Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 1076
________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला १०३५ ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च वामनाचार्यः वायुपुराणम् ७६ ८१] ४५ ४७१|२४|४८६ ३ वार्ता २४९ वालकाप्यः २६७ | २१ वासवदत्ता २९| १५ | ४९/ २३ ७३|४६ १२२/४८२४८ |५६ | २९३ | ४२४८३ | ४० uze 20 luxo |१०५० ५४० २१ | ५४० वासवदत्तागद्यम् ३१२ १० वास्तुशास्त्रम् ४५० वास्तुशास्त्रविदः ४५०३३ वास्तुसुतः ४४८ ३९३/ २२५०६ ५५ ६५६१० विक्रमादित्यः विक्रमार्कः विदग्धमुखमण्डनम् विन्ध्यवासी ५०|४३ | २६० ४८ ५५ २३ विशाखः १४५ २३ विश्वः |३२२ | २८ ३३८ ४२ / ३८४ | १४ | ३९९ | ४४ ४११ | ५० ४४८ | ३१ | ४६६ | ४८ ४७१ १९५०२ | १५ |५२१/३९ ५२६ | १९५४७/४८ ५६५ २५ | ५६९ ५८२ | ४३ ५९३/ २९ ६१५/२८/६६२/४८/६६२५१ विश्वप्रकाशः ५३७ १४ विश्वदन्तः विष्णुः ४९८ विष्णुपुराणटीकाकाराः | ७. विष्णुपुराणम् Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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