Book Title: Yantrarajo
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir rw - - - - मलयेन्दुभूरिछतटीकासहितः। 118 1 - - परे परे पञ्चदशाच नाद्यशैकं दिन पष्टिपटीप्रमाणम् / निशा च तावत्पमितैव भूयासौम्यं त्वजाणिवा याम्यम् // 31 // एषा व्याख्या सुगम // अथ दिनराभिमानानयनम् / स्याशकं प्राक्षितिजे परेच मुक्खा ततो मार्गमुखेतिते विः / चायतचिन्दान्तगतं दिन स्था शेषास्त मिसा घटिकाः समस्ताः / 32 // प्यास्था शिकं प्राक्षितिजे परे पिति च मुखा / मगमुखे खानइये प्रापिते तधिहावे पूर्वापरचिनासारनतं | कालहसे दिनप्रमाणं घटीपसामनं भवति / तदारास्थित श्रेषं रानिमानस्य घटिकादिकं स्यात् / प्रथायनांगाः / यनवेन्द्रमध्योचतभागकेभ्योदेशे निजे योऽस्ति परिस्फुटेोऽर्कः / सिद्धान्तयुक्त्यापि च साधितो य- . स्तहिप्रयोगादयमांशकाः स्युः // 33 // mam - mm- ALA For Private And Personal Use Only

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