Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 1080
________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला १०३९ | पृ. | प. पृ. पं. ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च शेषः (शैषिकम्, शैषिकाणि) २९५ | ३६ |२९५] | २९९ ४६ | ३०६ |५६ ३१२ | १६ |३१४|३५|३१४ ३१५ | ५२३१६३४ | ३१८/४९ | ३४२ ४१ ३४३ | २६ | ३४३ | ४५ |३४५ ३४६ ४९/३४६ ५५ ३४८४८३५०४९/३५६ ६ ३७३/ २४/३७४ | ५६ |३८२ | १४|३८८] २४ |४०३६३/४०७/४८ ४१६/५९ | ४६२/१२४६२ ४६३६४६७/५६ ४६८५७/४६९ | २२|४६९ | ५० ४७०९४७२ ५७५/१६/५८९ ३१ ५९०३७५९१ / १५/५९२ ४९ ५९५/१६ ६०० ૬૦૪ ૪૬૦૬ ૨૨ ૬૦૭ ૬૦ ૧૮ ૧૪ ૨૦૧૪૮ ૧૪૨ ૧૮ ६१३ | ४७/६१७/ ५३ ६१८८६१८ | १८६२४|१७ शेषरामाचार्याः | २२३ | ४० । । । । श्रीधरः २५४/४२२६४ ४३२६९| ११ | २७५/३२ २८३ | १३ | २८६ ४२८७ | २४ २९०/ ४१३००/ ४५ |३१०/२९ ३२७ | ४२/३३४४३३८२८ |३४३ ५२ | ६|३५५, ३४३५९/१६ | | ३६२/६३८० ३ ३८०|२७|३८०६१ ४२९ | १८/४३२ ४८ ४३२५९| ४३६ | ४५४३९५६ | ४४२५४|४८७ | ४२ ४९६५३/४९८] | ४ |५००/३३ 1५०९| ४६/५४७ ५ ५५५ १५५७ | ४६ ५६२ ४६ ५८६ ५६ ६६४|४२ | ६६६ | १४६९२ ५ श्रीधराचार्य: ३९१ | २७ श्रीनिवासः ६१ ३६ श्रुतिः २३ | ३० २८, ५७ | ३० ५ ३५/२१/ ८६ ३ | ८७ ४१ । ९७ १५ १०२ ५१०७/ ३२ | २४० २/२७१ | ३१ |३७२ | ३० | ३८० ९.३८० | २१ षड्दर्शनसमुच्चयः संक्षिप्तभारतम् ३९५ | २५/५०३, ३२ | ३५६ ३३ १०० | २३ । । Jain Education Intemational Education Intermational For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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