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा। वाउकाइयाणं भंते ! केवतिया वेउव्वियसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पं० । तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा समए २ अवहीरमाणा २ पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमेत्तेणं कालेणं अवहीरंति नो चेवणं अवहिया सिया । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालियमुक्केल्लया। आहारयसरीरा जहा पुढविकाइयाणं वेउब्वियसरीरा तहा भाणियव्वा । तेयग-कम्मयसरीरा जहा पुढविकाइयाणं तहा भाणियव्वा। [४] वणस्सइकाइयाणं ओरालिय-वेउब्वियआहारगसरीरा जहा पुढविकाइयाणं तहा भाणियव्वा । वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइया तेयग-कम्मगसरीरा पण्णत्ता ? गो० ! जहा ओहिया तेयग-कम्मगसरीरा तहा वणस्सइकाइयाण वि तेयग-कम्मगसरीरा भाणियव्वा । ४२१. [१] बेइंदियाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ? गोतमा ! दविहा पण्णत्ता । तं जहा बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेजा असंखेज्नाहिं उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्ततो असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जइभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूयी असंखेजाओ जोयणकोडाकोडीओ असंखेज्जई सेढिवग्गमूलाई, बेइंदियाणं ओरालियसरीरेहि reO555555555555555555555555555555555555555555555555555TOR Mainelibrary M 3 1 . . . . -. . -. -. - - - -. - -. -. .. - - - Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ COLO步步步步步步步步步步步步步步 (४५) अणुओगदाराई [३३] 555555555555520 明明明明明明明明明明明 乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听 乐乐乐所乐乐 बद्धेल्लएहिं पयरं अवहीरइ असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं कालओ, खेत्तओ अंगुलपयरस्स आवलियाए य असंखेज्जइभागपडिभागेणं । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा भाणियव्वा । वेउब्विय-आहारगसरीरा णं बद्धेल्लया नत्थि, मुक्केल्लया जहा ओरालियसरीरा ओहिया तहा भाणियव्वा । तेया कम्मगसरीरा जहा एतेसिं चेव ओरालिय सरीरा तहा भाणियव्वा । [२] तहा बेइंदियाणं तहा तेइंदियाणं चउरिदियाण वि भाणियव्वं । ४२२. [१] पंचेदियतिरिक्खजोणियाण वि ओरालियसरीरा एवं चेव भाणियव्वा । [२] पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवड्या वेउब्वियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पं० । तं० बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ जाव विक्खंभसूयी अंगुलपढमपग्गमूलस्स असंखेज्जइभागो । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया णं । आहारयसरीरा जहा बेइंदियाणं । तेयग-कम्मगसरीरा जहा ओरालिया। ४२३. [१] मणूसाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं सिय संखेज्जा सिय असंखेज्जा, जहण्णपदे संखेज्जा संखेज्जाओ कोडीओ, तिजमलपयस्स उवरिं चउजमलपयस्स हेट्ठा, अहवणं छट्ठो वग्गो पंचमवग्गपडुप्पण्णो, अहवणं छण्णउतिछेयणगदाइरासी, उक्कोसपदे असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणी ओस्सप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्ततो उक्कोसपए रूवक्खित्तेहिं मणूसेहिं सेढी अवहीरति, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीहिं कालओ, खेत्तओ अंगुलपढमवग्गमूलं ततियवग्गमूलपडुप्पण्णं । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया णं । [२] मणूसाणं भंते ! केवतिया वेउव्वियसरीरा पण्णत्ता ? गो० ! दुविया पं० । तं० बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं संखेज्जा समए २ अवहीरमाणा २ संखेज्जेणं कालेणं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया। मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया णं । [३] मणूसाणं भंते! केवइया आहारयसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पण्णत्ता । तं जहा बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं सिय अत्थि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा उक्कोसेणं सहस्सपुहत्तं । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया णं। [४] तेयग-कम्मगसरीरा जहा एतेसिंचेव ओहिया ओरालिया तहा भाणियव्वा । ४२४. [१] वाणमंतराणं ओरालियसरीरा जहा नेरइयाणं। [२] वाणमंतराणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पन्नत्ता ? गो० ! दुविहा पं० । तं० बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जइभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई संखेजजोयणसयवग्गपलिभागो पतरस्स । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया णं। [३] आहारगसरीरा दुविहा वि जहा असुरकुमाराणं। [४] वाणमंतराणं भंते ! केवइया तेयग-कम्मगसरीरा पं० ? गो० ! जहा एएसिं चेव वेउब्वियसरीरा तहा तेयगकम्मगसरीरा वि भाणियव्वा । ४२५. [१] जोइसियाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरा पं०? गो० ! जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा । [२] जोइसियाणं भंते ! केवइया वेउव्वियसरीरा पण्णत्ता ? गो० ! दुविहा पं० । तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया जाव तासि णं सेढीणं विक्खंभसूची बेछप्पण्णंगुलसयवग्गपलिभागो पयरस्स। मुक्केल्लया जहा ओहियओरालिया णं। [३] आहारयसरीरा जहा नेरझ्याणं तहा भाणियव्वा। [४] तेयग-कम्मगसरीरा ॐ जहा एएसिं चेव वेउब्विया तहा भाणियव्वा । ४२६. [१] वेमाणियाणं भंते। केवतिया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ? गोयमा ! जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा । [२] 5 वेमाणियाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पण्णत्ता ? गो० ! दुविहा पं० । तं०-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य। तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखेज्जा, असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ, खेत्तओ असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जइभागो, तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलबितियवग्गमूलं ६ ततियवग्गमूलपडुप्पण्णं, अहवणं अंगुलततियवग्गमूलघणप्पमाणमेत्ताओ सेढीओ। मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया णं। [३] आहारयसरीरा जहा नेरइयाणं । [४] तेयग-कम्मगसरीरा जहा एएसिं चेव वेउब्वियसरीरा तहा भाणियव्व । से तं सुहमे खेत्तपलिओवमे । सेतं खेत्तपलिओवमे। सेतं पलिओवमे । से तं विभागणिप्फण्णे। सेतं कालप्पमाणे। ४२७. से किं तं भावप्पमाणे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा- गुणप्पमाणे णयप्पमाणे संखप्पमाणे । ४२८. से किं तं गुणप्पमाणे ? २ दुविहे पण्णत्ते। reOf555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १७३४55555$$$$$$$$$$$$OOK 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2 Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TROLO555555555555555 (४५) अणुओगदाराई [३१] E5555555555555RCE MCLC开历历历K乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听国乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐SO思 