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ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च
ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च कलिङ्गः
पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | ४५६ | ४६ ४८१] २६ ४८२ ३६ | ४८३ | ३०४८८ ३० ४९९ | १५ |५०१
५०४५६ ५३७| ११|५९९ ४१६१७ | १९६१९ ३०
कविकल्पलता
५३०१५
५३१ १५
९६/५७
कविशिक्षा कविशिक्षावृत्तिः कविशिक्षाश्लेषसिद्धिप्रतानम्
४९५ ४६
कश्चित् । कातन्त्रपञ्जिका
४५६ | ४८
कातन्त्रोणादिः
५६ | ४४ | ५२ | ३३ | ५८ ४५ | ७३| ६ | ८९ | ४५ १६९ | २ | १९० | १२ | २३० | २१ ]
कात्यः
२३७/४३|२९८] ४४ | ३१३४७/३२५
|४४९५७ |४९४ ३४५१३
५८४/११/६०६] ५३६२५३५६७४ | १९६९८] २१
कात्यायनः
२३१ ४३/६३८५९
कामन्दकीयम्
६३५ १४
कामन्दिः
३२८| ४३
कादम्बरी.
६०९५८
कालापा:
६२८/५२
१९५५७ |४६४ १५०२/ २
कालिदासः काव्यकल्पलताश्लेषसिद्धिप्रतानम्
४७९ १९
काव्यप्रकाश:
काव्यादर्शः
२२२| २८६९९| ४१
काशिका
१४० ४३ | ४२३] १०६५४|११
काश्यपः
१८७/२०
किरातः
४७२, ४२६८० १९
कीचकवधम्
| १३४ | २४
१३४ २४
।
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