Book Title: Yantrarajo
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मलयेन्दुसूरिकतटीकासहितः / अथाचाशेभ्यः परमदिनानयनम् / हिस्थाशांशा जिन२४र्भका सम्धमक्षारिशोधितम्। शेषमई इतं दिम्भिः पश्यात दिगुणीचतम् // 25 // तत्राडिकाविनाधादि जाके चिंशता युतम् / नयम्मान्ते रखी मोर पलेभ्यः परमं दिनम् // 26 // उदाहरणेनैव व्याख्या या तद्यथा दिल्यामक्षांमाः 2838 हि:स्थाः 2838 चतुर्विधतिभिभाशामधं // 1138 पक्षांशेभ्यः शोधिसं शेषं 2027 23 भक्तिं 11441 दशगुणं 1310 षष्या . सं 2 / 17 / 10 बिगुपितं 1 / 34134 * प्रोपपत्तिः। थीग्रहलाघनकारालाच छायेषुध्यक्षभायाः कृतिदमसवानन्यस्य विज्ञापनासबमलेन पसभा = सवा पन्नभा = अ एकाहुसपसभासम्बन्धि परमपरंत्रयाविश्यतिमितं प्रकल्व पत्नभा सेन गुपिता परमपरं पनामक -214-23.542 )- (2355 ) - (231) स्वल्पान्तरात्- (च-5) पद चव्यर्थ षष्टि भयं तपिशुणं दिनमानार्थ शिद्युतं तेन सर्वमुपपनम्। For Private And Personal Use Only

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