Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya,
Publisher: Rander Road Jain Sangh
________________
ઊંટ
भोस्
११७-शे.
ब
३६१
भृति
FEE: ::
भृत्य
ઘેટો
में हुई . हैं हैं . . . 4 में जब 11
शब्दः अर्थः
श्लो. सोनानी आरी (४२२) भृङ्गारिका तमरु ( तनु) तु १२१६ भृङ्गिन् शं४२नो भूभाग २१० भृङ्गिरिटि
२१० भृङ्गिरीटि
२१० भृत् આ શબ્દ લગાડવાથી
ધારકવાચક શબ્દ બને છે,
६० शूलभृत् भृतक પગારદાર
पगार, भूल्य, भटूरी ३६२ भृतिभुज् પગારદાર
३६१ ચાકર
___३६० भृत्या पगार, मूल्य, भठूरी ३६३ घ, बहु
१५०५ સેકેલું અન્ન
४१२ દેડકો
१३५४
१२७७ ભેદ, ચાર ઉપાય પૈકી એક ઉપાય ७३६
७३६ નગારું.
२९३ નાની હોડી, મછવો ८७९ भेषज ઔષધ
४७२ ભિક્ષાનો સમૂહ १४१५ भैरव શંકર
१९८ ભયાનક
३०३ भैरवी પાર્વતી
२०६ भैषज्य ઔષધ, દવા
४७३ भोक्त પતિ, વર
५१७ ગણિકાનો પગાર ३६३ ફણા, સર્પની ફેણ १३१५ સર્પનું શરીર
१३१५ भोगान्तराय तीर्थ 5२मां न छोय ते १८
ઘેષ પૈકી બીજો દોષ ७२ भोगावती નાગોની નગરી १३०७ भोगावली સ્તુતિપાઠકનો ગ્રંથ ७९५ भोगिन् सर्प
१३०३ भोगिनी अभिषे विनानी રાજાની રાણી
५२० भोजन मो४न, ४ भए।
४२४
सार्थशब्दानुक्रमणिका
भृ-८६७-भ्रू पृ. पं. | शब्दः अर्थः
श्लो. पृ. पं. ३१४ ५२ भोलि
१२५३ ५७८ ३१ संबोधनना अभय . १५३७ ७०५ ४२ ९५ १६ । भौती રાત્રિ
१४२ ५० ३८ ९५ १८ | भौम મંગલગ્રહ ९५ १९ (,)
११७ ४० ६० भौरिक सुपा ५२नो अधिकारी ७२३ ३१७ भ्रंकुश સ્ત્રીવેષધારી નટ ३२९ १४८ १२
भ्रंश ઊંચા સ્થાનથી પડવું, १६२ ९
पोताना ५४थी ५3jत १५१७ १६२ २२ भ्रकुटि ક્રોધ વગેરેથી વાંકી १६२ ભ્રમર થાય તે
५७९ २५५ ५२ १६१ ४७ भ्रम દારુભ્રામક યંત્ર
९०९ ४०१ ४० १६२ ३९
ચક્રાકારે જલનું નીચે જવું, ६९०
पान निगवानो सस्तो १०८८ ४९४ १४ १८२ ४७
ભ્રમ, વિપરીત જ્ઞાન શરૂ૭૪ દરૂ. ૪, ६२१ ४३
431312 ३२, ममj १५१९ ६९५ ५८८ २५ भ्रमर ભમરો
१२१२ ५६१ भ्रमरक
લલાટ ઊપરના ३२३ ५४ લટકતાવાળ
५६९ २५१ ३६ ३२३ ३२ (भ्रमरक) गे, पाने २भवानुं साधन ६८९ ३०५ ५० १३४ ३५ भ्रमरालक
, , ५६९ २५१ ३८ ३८६ ६० भ्रमासक्त તલવાર વગેરે શસ્ત્ર २०८ ३७
ઘસનાર, સરાણિયો ९१६ ४०४ ६५० ४९ भ्रमि यारे लमj, ३२j १५१९ ६९६ ४ ८७ ४७ भ्रष्ट પડી ગયેલું
१४९१ ६८३ ५१ १३८ ३८ भ्रातुर्जाया ભાભી
५१४ २२७ ३८ ९३ १० भ्रातृ सगो माई
५५० २४३ ४७ ३०८ ४४
ભાઈ-બહેન બન્ને ५६१ २४७ ४३ २२८ ४८ (भ्रातृजाया) माली
५१४ २२७ ४० १६२ ४२ भ्रातृव्य ભત્રીજો
५४३ २४१ २७ ६०३ ३५ भ्रात्रीय
५४३ २४१ २७ ६०३ १३ भ्रान्ति विपरीत शान (भ्रम) १३७४ ६३० ३९
ચક્રાકારે ભમવું १५१९ ६९६ १८ (भ्रामर)
१२१४ ५६३ भ्रामरी પાર્વતી
२०५-शे. ९२ १९ ३५१
ચણા વગેરે સેકવાની ५९९ ४६ કડાઈ
१०२० ४५७ स्त्रीवेश पा२९॥ ४२९॥२ नट ३२९ १४८ १३ २३० १८ ।
औषधी वन भर थायते ५७९ २५५ ५२ १८७ २३ ભ્રમર, ભવાં
५७९ २५५ ४८
भैक्ष
EEEEEEEEEE
भोग
મધ
भ्राष्ट्र
भ्रुकुंश भ्रुकुटि
ई
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 906 907 908 909 910 911 912 913 914 915 916 917 918 919 920 921 922 923 924 925 926 927 928 929 930 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974 975 976 977 978 979 980 981 982 983 984 985 986 987 988 989 990 991 992 993 994 995 996 997 998 999 1000 1001 1002 1003 1004 1005 1006 1007 1008 1009 1010 1011 1012 1013 1014 1015 1016 1017 1018 1019 1020 1021 1022 1023 1024 1025 1026 1027 1028 1029 1030 1031 1032 1033 1034 1035 1036 1037 1038 1039 1040 1041 1042 1043 1044 1045 1046 1047 1048 1049 1050 1051 1052 1053 1054 1055 1056 1057 1058 1059 1060 1061 1062 1063 1064 1065 1066 1067 1068 1069 1070 1071 1072 1073 1074 1075 1076 1077 1078 1079 1080 1081 1082 1083 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091 1092 1093 1094 1095 1096 1097 1098