Book Title: Yantrarajo
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मलयेन्दुरिक्षतटीकासहितः। 11. दंशबाथानामुपरि सिंहस्थ समीश्री सम्नः / तसो जात भौमः सिंहराश दामे था- भागे सायमी बने भयन१४ विहीनः 325 कर्मटे भपति एवं सर्वेऽपि प्रा . समानीयन्ते। अथ प्रामुख्यानयनम् / प्रसाध्यते कालयुगे मते - त्स्फटी अहस्ताई तदन्तरं यत् / पहित तधुदखोवृताप्त दिक्सङ्ग तस्य गतिः, कलाद्या // 27 // अस्य व्याख्या मसेभीष्टकालयुगे पूर्वमहरान्त चतुर्धग्रह. रादौ च यदि सटतानीयते तदा तदन्तर यदस्ति तत पडित्वा धुदलगाइन्य सदानं दशगुणं कुर्यात् एवं ते तस्य अहस्य कलाद्या गतिः स्यात् / अवोदाहरणम् / संवत् 1435 ज्येष्टशुक्ला 15 गुरौ प्राधावतांशा से; 42 दिनधयः 8 पतानि 36 समये स्टोऽर्थः सायनः 2046 वतीयप्राराले दिनगनघटी 21 पलामि 18 समये स्कुटीऽर्क: 2 // 1 // 137 इष्ट कालायोरन्तरं 14118 रसैमुणित मातं 8548 पदं दिनमानस अन 16 // 52 भई तती लवं | कलादि फलम् // 5. दपगुणं कुर्यात् एवं कृते जाता रवै: | स्फुटा गमिः कलादिका 582. एवं सर्वत्राप्यानवितश्यम् / For Private And Personal Use Only

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