Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 1059
________________ १०१८ ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च कलिङ्गः पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | ४५६ | ४६ ४८१] २६ ४८२ ३६ | ४८३ | ३०४८८ ३० ४९९ | १५ |५०१ ५०४५६ ५३७| ११|५९९ ४१६१७ | १९६१९ ३० कविकल्पलता ५३०१५ ५३१ १५ ९६/५७ कविशिक्षा कविशिक्षावृत्तिः कविशिक्षाश्लेषसिद्धिप्रतानम् ४९५ ४६ कश्चित् । कातन्त्रपञ्जिका ४५६ | ४८ कातन्त्रोणादिः ५६ | ४४ | ५२ | ३३ | ५८ ४५ | ७३| ६ | ८९ | ४५ १६९ | २ | १९० | १२ | २३० | २१ ] कात्यः २३७/४३|२९८] ४४ | ३१३४७/३२५ |४४९५७ |४९४ ३४५१३ ५८४/११/६०६] ५३६२५३५६७४ | १९६९८] २१ कात्यायनः २३१ ४३/६३८५९ कामन्दकीयम् ६३५ १४ कामन्दिः ३२८| ४३ कादम्बरी. ६०९५८ कालापा: ६२८/५२ १९५५७ |४६४ १५०२/ २ कालिदासः काव्यकल्पलताश्लेषसिद्धिप्रतानम् ४७९ १९ काव्यप्रकाश: काव्यादर्शः २२२| २८६९९| ४१ काशिका १४० ४३ | ४२३] १०६५४|११ काश्यपः १८७/२० किरातः ४७२, ४२६८० १९ कीचकवधम् | १३४ | २४ १३४ २४ । । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org..

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