Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 956
________________ अर्थः ५८२ व्यध्व सार्थशब्दानुक्रमणिका व्य-९१५-व्यु शब्दः __ अर्थ: श्लो. पृ. पं. | शब्दः श्लो. पृ. पं. व्यक्त વિદ્વાનું, પંડિત ३४२ १५४ २५ પદમાં લગાડવાથી સ્પષ્ટ १४६७ ६७३ પ્રશંસાવાચક શબ્દો બને व्यक्ति विशेष, भिन्न-भिन्न १३५ १५१५ ६९४ १८ छ,४भ-पुरुषव्याघ्र १४४० ६६१ ४१ व्यग्र व्यास, आमरायसो ३६६ १६३ ५५ व्याघ्राट ભારદ્વાજ પક્ષી १३४० ६१५ व्यङ्ग ___ १३५४ ६२१ ५९ व्याघ्री બેઠી ભોંયરીંગણી ११५७ ५३५ व्यञ्जक હાથ વગેરેથી હૃદયનો व्याज છળ, કપટ ___३७८ १६८ ३५ ભાવ જણાવવો તે ___२८२ १३० २० व्याडि વ્યાડિ મુનિ ८५२ ३७६ ८ व्यञ्जन धी-॥-10-5ढी वगैरे ३९७ १७५ ५८ व्यादीर्णास्य सिंह १२८५-शे. ५९१ १८ દાઢી-મૂછ ५८३-शे. २५७ व्याध શિકારી ९२७ ४०९ १२ પંખો, વીંઝણો ६८७ ३०५ व्याधाम ઇંદ્રનું વજ १८१ ७५ १८ व्यतिहार અદલા-બદલો કરવો ८७० ३८२ व्याधि માનસિક પીડા ३१२ १४२ २८ व्यत्यय વિપરીત, ઉલટું १५०२ ६८८ ३६ રોગ ४६२ २०३ १३ व्यत्यास १५०२ ६८८ व्याधित રોગી ४५९ २०१ ३३ व्यथक પાડનાર ५०१ २२० व्याधिस्थान शरीर ५६४-शे. २४९ ३२ व्यथा દુ:ખ, પીડા १३७० ६२८ व्यान સંપૂર્ણ, શરીરમાં સંચાર व्यध વીંધવું १५२३ ६९७ ५६ કરનાર પવન ११०९ ५०८ કુમાર્ગ, ખરાબ રસ્તો ९८४ ४३८ २० व्यापन મૃત્યુ પામેલ ३७४ १६६ ५२ व्यन्तर વ્યંતરદેવ ९१ २६ ४७ व्यापाद દ્રોહ ચિંતવવો તે १३७२ ६२९ ४० व्यपदेश ७१, 542 ३७८ १६८ २९ व्यापादन હિંસા ३७० १६५ २७ व्यभिचारिन् शयारी, यारित्र भ्रष्ट ३२६ १४७ १ | व्याप्त અમાત્ય સિવાયના કામ (,) संयारीमा २९५ १३६ १५ । ७५२ नोभेला मंत्रीमो ७१९ । व्यय દ્રવ્યનો વ્યય १५१६ ६९५ १ व्याप्त पूर, भरे १४७३ ६७६ २४ व्यलीक ઠગવું ३७९ १६८ ५६ व्याम वाभ, जने हाथ माઅપરાધ ७४४ ३२७ १७ લાંબા કરે તેટલી લંબાઈ ૬૦૦ ર૬૪ ૧૮ व्यवच्छेद ધનુષ્યમાંથી બાણનું છોડવું ૭૮૦ ૩૪૪ ૨૦ व्यायाम था, परिश्रम, सरत ३२० १४४ ४९ व्यवधा अन्तर्धान, ढis मन्तवान, ढाड १४७७ ६७७ वाभ, भन्नेहाथ मासव्यवधान १४७८ ६७७ ४८ सांना २ तटबी संबाई ६०० २६५ २ व्यवहार सेश-दृए। संबंधी व्यवहार २६२ १२१ ५७ व्यायोग નાટ્ય પ્રબંધનો એક પ્રકાર ૨૮૪ ૨૨૦ ૪૮ તરવાર ७८२-शे. ३४५ व्याल હિંસક પશુ १२१६ ५६४ १७ व्यवाय भैथुन, मी ५३८ २३८ ४१ ખરાબ હાથી १२२२ ५६६ २१ અંતરાય, વિપ્ન १५०९ ६९१ સર્પ, નાગ १३०३ ५९९ ५७ व्यसनसप्तक शि१२ सात व्यस- ७३९ ३२५ १४ व्यालग्राहिन् २००४, स ५४२ ४८८ २१५ व्यसनात व्यसनथी पीडायर ३८१ १६९ (व्यावृत्त) (१) ढं आयेयु, (२) ५संह व्यसनिन् धूतानो व्यसनी ४३५ १९१ ३३ ४२j, यूंटी ढेj १४८४ ६८१ ९ व्याकरण વેદના ૬ અંગ પૈકી व्यास વ્યાસ ઋષિ, મહાભારતકાર ૮૪૭ રૂ૭૪ ૪૨ ત્રીજું અંગ २५० ११६ ६० विस्तार, इसाको १४३२ ६५८ १८ व्याकुल વ્યાકુલ, ગભરાયેલો ३६६ १६३ ५४ व्याहार पाए, वय २४१ ११३ २२ व्याकोश ખીલેલું પુષ્પ ११२७ ५१९ ३ व्युत्क्रम भविनानु, Geटो म १५११ ६९२ २३ व्याघ्र વાઘ १२८५ ५९१ २२ | व्युत्पन्न शस्त्राहि तत्त्वोनो संस्डारी ३४५ १५५ ५४ વ્યાધ્ર વગેરે શબ્દો ઉત્તર व्युष्ट सवार, प्रात:514, प्रभात १३९ ४८ ३२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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