तंजहा- जीवगुणप्पमाणे य अजीवगुणप्पमाणे य। ४२९. से किं तं अजीवगुणप्पमाणे ? २ पंचविहे पण्णत्ते। तं जहा- वण्णगुणप्पमाणे गंधगुणप्पमाणे रसगुणप्पमाणे फासगुणप्पमाणे संठाणगुणप्पमाणे । ४३०. से किं तं वण्णगुणप्पमाणे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं०-कालवण्णगुणप्पमाणे जाव सुकिल्लवण्णगुणप्पमाणे । से तं वण्णगुणप्पमाणे। ४३१. से किं तं गंधगुणप्पमाणे? २ दुविहे पण्णत्ते । तं०-सुरभिगंधगुणप्पमाणे दुरभिगंधगुणप्पमाणे य । सेतं गंधगुणप्पमाणे । ४३२. से किं तं रसगुणप्पमाणे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं०-तित्तरसगुणप्पमाणे जाव महुररसगुणप्पमाणे । से तं रसगुणप्पमाणे । ४३३. से किं तं फासगुणप्पमाणे ? २ अट्ठविहे पण्णत्ते । तं०-कक्खडफासगुणप्पमाणे जाव लुक्खफासगुणप्पमाणे । से तं फासगुणप्पमाणे । ४३४. से किं तं संठाणगुणप्पमाणे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं०परिमंडलसंठाणगुणप्पमाणे जाव आययसंठाणगुणप्पमाणे । से तं संठाणगुणप्पमाणे । सेतं अजीवगुणप्पमाणे। ४३५. से किं तं जीवगुणप्पमाणे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा- णाणगुणप्पमाणे दंसणगुणप्पमाणे चरित्तगुणप्पमाणे य। ४३६. से किं तं णाणगुणप्पमाणे? २ चउविहे पण्णत्ते। तं०-पच्चक्खे अणुमाणे ओवम्मे आगमे। ४३७. से किं तं पच्चक्खे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-इंदियपच्चक्खे य णोइंदियपच्चक्खे य । ४३८. से किं तं इंदियपच्चक्खे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहासोइंदियपच्चक्खे चक्खुरिदियपच्चक्खे घाणिदियपच्चक्खे जिब्भिदियपच्चक्खे फासिदियपच्चक्खे। सेतं इंदियपच्चक्खे।४३९. से किं तं णोदियपच्चक्खे? २ तिविहे पं० । तं०-ओहिणाण-पच्चक्खे मणपज्जवणाणपज्जक्खे केवलणाणपच्चक्खे। से तं णोइंदियपच्चक्खे। से तं पच्चक्खे । ४४०. से किं तं अणुमाणे ? २ तिविहे पण्णत्ते। तं० पुव्ववं सेसवं दिवसाहम्मवं । ४४१. से किं तं पुव्ववं ? पुव्ववं माता पुत्तं जहा नर्से जुवाणं पुणरागतं । काई पच्छभिजाणेज्जा पुव्वलिंगेण केणइ ॥११५|| तं जहा खत्तेण वा वणेण वा मसेण वा लंछणेण वा तिलएण वा । सेतं पुव्ववं । ४४२. से किं तं सेसवं १२ पंचविहं पण्णत्तं । तं जहा-कज्जेणं कारणेणं गुणेणं अवयवेणं आसएणं। ४४३. से किं तं कज्जेणं ? २ संखं सद्देणं, भेरि तालिएणं, वसभं ढंकिएणं, मोरं केकाइएणं, हयं हिसिएणं, गयं गुलगुलाइएणं, रह घणघणाइएणं । सेतं कज्जेणं । ४४४. से किं तं कारणेणं ? २ तंतवो पडस्स कारणं ण पडो तंतुकारणं, वीरणा कडस्स कारणं ण कडो वीरणकारणं, मिप्पिंडो घडस्स कारणं ण घडो मिप्पिंडकारणं । से तं कारणेणं । ४४५. से किं तं गुणेणं ? २ सुवण्णं निकसेणं, पुष्पं गंधेणं, लवणं रसेणं, मदिरं आसायिएणं, वत्थं फासेणं । से तं गुणेणं । ४४६. से किं तं अवयवेणं ? २ महिसं सिंगेणं, कुक्कुड सिहाए, हत्थिं विसाणेणं, वराहं दाढाए, मोरं पिछेणं, आसं खुरेणं, वग्घं नहेणं, चमरं वालगंडेणं, दुपयं मणूसमाइ, ई चउपयं गवमादि, बहुपर्य गोम्हियादि, सीह केसरेणं, वसहं ककुहेणं, महिलं वलयबाहाए । परियरबंधेण भर्ड, जाणिज्जा महिलिय णिवसणेणं । सित्थेण दोणपागं, कई च एक्काए गाहाए ॥११६॥ से तं अवयवेणं । ४४७. से किं तं आसएणं ? २ अग्गिं धूमेणं, सलिलं बलागाहिं, वु8 अब्भविकारेणं, कुलपुत्तंसीलसमायारेणं । इङ्गिताकारितै यैः क्रियाभिर्भाषितेन च । नेत्र-वक्त्रविकारैश्च गृह्यतेऽन्तर्गतं मनः ॥११७|| सेतं आसएणं । से तं सेसवं । ४४८. से किं तं दिट्ठसाहम्मवं? २ दुविहं फ़ पण्णत्तं । तं जहा-सामन्नदिनुं च विसेसदि8 च । ४४९. से किं तं सामण्णदिट्ठ ? २ जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो, जहा एगो करिसावणो तहा बहवे करिसावणा जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसावणो । सेतं सामण्णदि8 । ४५०. से किं तं विसेसदिटुं ? २ से जहाणामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं बहूणं पुरिसाणं मज्झे पुवदिटुं पच्चभिजाणेज्जा-अयं से पुरिसे, बहूणं वा करिसावणाणं मज्झे पुव्वदिटुं करिसावणं पच्चभिजाणिज्जा अयं से करिसावणे। तस्स समासतो तिविहं गहणं भवति । तं जहा-तीतकालगहणं पडुप्पण्णकालगहणं अणागतकालगणं । ४५१. से किं तं तीतकालगहणं ? २ उत्तिणाणि वणाणि निप्पण्णसस्सं वा मेदिणिं पुण्णाणि य कुंड-सर-णदि-दीहिया-तलागाइं पासित्ता तेणं साहिज्जइ जहा-सुवुट्ठी आसि । से तं तीतकालगहणं । ४५२. से किं तं पडुप्पण्णकालगहणं ? २ साई गोयरग्गगयं विच्छड्डियपउरभत्त-पाणं पासित्ता तेणं साहिज्जइ जहा-सुभिक्खे वट्टइ । से तं पडुप्पण्णकालगहणं । ४५३. से किं तं अणागयकालगहणं ? २ अब्भस्स निम्मलत्तं कसिणाय गिरी सविज्जया मेहा । थणियं वाउब्भामो संझा रत्ताय णिद्धा य॥११८॥ वारुणं वा माहिंदं वा अण्णयरं वा पसत्थं उप्पायं पासित्ता तेणं सहिज्जइ जहा-सुवुट्ठी भविस्सइ। सेतं अणागतकालगहणं । ४५४. एएसिं चेव विवच्चासे तिविहं गहणं भवति । तं जहा-तीतकालMero90555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१७३५05555555555555555555555555555IOR C295乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明2 Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO (४५) अणुओगदाराई [३५] गहणं पडुप्पण्णकालगहणं अणागयकालगहणं । ४५५. से किं तं तीतकालगहणं ? नित्तणाई वणाई अनिप्फण्णसस्सं च मेतिणिं सुक्काणि य कुंड-सर-णदि-दहतलागाइं पासित्ता तेणं साहिज्जति जहा कुवुट्ठी आसी । से तं तीयकालगहणं । ४५६. से किं तं पडुप्पण्णकालगहणं ? २ साहुं गोयरग्गगयं भिक्खं अलभमाणं पासित्ता ते साहिज्जइ जहा दुभिक्खं वट्टइ । से तं पडुप्पण्णकालगहणं । ४५७. से किं तं अणागयकालगहणं ? २ अग्गेयं वा वायव्वं वा अण्णयरं वा अप्पसत्थं उपायं पासित्ता ते साहिज्जइ जहा कुवुट्ठी भविस्सइ । से तं अणागतकालगहणं । से तं विसेसदिहं । से तं दिट्ठसाहम्मवं । से तं अणुमाणे । ४५८. से किं तं ओवम्मे ? २ विपण । तं हा साहम्मोवणीते य वेहम्मोवणीते य । ४५९. से किं तं साहम्मोवणीए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं० - किंचि-साहम्मे पायसाहम्मे सव्वसाहम्मे य । ४६०. से किं तं किंचिसाहम्मे ? २ जहा मंदरो तहा सरिसवो जहा सरिसवो तहा मंदरो, जहा समुद्दो तहा गोप्पयं जहा गोप्पयं तहा समुद्दो, जहा आइच्चो तहा खज्जोतो, जहा खज्जोतो तहा आइच्चो, जहा चंदो तहा कुंदो जहा कुंदो तहा चंदो । से तं किंचिसाहम्मे । ४६१. से किं तं पायसाहम्मे ? २ जहा गो तहा गवयो, जहा गवयो तहा गो । से तं पायसाहम्मे । ४६२. से किं तं सव्वसाहम्मे ? सव्वसाहम्मे ओवम्मं णत्थि, तहा वि तेणेव तस्स ओवम्मं कीरइ, जहा - अरहंतेहिं अरहंतसरिसं कथं, एवं चक्कवट्टिणा चक्कवट्टिसरिसं कयं, बलदेवेण बलदेवसरिसं कयं, वासुदेवेण वासुदेवसरिसं कयं, साहुणा साहुसरिसं कयं । से तं सव्वसाहम्मे । से तं साहम्मोवणीए । ४६३. से किं तं वेहम्मोवणीए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा - किंचिवेहम्मे पायवेहम्मे सव्ववेहम्मे । ४६४. से किं तं किंचिवेहम्मे ? २ जहा सामलेरो न तहा बाहुलेरो, जहा बाहुलेरो न तहा सामलेरो से तं किंचिवेहम्मे । ४६५. से किं तं पायवेहम्मे ? २ जहा वायसो न तहा पायसो, जहा पायसो न तहा वायसो । से तं पायवेहम्मे । ४६६. से किं तं सव्ववेहम्मे ? सव्ववेहम्मे नत्थि, तहा वि तेणेव तस्स ओवम्मं कीरइ, जहा णीएणं णीयसरिसं कयं, दासेणां दाससरिसं कयं, काकेण काकसरिसं कयं, साणेणं साणसरिसं कयं, पाणेणं पाणसरिसं कयं । से तं सव्ववेहम्मे । से तं वेहम्मोवणीए । से तं ओवम्मे । ४६७. से किं तं आगमे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहालोइए य लोगुत्तरिए य । ४६८. से किं तं लोइए ? २ जण्णं इमं अण्णाणिएहिं मिच्छादिट्ठीएहिं सच्छंदबुद्धिमतिविगप्पिययं । तं जहा- भारहं रामायण जाव चत्तारिय वेदा गोवंगा । सेतं लोइए आगमे । ४६९. से किं तं लोगुत्तरिए ? २ जं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पण्णणाण-दंसणधरेहिं तीय-पच्चुप्पण्ण-मणागयजाणएहिं तेलोक्कचहिय-महिय-पूइएहिं सव्वण्णूहिं सव्वदरिसीहिं पणीयं दुवालसंगं गणिपिडगं । तं जहा - आयारो जाव दिट्ठबाओ । से तं लोगुत्तरिए आगमे । ४७०. अहवा आगमे तिविहे पण्णत्ते । तं जहा - सुत्तागमे य अत्यागमे य तदुभयागमे य । अहवा आगमे तिविहे पण्णत्ते । तं०-अत्तागमे अनंतरागमे परंपरागमे । तित्थमराणं अत्थस्स अत्तागमे, गणहराणं सुत्तस्स अत्तागमे अत्थस्स अणंतरागमे, गणहरसीसाणं सुत्तस्स अणंतरागमे अत्थस्स परंपरागमे, तेण परं सुत्तस्स वि अत्थस्स वि णो अत्तागमे णो अणंतरागमे परंपरागमे । से तं लोगुत्तरिए। से तं आगमे । से तं णाणगुणप्पमाणे । ४७१. से किं तं दंसणगुणप्पमाणे ? २ चउच्चिहे पण्णत्ते । तं जहाचक्खुदंसणगुणप्पमाणे अचक्खुदंसणगुणप्पमाणे ओहिदंसणगुणप्पमाणे केवलदंसणगुणप्पमाणे य । चक्खुदंसणं चक्खुदंसणिस्स घड पड - कड- रघादिस्सु दव्वेसु, अचक्खुदंसणं अचक्खुदंसणिस्स आयभावे, ओहिदंसणं ओहिदंसणिस्स सव्वरूचिदव्वेहिं न पुण सव्वपज्जवेहिं, केवलदंसणं केबलदंसणिस्स सब्बदव्वेहिं सव्वपज्जवेहि य । से तं दंसणगुणप्पमाणे । ४७२. से किं तं चरित्तगुणप्पमाणे ? २ पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा- सामाइयचरित्तगुणप्पमाणे छेदोवट्ठावणियचरित्तगुणप्पमाणे परिहारविसुद्धियचरित्तगुणप्पमाणे सुहुमसंपरायचरित्तगुणप्पमाणे अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे । सामाइयचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा इत्तरिए य आवकहिए य । छेदोवट्ठावंणियचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - सातियारे य निरंतियारे य । परिहारविसुद्धियचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते । तं जहाणिव्विसमाणए य णिब्विट्ठकायिए य । सुहुमसंपरायचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा- संकिलिस्समाणयं च विसुज्झमाणयं च । अहक्खायचरत्तगुणप्पा दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-पडिवाई य अपडिवाई य छउमत्थे य केवलिए य । से तं चरित्तगुणप्पमाणे । से तं जीवगुणप्पमाणे । से तं गुणप्पमाणे । ४७३. से किं तं नयप्पमाणे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा पत्थयदिट्टंतेणं वसहिदिट्टंतेणं पएसदिट्टंतेणं । ४७४. से किं तं पत्थगदिट्ठतेणं ? २ से जहानामए केइ पुरिसे परसुं गाय COOK श्री आगमगुणमजूषा- १७३६ : A 5 4 4 4 4 4 4 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई I अडविहुत्ते गच्छेज्जा, तं च केइ पासित्ता वदेज्जा- कत्थ भवं गच्छसि ? अविसुद्धो नेगमो भणति पत्थगस्स गच्छामि । तं च केइ छिंदमाणं पासित्ता वइज्ना- किं भवं छिंदसि ? विसुद्धतराओ नेगमो भणति - पत्थयं छिंदामि । तं च केइ तच्छेमाणं पासित्ता वदेज्जा - किं भवं तच्छेसि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति-पत्थयं तच्छेमि । तं च केइ उक्किरमाणं पासित्ता वदेज्जा - किं भवं उक्तिरसि ? विसुद्धतराओ गमो भणति-पत्थयं उक्किरामि । तं च केइ [वि] लिहमाणं पासेत्ता वदेज्जा - किं भवं [वि] लिहसि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति - पत्थयं [वि] लिहामि । एवं विसुद्धतरागस्स णेगमस्स नामाउडितओ पत्थओ । एवमेव ववहारस्स वि । संगहस्स चितोमिओ मिज्जसमारूढो पत्थओ, उजुसुयस्स पत्थयो वि पत्थओ मिज्जं पि से पत्थओ, तिण्हं सद्दणयाणं पत्थयाहिगारजाणओ पत्थओ जस्स वा वसेणं पत्थओ निप्फज्जइ । से तं पत्थयदिट्टंतेणं । ४७५. से किं तं वसहिदिट्टंतेणं ? २ से जहानामए केइ पुरिसे कंचि पुरिसं वदिज्जा, कहिं भवं वससि ? तत्थ अविसुद्धो णेगमो भणइ-लोगे वसामि । लोगे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-उडलोए अधोलोए तिरियलोए, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणइ - तिरियलोए वसामि । तिरियलोए जंबुद्दीवादीया सयंभुरमणपज्जवसाणा असंखेज्ना दीव-समुद्दा पण्णत्ता, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति जंबुद्दीवे वसामि । जंबुद्दीवे दस खेत्ता पण्णत्ता, जहा भरहे एरव हेमवए एरण्णवए हरिवस्से रम्मगवस्से देवकुरा उत्तरकुरा पुव्वविदेहे अवरविदेहे, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति भरहे वसामि | भरहे वासे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा दाहिणभरहे य उत्तरडभरहे य, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति - दाहिणडभरहे वसामि । दाहिणडुभरहे अणेगाई गाम-नगर- खेड - कव्बड-मडंब - दोणमुह-पट्टणा-ऽऽगर-संवाह-सण्णिवेसाई, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतरातो गमो भणतिपाडलिपुत्ते वसामि । पाडलिपुत्ते अणेगाइं गिहाई, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति-देवदत्तस्स घरे वसामि । देवदत्तस्स घरे अणेगा कोडगा, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्धतराओ णेगमो भणति-गब्भघरे वसामि । एवं विसुद्धस्स णेगमस्स वसमाणो वसति । एवमेव ववहारस्स वि। संगहस्स संथारसमारूढो वसति । उज्जुसुयस्स जेसु आगासपएसेसु ओगाढो तेसु वसइ । तिण्हं सद्दनयाणं आयभावे वसइ । से तं वसहिदितेणं । ४७६. से किं तं पदेसदिट्टंतेणं ? २ णेगमो भणति-छण्हं पदेसो, तं जहा-धम्मपदेसो अधम्मपदेसो आगासपदेसो जीवपदेसो खंधपदेसो देसपदेसो । एवं वयंतं णेगमं संगहो भणइ-जं भणसि छण्हं पदेसो तण्ण भवइ, कम्हा ? जम्हा जो सो देसपदेसो सो तस्सेव दव्वस्स, जहा को दिट्टंतो ?, दासेण मे खरो कीओ दासो वि मे खरो वि मे, तं मा भणाहि छण्हं पएसो, भणाहि पंचण्हं पएसो, तं जहा - धम्मपएसो अहम्मपएसो आगासपदेसो जीवपएसो खंधपदेसो । एवं वयंतं संगहं ववहारो भणइ जं भणसि-पंचण्हं पएसो तं ण भवइ, कम्हा ? जइ जहा पंचण्हं गोट्ठियाणं केइ दव्वजाए सामण्णे, तं जहा हिरण्णे वा सुवण्णे वा धणे वा धण्णे वा, तो जुत्तं वत्तुं जहा पंचण्डं पएसो ?, तं मा भणाहि पंचण्हं पएसो, भणाहि-पंचविहो पएसो, तं जहा-धम्मपदेसो अहम्मपदेसो आगासपदेसो जीवपदेसो खंधपदेसो । एवं वदंतं ववहारं उज्जुसुओ भणति - जं भणसि-पंचविहो पदेसो तं न भवइ, कम्हा ? जइ ते पंचविहो पएसो एवं ते एक्केक्को पएसो पंचविहो एवं ते पणुवीसतिविहो पदेसो भवति, तं मा भणाहि - पंचविहो पएसो, भणाहिभतियव्वोपदेसो-सिया धम्मपदेसो सिया अधम्मपदेसो सिया आगासपदेसो सिया जीवपदेसो सिया खंधपदेसो । एवं वयंतं उज्जुसुयं संपतिसद्दणओ भणति जं भणसि भइयव्वो पदेसो तं न भवति, कम्हा ? जइ ते भइयव्वो पदेसो एवं ते धम्मपदेसो वि सिया अधम्मपदेसो सिया आगासपदेसो सिया जीवपदेसो सिया खंधपदेसा १, अधम्मपदेसो