Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 1082
________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला १०४१ ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. । सुभूतिः ५१५१८५२१] ३९५३०४०५३३ / ५२५४५ | २२ ५५२/५२/५६३ ५६४] ८/५७१] ३०५८१३|५८३ | ३३ ५९४|४० ५९६ | ३९ ६०४ २१ ६०५ | ३५६०८/ १७/६२५|१३|६२९ | २०६४६ / २४ | ६८८५६ सुभूतिचन्द्रः सुरानन्दचरितम् १११ ४८ सुश्रुतः २०८ | १२/५३४| ५१ ४७४|४३ सूक्तम् सूत्रकृदङ्गाद्वितीय श्रुतस्कन्धतृतीयाहारपरिज्ञाध्ययनावसानम् ४८०४७ १७९| २७ सूदशास्त्रम् सोमनन्दी ४३२२८४४७ ४२ ४४७/५५४९० ८५३७/१२६१८३८६८५ ।४३ | ८६ | १५ | ८७ ६ ८७ | ५७८८ | १५ | ८८/२९ २२५४३३९५/६० | ८८/२३/१२२ ११६६ | ३२ | २१९ | ३५ | २२७ | १५ स्मार्तः स्मृतिः |४० २३२५७/२३३] ४९ |२३४|२४|२४०५/२४० |३९ | २४२/३९| २४३ २७० ४९ | ३१५४३३५९ ४६/३५९ ३७२ २४८/१० ३७६ | ४८/३७६ |४६७४५ ४८३ | १३|४९२/२२ ५००/२० स्वामी २६/२२ २९| १३ | ३३४६ | ३६ १९ । ३७/४४ ४० ४०२२ ५३ | ४८ ५४ | १८ ५५ ३७ | ६५१०६५४०६७/ १८ । ६९ ८ ६९ | १५ ६९३६ ] ७०/ ४४ ७३|२९| ७४ | २ ७४ ४३ - ७४/५४ ७५ ८ ७५ | २७] ७५ ७८३५ ७९३३ ८१/ २८ ८१ | ८२|१४| ८२/२८ ८२ ४२, ८६ | ३० ८७/३० | ८८ ४ ८८|२७| ८९ | २८ ९१५८ । ९३ | २०|१०४ | ३५ |११९/४४|१२१| ७ | १२९|३२|१४१ । ५ १०५ | १३|१०७/ २५ Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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