Book Title: Yantrarajo
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - -- Mam. .. मलयेन्दुरिकतटीकासहितः / 127 ति। तथैव तस्मिनचचवत्री पूर्वापरभूजरेनोपरि धृते सत्युभयचापि यो राथिभागी लगति तमसम्बन्धवशेन भस्य नक्षत्रस्योदयास्तलरते क्रमेण स्यातां भवतः / प्रथ यन्त्रेण तिथिनक्षत्रयोगानयनम् / कुरी निरक्षे रविचन्द्रभाग-- न्यासान्मृगास्यक्तियस्य चिन्छे / कप्तामध्यात्परतोऽरुखोने चन्द्रभक्त तिथयो विलब्धाः // 46 // द्यमध्यरेखाङ्गशशाशचिन्हान्तरे चि 3 नि खचतु४. विभक्त / यदाप्यते तद्भगणेऽश्चिधिषयवा: स्फलं गतं स्वास्किल कालरते 47 // रव्यङ्गपीयूपकराजयोगे / रामाहते खाधिभि 4 रहते च / प्राप्त गर्न स्थाकिल योगहन्द शोध्यं भचकाभ्यधिके तु चक्रम् // 48 // गतं विशुद्धं निजभागहारादेष्यं भवेत्तविहतं च षष्ट्या / For Private And Personal Use Only

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