Book Title: Vishwajyoti Mahavira
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 4
________________ प्रकाशकीय I भगवान् महावीर परम वीतराग आप्त पुरुष हैं । उनकी कही हुई वाणी यथार्थ जनमंगल की वाणी है । उसी वाणी का आधार लेकर हमारे दर्शन एवं धर्म की चिंतनधारा प्रवाहित है । अतः श्रमण इतिहास में यदि आज कोई महापुरुष विशेष भास्कर है, तेजोमय है, तो वह भगवान् महावीर हैं । अबतक के प्रायः अधिकांश चरित्र ग्रन्थ, जो भगवान महावीर के दिव्य जीवन से सम्बन्धित हैं, एक निश्चित दिशा में ही एक निश्चित माणक में ही जैसे कि रचयिता ने पूर्व निर्धारित , रेखाओं को खड़ी करके उसके भीतर ही अपने विचारों का महल निर्माया हो, रचे गये हैं । किंतु आज का युग कुछ और मांगता है । इसी ‘कुछ और शब्द में युग की मांग-युगबोध, युग एवं जग - जीवन - सब कुछ छिपा पड़ा है । यह कुछ और चाहता है कि भगवान की दिव्य जीवनरेखा एवं वाणी का आज के प्रवहमान युग के परिप्रेक्ष्य में पुनर्मूल्यांकन हो, चिंतन-मनन हो और एक ऐसा सरल सर्वसुलभ मार्ग उस बीच से खोज निकाला जाय कि देवत्व की कल्पना हमारे जीवन से दूर की वस्तु न होकर, हमारे जीवन के स्वस्थ विकास की परिणति में लक्षित हो । हम भगवान शब्द को सुनते ही भीरु बनकर अपना सब कुछ खो न जाएँ, बल्कि भगवान के रूप में अपने जीवन का ही स्वस्थ विकास समझें । हम भगवान् शब्द को श्रवण कर एक तेजोमय गरिमा से उद्दीप्त होकर, हम भी कुछ हैं, हमारा जीवन - मानव जीवन भी कुछ महत्त्व रखता है, इसका ध्यान करें । इससे भय नहीं, प्रेरणा प्राप्त करें, जीवन को स्वस्थ 6 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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