वि सिया धम्मपदेसो सिया आगासपएसो सिया जीवपएसो सिया खंधपएसो २, आगासपएसो वि सिया धम्मपदेसो सिया अहम्मपएसो सिया जीवपएसो सिया खंधपएसो ३, जीवपएसो वि सिया धम्मपएसो सिया अधम्मपएसो सिया आगासपएसो सिया खंधपएसो ४, खंधपएसो वि सिया धम्मपदेसो सिया अधम्मपदेसो सिया आगासपदेसो सिया जीवपदेसो ५, एवं ते अणवत्था भविस्सइ, तं मा भणाहि भइयव्वो पदेसो, भणाहि धम्मे पदेसे से पदेसे धम्मे, अहम्मे पदेसे से पदेसे अहम्मे, आगासे पदेसे से पदेसे आगासे, जीवे पदेसे से पदेसे णोजीवे, खंधे पदेसे से पदेसे णोखंधे । एवं वयंतं सद्दणयं समभिरूढो भणति-जं भणसि-धम्मे पदेसे से पदेसे धम्मे जाव खंधे पदेसे से पदेसे नोखंधे, तं न भवइ, कम्हा ? एत्थ दो समासा भवंति, तं जहा तप्पुरिसे य कम्मधारए य, तं श्री आगमगुणमंजूषा- १७३७ ON YO [३६] प्र Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PAGR9$$$$$$$ (४५) अणुओगदाराइं [३७] $$$$ $ $ $$$ 2 CD) XOXO 乐乐听听听听听听听听听听听国乐明纸明明明明 听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 ण णज्जइ कतरेणं समासेणं भणसि ? किं तप्पुरिसेणं किं कम्मधारएणं ?, जइ तप्पुरिसेणं भणसि तो मा एवं भणाहि, अह कम्मधारएणं भणसि तो विसेसओ भणाहि-धम्मे य से पदेसे य से से पदेसे धम्मे, अहम्मे य से पदेसे य से से पदेसे अहम्मे, आगासे य से पदेसे य से से पदेसे आगासे, जीवे य से पदेसे य से से पदेसे नोजीवे, खंधे य से पदेसे य से से पदेसे नोखंधे । एवं वयंत संपयं समभिरूढं एवंभूओ भणइ-जं जं भणसि तं तं सव्वं कसिणं पडिपुण्णं निरवसेसं एगगहणगहितं देसे वि मे अवत्थू पदसे वि मे अवत्थू । से तं पदेसदिटुंतेणं । से तं णयप्पमाणे । ४७७. से किं तं संखप्पमाणे ? २ अट्ठविहे पण्णत्ते । तं जहा-नामसंखा ठवणसंखा दव्वसंखा ओवमसंखा परिमाणसंखा जाणणासंखा गणणासंखा भावसंखा । ४७८. से किं तं नामसंखा ? २ जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तद्भयाण वा संखा ति णामं कज्जति । से तं नामसंखा। ४७९. से किं तं ठवणासंखा ? २ जण्णं कट्ठकम्मे वा पोत्थकम्मे वा चित्तकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिकम्मे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एक्को वा अणेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भावठवणाए वा संखा त्ति ठवणा ठवेज्जति। सेतं ठवणासंखा। ४८०. नाम-ठवणाणं को पतिविसेसो? नाम आवकहियं, ठवणा इत्तिरिया वा होज्जा आवकहिया वा। ४८१. से किं तंदव्वसंखा? २ दुविहा पं० । तं० आगमओ य नोआगमतो य । ४८२. से किं तं आगमओ दव्वसंखा ? २ जस्स णं संखा ति पदं सिक्खितं ठियं जियं मियं परिजियं जाव कंगिण्ह(कंठोट्ठ)विप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं , सेणं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अणुप्पेहाए, कम्हा ? अणुवओगो दव्वमिति कट्ट। ४८३. [१] [णेगमस्स] एक्को अणुवउत्तो आगमतो एका दव्वसंखा, दो अणुवउत्ता आगमतो दो दव्वसंखाओ, तिन्नि अणुवउत्ता आगमतो तिन्नि दव्वसंखाओ, एवं जावतिया अणुवउत्ता तावतियाओ [णेगमस्स आगमतो] दव्वसंखाओ। २] एवामेव ववहारस्स वि। [३] संगहस्सएको वा अणेगा वा अणुवउत्तो वा अणुवउत्ता वा [आगमओ] दव्वसंखा वा दव्वसंखाओ वा [सा एगा दव्वसंखा] । [४] उज्जुसुयस्स [एगो अणुवउत्तो] आगमओ एका दव्वसंखा, पुहत्तं णेच्छति। [५] तिण्हं सद्दणयाणं जाणए अणुवउत्ते अवत्थू, कम्हा ? जति जाणए अणुवउत्ते ण भवति । सेतं आगमओ दव्वसंखा। ४८४. से किं तं नोआगमतो दव्वसंखा ? २ तिविहा पं०। तं०-जाणयसरीरदव्वसंखा भवियसरीरदव्वसंखा जाणगसरीरभवियसरीरवतिरित्ता दव्वसंखा । ४८५. से किं तं जाणगसरीरदव्वसंखा ? २ संखा ति पयत्थाहिकारजाणगस्स जं सरीरयं ववगय-चुय-चइत-चत्तदेहं जीवविप्पजढं जाव अहो ! णं इमेणं सरीरसमूसएणं संखा ति पयं आघवितं जाव उवदंसियं, जहा को दिलुतो? अयं घयकुंभे आसि । से तं जाणगसरीरदव्वसंखा । ४८६. से किं तं भवियसरीरदव्वसंखा ? २ जे जीवे जोणीजम्मणणिक्खंते इमेणं चेव आदत्तएणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्टेणं भावेणं संखा ति पयं सेकाले सिक्खिस्सति, जहा को दिढतो? अयं घयकुंभे भविस्सति । सेतं भवियसरीरदव्वसंखा। ४८७. से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वसंखा ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा-एगभविए बद्धाउए अभिमुहणामगोत्ते य । ४८८. एगभविए णं भंते ! एगभविए त्ति कालतो केवचिरं होति ? जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। ४८९. बद्धाउए णं भंते ! बद्धाउए त्ति कालतो केवचिरं होति ? जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडीतिभागं । ४९०. अभिमुहनामगोत्ते णं भंते ! अभिमुहनामगोत्ते त्ति कालतो केवचिरं होति ? जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतमुहुत्तं । ४९१. रयाणिं को णओ कं संखं इच्छति ?-तत्थ णेगम-संगह-ववहारा तिविहं संखं इच्छंति, तं जहा-एक्कभवियं बद्धाउयं अभिमुहनामगोत्तं च । उजुसुओ दुविहं संखं इच्छति, तं जहा-बद्धाउयं च अभिमुहनामगोत्तं च । तिण्णि सद्दणया अभिमुहणामगोत्तं संखं इच्छंति । से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वसंखा । से तं नोआगमओ दव्वसंखा । से तं दव्वसंखा। ४९२. [१] से किं तं ओवमसंखा ? २ चउव्विहा पण्णत्ता । तं जहा-अस्थि संतयं संतएणं उवमिज्जइ १ अस्थि संतयं असंतएणं उवमिज्जइ २ अत्थि असंतयं संतएणं उवमिज्जइ ३ अत्थि असंतयं असंतएणं उवमिज्जइ ४ । [२] तत्थ संतयं संतएणं उवमिज्जइ जहा संता अरहंता संतएहिं पुरवरेहिं संतएहिं कवाडएहिं संतएहिं वच्छएहिं उवमिज्जति, तं जहा- पुरवरकवाडवच्छा फलिहभुया दुंदुभित्थणियघोसा । सिरिवच्छंकियवच्छा सव्वे वि जिणा चउव्वीसं ॥११९|| [३] संतयं असंतएणं उवमिज्जइ जहा-संताई नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणूस-देवाणं आउयाइं असंतएहिं पलिओवम-सागरोवमेहिं उवमिज्जति। reOF5 455555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १७३८॥ ॥ ॥॥॥ 5 55555FOR SNQ明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听G Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR955555555555555 (४५) अणुओगदाराई [३८] $$$$$ $ $$$$$ 150 [४] असंतयं संतएणं उवमिज्जति जहा परिजूरियपेरंतं चलंतवेंट पडंत निच्छीरं । पत्तं वसणप्पत्तं कालपत्तं भणइ गाहं ॥१२०।। जह तुब्भे तह अम्हे, तुम्हे वि य होहिहा जहा अम्हे। अप्पाहेति पडतं पंडुयपत्तं किसलयाणं ॥१२१।। णवि अत्थि णवि य होही उल्लावो किसल-पंडुपत्ताणं। उवमा खलु एस कया भवियजणविबोहणट्ठाए ॥