Book Title: Vedhvastu Prabhakara Author(s): Prabhashankar Oghadbhai Sompura Publisher: Balwantrai Sompura View full book textPage 5
________________ ૧ नामदार महाराजा जायसाहब सर दिमूविजयसिंहनी बहादुर ग्रन्थके बारेमें अपनी शुभाशिष भेजते हुए लिखते है :-- I शिल्पशाखा के प्राचीन संस्कृत ग्रंथ लोगों की भाषामें अनुवाद होकर और गहरे के साथ प्रसिद्ध हावे तो ज्ञानकी रखवाली होती है । जैसे प्रकाशनकी जरुरत तो थी । श्री प्रभाश करभाइ स्थपति द्वारा तैयार किये गये शिल्प ग्रंथको देखकर बडी प्रसन्नता हुई । शिल्पविशारद श्री प्रभाश कुग्भाइके कुलमें परंपरागत रितिसे शिल्पविज्ञानकी रखवाली होती रही हैं । जैसे कौशल्यवान स्थपति हाथी श्री सोमनाथजी महाप्रासादका नवनिर्माण हुआ है यह बडे गौरवकी बात है | जैसे शिल्पशास्त्र के निष्णातो ज्ञानका लाभ उठाना भारत के लिये भी गौरवकी बात है । श्री प्रभाश करभाइ शिल्पशास्त्रके गहरे की सुझवृझ रखते है । अपनी सरकार विद्या और कलाके से ज्ञाताओंकी कद्र नियमानुसार करती आयी हैं । हम चाहते हैं कि हमारी सरकार जैसे स्थायी कला निष्णातको पट्टी प्रदानमे विभूषित करें और उनकी विशेषतया कद्र करें । जामनगर ता. १९ -११-६० उत्तरप्रदेश के भूतपूर्व गवर्नर भारतीय विद्याभवन बम्बई के कुलपति श्री कन्हैयालाल मुन्शोजी जिस ग्रन्थके बारेमे अपने पुरोवचन लिख भेजते है कि: भारत के पास कमसे कम बीस शताब्दी पुरानी अपनी शिल्प स्थापत्यकी एक अपनी निजी परंपरा है । सिकी समृद्धि और सिद्धी व्यक्त हुइ हो वैसे प्रकाशन श्रीनेगीने हैं । जिसमें अप्रकाशित साहित्य भी बहुत ही बाकी पडा है । भारतके कुछेक प्रदेशो में स्थपति लोगोंके पास शिल्प साहित्य हस्तलिखित ग्रन्थ हैं । प्रस्तुत ग्रंथ असे एक संग्रहके फलस्वरूप है । जैसे एक हस्तलिखित ग्रन्थका उद्धार एक कौशल्यवान प्राचीन परंपरा पालक स्थपतिके हाथों ग्रंथके स्वरूपमें हुआ है I श्री प्रभाशंकर भाइका जन्म एक जैसे सोमपुरा कुल में हुआ है जो कुल प्राचीन शिल्प स्थापत्यकी पर पगकी रखवाली करनेके पेशे में मशहूर है । वे सोमनाथजी आदि जैसे महाप्रासादोंके निर्माण करनेवाले औरPage Navigation
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