Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 1077
________________ १०३६ ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च वृत्तिः | ६० | ४९ १८७| १८ | १९८ | ३ | ३१८ | ३ |३८७ | १९ | ३९० | २४ | ४८० | ५२ ४८१ |५६१] १०५७१५४५८१ ३२ वृद्धन्यासः २४७] ३३ वृन्दावनम् ५२९ २६३९ ५५ ६४२४४ वेणीसंहारम् १५०/२५ वेदः २९ ३१ वैजयन्ती ९/११९| ३०१५७/६/१७५/५३ १७५ | ६६ | १७९| ३८१८० २०६ | १५/२०८ ५ | २५८|३१| २६३ | ५७/२६६/४१ | २७०/१०/२७०३२ २७६ / २५ २८८, १३ | २९०३७ ३२४३६ ३४२ ३ ३४२/४० ३५६ १७ ३६५३६/३६६ ४४ | ३८६ २०३९४|२४|४५१] ४४ | ४५५५६४६० ५० ४६९ ५४७० ५०४७९ ४४|४९७ ३५१३/१४ | ५६२३८५७७ ३६ १०/४७९/४४/४२७ वैजयन्तीकारः २६६ / ३६ / |वैद्यकम् २०७/११ वैद्यशास्त्रम् वैद्याः १७८ | ५६ २७५/५२ | २७६ | ३१ |२७९ | २७ | |४१९| ४१६१९ । ६४ ६१ ९९/३६ वैयाकरणाः वोपदेवः वोपालितः ५९४८ ९२| । ९९| १५ | १४९ - ६१ ૮િ૨ ૨ ૨૧૮ ૩૧ | ૨૩૪ ૨૨ ૨૩૭ ૧ | ૨૨ ૨૩ ૨ ४५० | ३२ ५४० ३८ ५९६ | ३२६१० | २०६१९ / ६ ६२६ / १० व्याख्या ३३२ व्याख्यामृतम् व्याडिः ११० ४९/१११/ ८११९ ३२२१५ | २१/२२७ ५ | २७२/ ३४ | २८३ २८६ ४० | ५४३ २५ ५५० ३६ ५८६ ४२ ५९६ २८ ६९० २४ ६४४ | १९ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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