१२२[५] असंतयं असंतएणं उवमिज्जति जहा खरविसाणं तहा ससविसाणं । से तं ओवमसंखा। ४९३. से किं तं परिमाणसंखा ? २ दुविहा पण्णत्ता। तं०कालियसुयपरिमाणसंखा दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा य । ४९४. से किं तं कालियसुयपरिमाणसंखा ? २ अणेगविहा पण्णत्ता । तं जहा-पज्जवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पदसंखा पादसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा वेढसंखा निज्जुत्तिसंखा अणुओगदारसंखा उद्देसगसंखा अज्झयणसंखा सुयखंधसंखा अंगसंखा । सेतं कालियसुयपरिमाणसंखा। ४९५. से किं तं दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा? २ अणेगविहा पणत्ता। तं जहा-पज्जवसंखा जाव अणुओगदारसंखा पाहुडसंखा पाहुडियासंखा पाहुडपाहुडियासंखा वत्थुसंखा पुव्वसंखा से तं दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा। से तं परिमाणसंखा। ४९६. से किं तं जाणणासंखा ? २ जो जं जाणइ सो तं जाणति, तं जहा सई सहिओ, गणियं गाणिओ, निमित्तं नेमित्तिओ, कालं कालनाणी, वेज्जो वेज्जियं । से तं जाणणासंखा । ४९७. से किं तं गणणासंखा ? २ एक्को गणणं न उवेति, दुप्पभितिसंखा। तं जहा संखेज्जए असंखेज्जए अणंतए। ४९८. से किं तं संखेज्जए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए। ४९९. से किं तं असंखेज्जए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा परित्तासंखेज्जए जुत्तासंखेज्जए असंखेज्जासंखेज्जए। ५००. से किं तं परित्तासंखेजए ? २ तिविहे पण्णत्ते। तं० जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए । ५०१. से किं तं जुत्तासंखेजए ? २ तिविहे पण्णत्ते। तं० जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए। ५०२. से किं तं असंखेज्जासंखेज्जए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए। ५०३. से किं तं अणंतए ? २ तिविहे पण्णत्ते। तं जहा परित्ताणतए जुत्ताणतए अणंताणतए। ५०४.से किं तं परित्ताणतए ? २ तिविहे पण्णत्ते। तं० जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए। ५०५. से किं तं जुत्ताणंतए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा जहण्णए उक्कोसए अजहण्णमणुक्कोसए। ५०६. से किं तं अणंताणंतए ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा जहण्णए य अजहण्णमणुक्कोसए य । ५०७. जहण्णयं संखेज्जयं केत्तियं होइ ? दोरूवाई, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाइं जाव उक्कोसयं संखेज्जयं ण पावइ । ५०८. उक्कोसयं संखेज्जयं केत्तियं होइ ? उक्कोसयस्स संखेज्जयस्स परूवणं करिस्सामि से जहानामए पल्ले सिया, एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं, तिण्णि जोयणसयसहस्साई सोलस य सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसते तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसतं तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलयं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते । सेणं पल्ले सिद्धत्थयाणं भरिए। ततोणं तेहिं सिद्धत्थएहिं दीव-समुद्दाणं उद्धारे घेप्पति, एगे दीवे एगे समुद्दे २ एवं पक्खिप्पमाणेहिं २ जावइया णं दीव-समुद्दा तेहिं सिद्धत्यएहिं अप्फुण्णा एस णं एवतिए खेते पल्ले आइतु । से णं पल्ले सिद्धत्थयाणं भरिए। ततो णं तेहिं सिद्धत्थएहिं दीव-समुद्दाणं उद्धारे घेप्पति एगे दीवे एगे समुद्दे २ एवं पाक्खप्पमाणेहिं २ जावइया णं दीव-समुद्दा तेहिं सिद्धत्थएहिं अप्फुन्ना एस णं एवतिए खेत्ते पल्ले पढमा सलागा, एवइयाणं सलागाणं असंलप्पा लोगा भरिया तहा भवि उक्कोसयं संखेज्जयं ण पावइ, जहा को दिलुतो ? से जहाणामए मंचे सिया आमलगाणं भरिते, तत्थ णं एगे आमलए पक्खित्ते से माते, अण्णे वि पक्खित्ते से विज माते, अन्ने वि पक्खित्ते से वि माते, एवं पक्खिप्पमाणे २ होही से आमलए जम्मि पक्खित्ते से मंचए भरिज्जिहिइ जे वि तत्थ आमलए न माहिति । ५०९. एवामेव उक्कोसए संखेज्जए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं परित्तासंखेज्जयं भवति, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं परित्तासंखेज्जयं ण पावइ । ५१०. उक्कोसयं परित्तासंखेज्जयं केत्तियं होति ? २ जहण्णयं परित्तासंखेज्जयं जहण्णयपरित्तासंखेज्जयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं परित्तासंखेज्जयं होति, अहवा जहन्नयं जुत्तासंखेज्जयं रूवूणं उक्कोसयं परित्तासंखेज्जयं होइ। ५११. जहन्नयं जुत्तासंखेज्जयं के त्तियं होति ? २ जहण्णयं परित्तासंखेज्जयं जहण्णयपरित्तासंखेज्जयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो पडिपुण्णो जहन्नयं जुत्तासंखेज्जयं हवति, अहवा उक्कोसए परित्तासंखेज्जए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं जुत्तासंखेजयं होति, आवलिया वि तत्तिया चेव, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं ण पावइ । ५१२. उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं meros5555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- १७३९. 55555555 O OR HOGO乐听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听玩玩玩乐乐听听听听听听听听听听听F6C GO步明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明.. Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TSC555555555555明 (४५) अणुओगदाराई 压岁乐乐虽555555525C HOLIC%乐乐听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听D 2 केत्तियं होति ? २ जहण्णएरं जुत्तासंखेज्जएणं आवलिया गुणिया अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं होइ, अहवा जहन्नयं असंखेज्जासंखेज्जयं रूवूणं उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं होति । ५१३. जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं केत्तियं होइ ? जहन्नएणं जुत्तासंखेज्जएणं आवलिया गुणिया अण्णमण्णब्भासो पडिपुण्णो जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं होइ, अहवा उक्कोसए जुत्तासंखेज्जए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं असंखेज्जासंखेज्जयं होति, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उक्कोसयं असंखेज्जासंखेज्जयं ण पावति । ५१४. उक्कोसयं असंखेज्जासंखेज्जय केत्तियं होति ? जहण्णयं असंखेजासंखेज्जयं जहण्णयअसंखेज्जासंखेज्जयमेत्ताणं ॥ रासीणं अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं असंखेज्जासंखेज्जयं होइ, अहवा जहण्णयं परित्ताणतयं रूवूणं उक्कोसयं असंखेज्जासंखेज्जयं होति । ५१५. जहण्णयं परित्ताणतयं केतियं होति?२ जहण्णयं असंखेज्जासंखेजयं जहण्णयअसंखेज्जासंखेज्जयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो पडिपुण्णो जहण्णयं परित्ताणतयं होति, अहवा उक्कोसए असंखेज्जासंखेज्जए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं परित्ताणतयं होइ । तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाइ जाव उक्कोसयं परित्ताणतयं ण पावइ । ५१६. उक्कोसयं परित्ताणतयं केत्तियं होइ? जहण्णयं परित्ताणतयं जहण्णपरित्ताणंतयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं परित्ताणतयं होइ, अहवा जहण्णयं जुत्ताणतयं रूवूणं उक्कोसयं परित्ताणतयं होइ।५१७. जहण्णयं जुत्ताणतयं केत्तियं होयति ? जहण्णयं परित्ताणंतयं जहण्णयपरित्ताणतयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो पडिपुण्णोजहण्णयं जुत्ताणतयं होइ, अहवा उक्कोसए परित्ताणतए रूवं पक्खित्तं जहन्नयं जुत्ताणतयं होइ, अभवसिद्धिया वितेत्तिया चेव, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठणाइं जाव उक्कोसयं जुत्ताणंतयं ण पावति । ५१८. उक्कोसयं जुत्ताणतयं केत्तियं होति ? जहण्णएणं जुत्ताणतएणं अभवसिद्धिया गुणिता अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं जुत्ताणतयं होइ, अहवा जहण्णयं अणंताणतयं रूवूणं उक्कोसयं जुत्ताणतयं होइ । ५१९. जहण्णयं अणंताणतयं केत्तियं होति ? जहण्णएणं जुत्ताणंतएणं अभवसिद्धिया गुणिया अणमण्णमब्भासो पडिपुण्णो जहण्णयं अणंताणतयं होइ, अहवा उक्कोसए जुत्ताणंतए रूवं पक्खित्तं जहण्णयं अणंताणतयं होति, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाइं ठाणाइं । से तं गणणासंखा। ५२०. से किं तं भावसंखा ? २ जे इमे जीवा संखगइनाम-गोत्ताई कम्माइं वेदेति । से तं भावसंखा । से तं संखप्पमाणे । से तं भावप्पमाणे । से तं पमाणे।।। [पमाणे त्ति पयं सम्मत्तं ॥ [सुत्ताई ५२१-५२५. वत्तव्वयादारं] ५२१. से किं तं वत्तव्वया ? २ तिविहा पण्णत्ता। तं० ससमयवत्तव्वया परसमयवत्तव्वया ससमयपरसमयवत्तव्वया । ५२२. से किं तं ससमयवत्तव्वया ? २ जत्थ णं ससमए आघविज्जति पण्णविज्जति परूविज्जति दंसिज्जति निदंसिज्जति उवदंसिज्जति । सेतं ससमयवत्तव्वया। ५२३. से किं तं परसमयवत्तव्वया ? २ जत्थ णं परसमए आघविज्जति जाव उवदंसिज्जति। से तं परसमयवत्तव्वया। ५२४. से किं तं ससमयपरसमयवत्तव्वया ? २ जत्थ णं ससमए परसमए आघविज्जइ जाव उवदंसिज्जइ । से तं ससमयपरसमयवत्तव्वया। ५२५. [१] इयाणिं को णओ कं वत्तव्वयमिच्छति ? तत्थ णेगमववहारा तिविहं वत्तव्वयं इच्छंति । तं जहा ससमयवत्तव्वयं परसमयवत्तव्वयं ससमयपरसमयवत्तव्वयं । [२] उज्जुसुओ दुविहं वत्तव्वयं इच्छति । तं जहा ससमयवत्तव्वयं परसमयवत्तव्वयं । तत्थ णं जा सा ससमयवत्तव्वया सा ससमयं पविट्ठा, जा सा परसमयवत्तव्वया सा परसमयं पविट्ठा, तम्हा दुविहा वत्तव्वया, णत्थि तिविहा वत्तव्वया। [३] तिण्णि सद्दणया एगं ससमयवत्तव्वयं इच्छंति, नत्थि परसमयवत्तव्वया । कम्हा ? जम्हा परसमए अणढे अहेऊ असब्भावे अकिरिया उम्मग्गे अणुवएसे मिच्छादसणमिति कट्ट, तम्हा सव्वा ससमयवत्तव्वया, णत्थि परसमयवत्तव्वया णत्थि ससमयपरसमयवत्तव्वया । सेतं वत्तव्वया। सुत्तं ५२६. अत्थाहिगारदारं] ५२६. से किं तं अत्याहिगारे? २ जो जस्स अज्झयणस्स अत्थाहिगारो । तं जहा सावज्जजोगविती १ उक्कित्तण २ गुणवओ य पडिवत्ती ३ । खलियस्स निंदणा ४ वणतिगिच्छ ५ गुणधारणा ६ चेव ॥१२३।। से तं अत्याहिगारे। [सुत्ताई ५२७-५३३. समोयारदारं] ५२७. से किं तं समोयारे? २ छव्विहे पण्णत्ते। तं० णामसमोयारे ठवणसमोयारे दव्वसमोयारे खेत्तसमोयारे कालसमोयारे भावसमोयारे। ५२८. से किं तं णामसमोयारे ? नाम-ठवणाओ पुव्ववणियाओ। ५२९. से किं तं दव्वसमोयारे ? २ दुविहे पण्णत्ते। तं०-आगमतोय WOO听听听听听听历历历明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明劣明明明明明明明明明明听2O Keros # ## #55555 555 श्री आगमगुणमंजूषा-१७४००5555555555555555555FSTOR Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) अणुओगदाराई तो । जव से त्तं भवियसरीरदव्वसमोयारे । ५३०. [१] से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसमोयारे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा आयसमोयारे परसमोयारे परसमोयरंति, तदुभयसमोयारे । १ सव्वदव्वा वि य णं आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोयारेण जहा कुंडे बदराणिं, तदुभयसमोयारेणं जहा घरे थंभो आयभावे य जहा घडे गीवा आयभावे य । [२] अहवा जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसमोयारे दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य । चउसट्ठिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं बत्तीसियाए समोयरति आयभावे य । बत्तीसिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं सोलसियाए समोयरति आयभावे य । सोलसिया आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं अट्ठभाइयाए समोयरति आयभावे य । अट्ठाइया आयभावे य । चउभाइया आयसमोयारेणंआयभावे य । अद्धमाणीय । से तं जाणयसरीरभवियसरीरवतिरित्ते दव्वसमोयारे। से तं नोआगमओ दव्वसमोयारे। से तं दव्वसमोयारे । ५३१. से किं तं खेत्तसमोयारे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आय समोयारे य तदुभयसमोयारे य । भरहे वासे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं जंबुद्दीवे समोयरति आयभावे य । जंबुद्दीवे दीवे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं तिरियलोए समोयरति आयभावे य। तिरियलोए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं लोए समोयरति आयभावे य; लोए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं अलोए समोयरति आयभावे य । से त्तं खेत्तसमोयारे । ५३२. से किं तं कालसमोयारे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं० आयसमोयारे य . तदुभयसमोयारे य । समए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं आवलियाए समोयरति आयभावे य । एवं आणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उऊ अयणे संवच्छरे जुगे वाससते वाससहस्से वाससतसहस्से पुव्वंगे पुव्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हुहुयंगे हुहुए उप्पलंगे उप्पले उमंगे परमे णलिणंगे णलिणे अत्थिनिउरंगे अत्थिनिउरे अउयंगे अउए णउयंगे णउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिया सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे । सागरोवमे आयसमोयारेणं आयभावे समोतरति, तदुभयसमोयारेणं ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीसु समोयरति आयभावे य; ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, तदुभयसमोयारेणं पोग्गलपरियट्टे समोयरंति आयभावे य । पोग्गलपरियट्टे आयसमोयारेण आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं तीतद्धाअणागतद्धासु समोयरति आयभावे य; तीतद्धा-अणागतद्धाओ आयसमोयारेणं आयभावे समोतरंति, तदुभयसमोयारेणं सव्वद्धाए समोयरंति आयभावे य । से तं कालसमोयारे । ५३३. से किं तं भावसमोयारे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य । कोहे आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं माणे समोयरति आयभावे य । एवं माणे माया लोभे रागे । मोहणिज्जे अट्ठकम्मपगडीओ आयसमोयारेण आयभावे समोयरंति, छव्विहे तदुभयसमोयारेणं भावे समोयरति आयभावे य। एवं जीवे । जीवत्थिकाए आयसमोयारेणं आयभावे समोयरति, तदुभयसमोयारेणं सव्वदव्वेसु समोयरति आयभावे य । एत्थं संगहणिगाहा कोहे माणे माया लोभे रागे य मोहणिज्जे य । पगडी भावे जीवे जीवत्थिय सव्वदव्वा य ॥ १२४॥ से तं भावसमोयारे । से तं समोयारे । से तं उवक्कमे | ११ [उपक्रम इति प्रथमं द्वारमतिक्रान्तम् ] ॥ [ सुत्ताई ५३४-६००. निक्खेवदारं ] ५३४. से किं तं निक्खेवे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा ओहविप्फण्णे य नामनिप्फण्णे य सुत्तालावगनिप्फण्णे य । ५३५. से किं तं ओहनिप्फण्णे ? २ चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा अज्झयणे अज्झीणे आए झवणा । ५३६. से किं तं अज्झयणे ? २ चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा णामज्झयणे ठवणज्झयणे दव्वज्झयणे भावज्झयणे । ५३७. णाम-ठ्ठवणाओ पुव्ववण्णियाओ । ५३८. किं तं दव्वज्झयणे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा- आगमओ य णोआगमओ य । ५३९. से किं तं आगमतो दव्वज्झयणे ? २ जस्स णं अज्झयणे त्ति पदं सिक्खितं ठितं जितं मितं परिजितं जाव जावइया अणुवउत्ता आगमओ तावइयाइं दव्वज्झयणाइं । एवमेव ववहारस्स वि । संगहस्स णं एगो वा अणेगो वा तं चेव भाणियव्वं जाव सेतं आगमतो दव्वज्झयणे । ५४०. से किं तं णोआगमतो दव्वज्झयणे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तंजहा जाणयसरीरदव्वज्झयणे भवियसरीरदव्वज्झयणे जाणयसरीरभवियसरीरवतिरित्ते दव्वज्झयणे । ५४१. से किं तं जाणयस्स जं सरीरयं ववगत- चुत - चइय- चत्तदेहं जाव अहो ! णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं अज्झयणे श्री आगमगुणमंजूषा १७४१ से HOTO [४०] X Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FORO55555555555 (४५) अणुओगदाराई [४१] 655555555555522.7CS त्ति पदं आघवियं जाव उवदंसियं ति, जहा को दिट्ठतो? अयं घयकुंभे आसी, अयं महुकुंभे आसी। सेतं जाणयसरीरदव्वज्झयणे। ५४२. से किं तं भवियसरीरदव्वज्झयणे? २ जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खंते इमेणं चेव आदत्तएणं सरिरसमुस्सएणं जिणदिवेणं भावेणं अज्झयणे त्ति पयं सेयंकाले सिक्खिस्सति ण ताव सिक्खति, जहा को दिढतो ? अयं घयकुंभे भविस्सति, अयं महुकुंभे भविस्सति । से तं भवियसरीरदव्वज्झयणे । ५४३. से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वज्झयणे १२ पत्तय-पोत्थयलिहियं । से तं जाणयसरीरभवियसरीवइरित्ते दव्वज्झयणे । सेतं णोआगमओ दव्वज्झयणे । से तं दव्वज्झयणे । ५४४. से किं तं भावज्झयणे? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आगमतो य णोआगमतो य। ५४५. से किं तं आगमतोभावज्झयणे ? २ जाणए उवउत्ते। सेतं आगमतो भावज्झयणे। ५४६. से किं तं नोआगमतो भावज्झयणे? २ अज्झप्पस्साऽऽणयणं, कम्माणं अवचओ उवचियाणं । अणुवचओ य नवाणं, तम्हा अज्झयणमिच्छंति ॥१२५|| से तं णोआगमतो भावज्झयणे। से तं भावज्झयणे। सेतं अज्झयणे। ५४७. से किं तं अज्झीणे?२ चउब्विहे पण्णत्ते । तं जहा णामज्झीणे ठवणज्झीणे दव्वज्झीणे भावज्झीणे। ५४८. नाम-ठवणाओ पुव्ववण्णियाओ। ५४९. से किं तं दव्वज्झीणे? २ दुविहे पण्णत्ते । तं० आगमतो य नोआगमतो य। ५५०. से किं तं आगमतो दव्वज्झीणे? २ जस्स णं अज्झीणे त्ति पदं सिक्खितं ठितं जितं मितं परिजितं तं चेव जहा दव्वज्झयणे तहा भाणियव्वं, जाव से तं आगमतो दव्वज्झीणे । ५५१. से किं तं नोआगमतो दव्वज्झीणे? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा जाणयसरीरदव्वन्झीणे भवियसरीरदव्वज्झीणे जाणयसरीरभवियसरीरवतिरित्ते दव्वज्झीणे। ५५२. से किं तं जाणयसरीरदव्वज्झीणे ? २ अज्झीणपयत्याहिकारजाणयस्स जं सरीरयं ववगय-चुत-चइत-चतदेहं जहा दव्वज्झयणे तहा भाणियव्वं, जाव से तंज जाणयसरीरदव्वज्झीणे । ५५३. से किं तं भवियसरीरदव्वज्झीणे ? २ जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खंते जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं भवियसरीरदव्वज्झीणे । ५५४. से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वज्झीणे ? २ सव्वागाससेढी । सेतं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वज्झीणे । से तं नोआगमओ दव्वज्झीणे । सेतं दव्वज्झीणे। ५५५. से किं तंभावज्झीणे ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आगमतो य नोआगमतो य। ५५६. से किं तं आगमतो भावज्झीणे ? २ जाणए उवउत्ते। से तं आगमतो भावज्झीणे। ५५७. से किं तं नोआगमतो भावज्झीणे ? २ जह दीवा दीवसतं पइप्पए, दिप्पए य सो दीवो। दीवसमा आयरिया दिप्पंति, परं च दीवेति ॥ ॥१२६।। से तं नोआगमतो भावज्झीणे । से तं भावज्झीणे । सेतं अज्झीणे । ५५८. से किं तं आए ? २ चउविहे पण्णत्ते । तं जहा नामाए ठवणाए दव्वाए भावाए। ५५९. नाम-ठवणाओ पुव्वभणियाओ। ५६०. से किं तं दव्वाए ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आगमतो य नोआगमतो य। ५६१. से किं तं आगमतो दव्वाए ? जस्स णं आए त्ति पयं सिक्खितं ठितं जाव अणुवओगो दव्वगिति कट्ट, जाव जावइया अणुवउत्ता आगमओ तावझ्या ते दव्वाया, जाव से तं आगमओ दव्वाए। ५६२. से किं तं नोआगमओ दव्वाए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा जाणयसरीरदव्वाए भवियसरीरदव्वाए जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वाए। ५६३. से किं तं जाणयसरीरदव्वाए ? २ आयपयत्थाहिकारजाणगस्स जं सरीरगं ववगय-चुत-चतिय-चत्तदेहं सेसं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं जाणयसरीरदव्वाए। ५६४. से किं तं भवियसरीरदव्वाये ? २ जे जीवे जोणीजम्मणणिक्खंते सेसं जहा दव्वज्झयणे, जाव से तं भवियसरीरदव्वाये। ५६५.से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वाये ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा लोइए कुप्पावयणिए लोगुत्तरिए। ५६६. से किं तं लोइए ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा सचित्ते अचित्ते मीसए य । ५६७. से किं तं सचित्ते? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा दुपयाणं चउप्पयाणं अपयाणं । दुपयाणं दासाणं दासीणं, चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं, अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं आए। से तं सचित्ते । ५६८. से किं तं अचित्ते? २ सुवण्ण-रयत-मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवाल-रत्तरयणाणं [संतसावएज्जस्स आये। से तं अचित्ते । ५६९. से किं तं मीसए ? २ दासाणं दासीणं आसाणं हत्थीणं समाभरियाउज्जालंकियाणं आये। से तं मीसए । से तं लोइए। ५७०. से किं तं कुप्पावयणिये? २ तिविहे जपण्णत्ते । तं जहा सचित्ते अचित्ते मीसए य । तिण्णि वि जहा लोइए, जाव से तं कुप्पावयणिए। ५७१. से किं तं लोगुत्तरिए ? तिविहे पण्णत्ते । तं जहा सचिते * अचित्ते मीसए य । ५७२. से किं तं सचित्ते ? २ सीसाणं सिस्सिणियाणं आये । से तं सचित्ते । ५७३. से किं तं सचित्ते ? २ पडिग्गहाणं वत्थाणं कंबलाणं reOFFF555555555FFFFFFFFFFF5 श्री आगमगुणमंजूषा - १७४२ 555555FFFF$$$$$$$55555555555 OC$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FGO亚 CONC明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明心C區 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOR95555555555555 (४५) अणुओगदाराईश $$$$$55555555ZOE Steroi55555555555555555 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐明 पायपुंछणाणं आए। से किं तं अचित्ते । ५७४. से किं तं मीसए ? २ सीसाणं सिस्सिणियाणं सभंडोवकरणाणं आये । से तं मीसए। से तं लोगुत्तरिए। से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वाए। से तं नोआगमओ दव्वाए। सेतं दव्वाए। ५७५. से किं तं भावाए ? २ दुविहे पण्णत्ते । तं जहा आगमतो य नोआगमतो य। ५७६. से किं तं आगमतो भावाए ? २ जाणए उवउत्ते। से तं आगमतो भावाए। ५७७. से किं तं नोआगमतो भावाए ? २ दुविहे पण्णत्ते। तं जहा पसत्थे य अप्पसत्थे य। ५७८. से किं तं पसत्थे ? २ तिविहे पण्णत्ते । तं जहा णाणाए दंसणाए चरित्ताए । से तं पसत्थे। ५७९. से किं तं अपसत्थे ? २ चउव्विहे पण्णत्ते । तं है जहा कोहाए माणाए मायाए लोभाए। सेतं अपसत्थे। सेतं णोआगमतो भावाए। सेतं भावाए। सेतं आये। ५८०. से किं तं झवणा? २ चउब्विहा पण्णत्ता । तं जहा ॥ नामज्झवणा ठवणज्झवणा दव्वज्झवणा भावज्झवणा। ५८१. नाम ठवणाओ पुव्वभणियाओ। ५८२. से किं तं दव्वज्झवणा ? २ दुविहा पण्णत्ता । तं जहा आगमतो ॥ य नोआगमतोय। ५८३. से किं तं आगमतो दव्वज्झवणा ? २ जस्स णं झवणेति पदं सिक्खियं ठितं जितं मितं परिजियं, सेसं जहा दव्वज्झवणे तहा भाणियव्वं, जाव से तं आगमतो दव्वज्झवणा । ५८४. से किं तं नोआगमओ दव्वज्झवणा ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा जाणयसरीरदव्वज्झवणा भवियसरीरदव्वज्झवणा जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वज्झवणा । ५८५. से किं तं जाणयसरीरदव्यज्झवणा ? २ झवणापयत्थाहिकारजाणयस्सजं सरीरयं ववगय-चुय-चझ्य-चत्तदेहं, सेसं जहा दव्यज्झयणे, जावय सेतंजाणयसरीरदव्वज्झवणा। ५८६. से किं तं भवियसरीरदव्वज्झवणा ? २ जे जीवे जोणीजम्मणणिक्खंते आयत्तएणं ० जिणदिद्वेणं भावेणं ज्झवण त्ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सति, ण ताव सिक्खइ, को दिलैतो ? जहा अयं घयकुंभे भविस्सति, अयं महुकुंभे भविस्सति । सेतं भवियसरीरदव्वज्झवणा। ५८७. से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वज्झवणा ? २ जहा जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दवाए तहा भाणियव्वा, जाव से तं ॥ जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ता दव्वज्झवणा । सेतं नोआगमओ दव्वज्झवणा। से तं दव्वज्झवणा। ५८८. से किं तं भावज्झवणा ? २ दुविहा पण्णत्ता । तं जहाआगमतो य णोआगमतो य । ५८९. से किं तं आगमओ भावज्झवणा ? २ झवणापयत्थाहिकारजाणए उवउत्ते । से तं आगमतो भावज्झवणा । ५९०. से किं तं णोआगमतो भावज्झवणा ? २ दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-पसत्था य अप्पसत्था य । ५९१. से किं तं पसत्था ? २ चउव्विहा पण्णत्ता । तं जहा- कोहज्झवणा माणज्झवणा मायज्झवणा लोभज्झवणा। से तं पसत्था । ५९२. से किं तं अप्पसत्था ? २ तिविहा पण्णत्ता । तं जहा- नाणज्झवणा दंसणज्झवणा चरित्तज्झवणा। से तं अप्पसत्था । सेतं नोआगमतो भावज्झवणा । सेतं भावज्झवणा । सेतं झवणा । से तं ओहनिप्फण्णे। ५९३. से किं तं नामनिप्फण्णे ? २ सामइए। से समासओ चउविहे पण्णत्ते । तं जहा-णामसामाइए ठवणासामाइए दव्वसामाइए भावसामाइए। ५९४. णाम-ठवणाओ पुव्वभणियाओ। ५९५. दव्वसामाइए वि तहेव, जाव से तं भवियसरीरदव्वसामाइए । ५९६. से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसामाइए ? २ पत्तय-पोत्थयलिहियं । से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसामाइए। सेतं णोआगमतो दव्वसामाइए। सेतं दव्वसामाइए। ५९७. से किं तं भावसामाइए ? २ दुविहे पण्णत्ते। तं०-आगमतोय नोआगमतोय। ५९८. से किं तं आगमतो भावसामाइए ? २ भावसामाइयपयत्थाहिकारजाणए उवउत्ते । से तं आगमतो भावसामाइए । ५९९. से किं तं नोआगमतो भावसामाइए ? २ जस्स सामाणिओ अप्पा संजमे णियवे तवे। तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥१२७॥ जो समो सव्वभूएसुतसेसुंथावरेसुय। तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥१२८|| जह मम ण पियं दुक्खं जाणिय एमेव सव्वजीवाणं । न हणइ न हणावेइ य सममणती तेण सो समणो ॥१२९।। णत्थि य से कोइ वेसो पिओ व सव्वेसु चेव जीवेसु। एएण होइ समणो, एसो अन्नो वि पज्जाओ॥१३०|| उरग-गिरि-जलण-सागर-नहतल-तरुगणसमोय जो इ। भमर-मिग-धरणि-जलरुह-रवि-पवणसमो य सो समणो ॥१३१|| तो समणो जइ सुमणो, भावेण य जइ ण होइ पावमणो । सयणे य जणे य समो, समो य माणाऽवमाणेसु ॥१३२॥ से तं नोआगमतो # भावसाभाइए। सेतं भावसामाइए। से तं सामाइए । सेतं नामनिप्फण्णे । ६००. से किं तं सुत्तालावगनिप्फण्णे? २ इदाणिं सुत्तालावयनिप्फण्णे निक्खेवे इच्छावेइ, म 2 से य पत्तलक्खणे विण णिक्खिप्पइ, कम्हा ? लाघवत्थ । इतो अत्थि ततिये अणुओगद्दारे अणुगमे त्ति, तहिं णं णिक्खित्ते इहं णिक्खित्ते भवति, इहं वा णिक्खित्ते Anwarr cucuriti u uc curr55 श्री आगमगणमंजषा - १७४३555555555555555555555555555OOK Mero5555555555555555555555555555555555555555555557 Education International 2010 03 Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (45) अणुओगदाराई (43] 555555555555555 Roy C明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听明乐乐乐听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听FMC तहिं णिक्खित्ते भवति, तम्हा इहं ण णिक्खिप्पइ तहिं चेव णिक्खिप्पिस्सइत्त।से तं निक्खेवे। सुत्ताई 601-0605. अणुगमदारं] 601. से किं तं अणुगमे 12 दुविहे पण्णत्ते / तं जहा-सुत्ताणुगमे य निज्जुत्तिअणुगमे य / 602. से किं तं निजुत्तिअणुगमे ? 2 तिविहे पण्णत्ते / तं जहा- निक्खेवनिज्नुत्तिअणुगमे उवधातनिज्जुत्तिअणुगमे सुत्तप्फासियनिज्जुत्तिअणुगमे / 603. से किं तं निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे ? 2 अणुगए। 604. से किं तं उवघायनिज्जुत्तिअणुगमे ? 2 इमाहिं दोहिं गाहाहिं अणुगंतव्वे / तं जहा- उद्देसे 1 निद्देसे य 2 निग्गमे 3 खेत्त 4 काल 5 पुरिसे य 6 / कारण 7 पच्चय 8 लक्खण 9 णये 10 समोयारणा 11 ऽणुमए 12 // 133 / / किं 13 कइविहं 14 कस्स 15 कहिं 16 केसु 17 कहं 18 किच्चिरं हवइ कालं 19 / कइ 20 संतर 21 मविरहितं 22 भवा 23 ऽऽगरिस 24 फासण 25 निरुत्ती 26 // 134|| से तं उवघातनिज्जुत्तिअणुगमे / 605. से किं तं सुत्तप्फासियनिज्जुत्तिअणुगमे ? 2 सुत्तं उच्चारेयव्वं अखिलियं अमिलियं अविच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुण्णघोसं कंठोढविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं / तो तत्थ णज्जिहिति ससमयपयं वा परसमयपयं वा बंधपयं वा मोक्खपयं वा सामाइयपयं वा णोसामाझ्यपयं वा / तो तम्मि उच्चारिते समाणे केसिंचि भगवंताणं केइ अत्थाहिगारा अहिगया भवंति, केसिचि य केइ अणहिगया भवंति, ततो तेसिं अणहिगयाणं अत्थाणं अभिगमणत्थाए पदेणं पदं वत्तइस्सामि संहिता य पदं चेव पदत्थो पदविग्गहो / चालणा य पसिद्धी य, छव्विहं विद्धि लक्खणं // 135 // से तं सुत्तप्फासियनिज्जुत्तिअणुगमे / सेतं निज्जुत्तिअणुगमे / सेतं अणुगमे। [सुत्तं ६०६.णयदारं]६०६.से किं तं णए ? सत्त मूलणया पण्णत्ता / तं जहा-णेगमे संगहे ववहारे उज्जुसुए सद्दे समभिरूढे एवंभूते / तत्थ- णेगेहिं माणेहिं मिणइ त्ती णेगमस्स य निरुत्ती 1 / सेसाणं पि नयाणं लक्खणमिणमो सुणह वोच्छं // 136 / / संगहियपिडियत्थं संगहवयणं समासओ बेति 2 / वच्चइ विणिच्छियत्थं ववहारो सव्वदव्वेसुं 3 // 137|| पच्चुप्पन्नग्गाही उज्जुसुओ णयविही मुणेयव्वो 4 / इच्छइ विसेसियतरं पच्चुप्पण्णं णओ सद्दो 5 // 138 / / वत्थूओ संकमणं होइ अवत्थु णये समभिरूढे 6 / वंजण-अत्थ-तदुभयं एवंभूओ विसेसेइ 7 // 139|| णायम्मि गिण्हियव्वे अगिण्हियव्वम्मि चेव अत्थम्मि / जइयव्वमेव इइ जो उवएसो सो नओ नाम // 140 / / सव्वेसि पि नयाणं बहुविहवत्तव्वयं निसामेत्ता / तं सव्वनयविसुद्धं जं चरणगुणट्ठिओ साहू॥१४१।। सेतं नए।[॥अणुओगहाराइंसम्मत्ताई॥] सोलससयाणि चउरुत्तराणि गाहाण जाण सव्वग्गं / दुसहस्समणुट्ठभछंदवित्तपरिमाणओ भणियं // 142 / / नगरमहादारा इव कम्मदाराणुओगवरदारा। अक्खर-पिंदू-मत्ता लिहिया दुक्खक्खयट्ठाए॥१४३|| जाणमोत्थुणं समणस्स भगवओ महइमहावीरवद्धमाणसामिस्स // णमो अणुओगघराणं थेराणं / भगवंसिरिसामज्जवायगविरइयं 乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听乐乐乐听听听听听听乐听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听 Koro4 5 5 55555555श्री आगमगणमंजूषा-१९४४॥54555555555555555555555OOR