Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya,
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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अभिधानचिन्तामणिनाममाला
१०२३
| ग्रन्थाः ग्रन्थकाराश्च
दुर्ग:
| पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ. | पं. | पृ.
| ९ |१६१ ५८ | १८७ | २६ / २०८/४० २५१ | ६ | ३४९ | ३९ | ३८५ / २८ ३८६ ४४ ५१८, ३/६४२ | १६ | ६४८, ३ | १६३ | २२ । ।
८६ | २८ | ९९/ २५ | १५०/१०४४२ ३५/४४७ | ५९ | ४६७/ १४९० | १३ ४९२ ४०४९७/ २३ ५४०|२३|६२७/५३
द्रविडा:
द्विरूपकोषः
द्वयाश्रयः
५८०२६/६९६ ५१ |७००६६
२३२
व्याश्रयटीकाकृत् धनञ्जयनिघण्टुः
२६०४६
धनपाल:
७९ १९
८३| १६ |३०४|४२
धनुर्वेदः
३४२|१४|३४२५१ | ३४४|१०
धन्वतरिः
१७५ | १३/१७९| ८|१८१५० १८२
३ २८३
३ | २८६ | ३५ | २८७ | १५
४१९ | २३/४२० २५ | ४७३/५०/४७४/ २१ ४७५ | १८
४७५ | ५५ | ४७६ | ३४
४७८ |४०५२२ ५४ ५३५५५
५३६ | १५५४१
धरणिः
१५८
|
३ | २७८|२७| ३२२ । ९३५३ | १४ | ३८६ | ५३ | ३९३ | ४५
४३५ | ३४|४५१] ४३ |५२२| ४|५२५/३९
६५४
धर्मकीर्तिवार्तिकम् धर्मदासः धर्मवृत्तिः धातुपारायणम् धातुप्रदीपः धातुवृत्तिः नन्दस्वामी नन्दी
| ७० | ३४ ७२| ११ | १५९| ५ | १७७ | २२ ३३८ | ९ | ५१७ ५९ | | ર૭૪૮૮ ૨૬/૪૨૪૬ ૫૪૮ ૪૭ ૬૭૮ | ૨૨ |
१८/१६० ५६१७३| ११ | १९८ | ४९ ३८०४६ ६३७/ २१
नरहरिः
नाट्यम्
| १३३ | ४३ १३४ २७ २६४ १९
नाट्यशास्त्रम्
१२९| ३३
नानार्थकोषः
|१५०
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