Book Title: Vyutapatti Ratnakarakalita Abhidhan Chintamani Nammala
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 913
________________ of मरुत् ६४७ २९ १२ म-८७२-म अभिधानचिन्तामणिनाममाला अर्थः श्लो. पृ. पं. | शब्दः अर्थः श्लो. पृ. पं. मन्दार पवृक्ष, भीहोलीडो ११४१ ५२७ ५ (,) મરીચિ ઋષિ (સપ્તર્ષિ मन्दिर ढीयानो पालो भाग ६१४ २७१ ४० | पै.ही में) १२४ ४३ ६४ ભવન, ઘર ९९० ४४१ ७ | मरीचिका भृगतृष्u, Biजवान ४५ १०१ ३२ ६२ मन्दुरा घोडा बांधवानी ४२या ९९८ ४४५ २९ । मरु पाए विनानो प्रश भारवाड ९४० ४१७ ५३ मन्दोदरीसुत भेधना६, २०१९।नो पुत्र, મારવાડ દેશ ९५७ ४२५ १५ ઇંદ્રજિતુ ७०६ ३११ १४ દેવતા ८९ २५ ४४ मन्दोष्ण થોડું ઊનું १३८६ ६३६ ३८ વાયુ, પવન ११०६ ५०६ ५२ मन्द्र મનુષ્યની છાતીમાંથી मरुत्पथ આકાશ १६३ ६३ ५८ નીકળતો ગંભીર मरुत्पुत्र ભીમસેન ७०७ ३११ ३२ ઊંડો ધ્વનિ १४०२ ६४५ २ मरुत्वत् द्र १७४ ७१ २१ ગંભીર અવાજ १४०९ मरुदेवा श्री महेव म.नी भात ३९ मन्मथ કામદેવ २२७ १०७ २७ (मरुदेवी) " " , ३९ १२ २५ मन्या ગ્રીવાની પાછલા मरुद्रथ हेपानी २० ७ ५२ ३३१ ५४ भागनी बन्ने धमनी-नी ५८७ २५९ ५४ ઘોડો १२३३-शे. ५७२ २ मन्यु २९९ १३७ ३३ मरुप्रिय १२५३ ५७८ ३२ યજ્ઞ ८२० ३६३ ५३ (मरुमरीचिका) भृगतृष्प, inari ४५ १०१ ३२ ६६ मन्वन्तर ७१ हिव्य (हवाना) मरुल બતક પક્ષી १३४१ ६१६ ४० યુગનું એક મન્વન્તર થાય मरूक મોર १३२०-शे. ६०६ छते (विशेष) १६० ६२ ७ मर्क વાયુ, પવન ११०७-शे. ५०७ ३१ પુરાણના પાંચ લક્ષણ मर्कट વાનર, વાંદરો ११९७ ५५६ ३९ પૈકી ચોથું લક્ષણ २५२ ११७ ३७ १२९१ ५९४ ३३ ममता અભિમાન, ગર્વ ३१७ १४४ १० मर्कटक ભૂતા, કરોળીઓ ___ १२१० ५६० ४९ मय ઊંટ १२५४ ५७८ ३२ मर्कटास्य તાંબુ १०४० ४६८ ५१ (मयस्तक) भ. ११७४ ५४४ ३७ (मर्जिता) શીખંડ ४०३ १७९ २४ मयु निर , ध्वनी मेति १९४ ८४ ५३ मर्त्य મનુષ્ય ३३७ १५१ ५ मयुक મોર १३२०-शे. ६०६ २७ मर्त्यमहित हेव ८९-शे. २५ ६८ मयुष्टक ११७४ ५४४ ३२ मर्मचर हाय, अंत:४२५ ६ ०३-शे. २६५ ६१ मयूख કિરણ १०० ३२ ३२ | मर्मभेदन બાણ ७७८-शे. ३४३ २७ मयूर મોર १३१९ ६०६ १५ मर्मर ५isimनो श६ १४०५ ६४५ ५८ मयूरक મોરથુથુ १०५२ ४७५ मर्मराल પાપડ, મમરા ४००-शे. १७७ मयूरचटक युरो १३२५-शे. ६०८ ३९ । પીડનાર ५०१ २२० २० (मयूररथ) કાર્તિકેય, શંકરનો પુત્ર ૨૦૮ ૧૪ ૨ ન્યાયમાર્ગમાં રહેવું તે ૭૪૪ ૩ર૭ ૭ मरक भ२.४ी, महामारी, सीमा,४६ ___९६२ ४२७ સર્વલોકવ્યાપી મરણ ३२५ १४६ ४२ સમુદ્ર કાંઠાની ભૂમિ, मरकत મરકત મણિ १०६४ ४७९ २६ કિનારો १०७७ ४८७ मरन्द પુખરસ, પરાગ ११२७ ५१८ ४० કાન વગેરેનો મેલ ६३१ २७९ ३० मराल હંસ १३२५-शे. ६०८ ५३ દેવ વગેરેની પૂજામાં मरिच કાળા મરી ४१९ १८५ ३१ શ્રદ્ધા વિનાનો ८५८ ३७८ २० मरीच ४२०-शे. १८५ ४५ । કાંસુ १०४९ ४७४ १३ मरीचि કિરણ ९९ ३१ ३७ | मलय मस्यायस पर्वत १०२९ ४६३ १ मर्मस्पृश् मर्यादा Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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