Book Title: Vasudevhindi Part 2
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 65
________________ विजुदाढ-संजयंतवेरसंबंधो] सोलसमो बालचंदालंभो। २६१ ऊण पियरं अभिवंदिऊण पविठ्ठो नयरं । घोसाविओ य रजे अमाघाओ, उत्तमसीलबयरओ सह जणणीय रज्जं पसासति । वजाउहो पंचविहभावणाभावियप्पा जिणकप्पं पडिवन्नो । अयगरनारगो य पंचमाओ पुढवीओ उवट्टिउ चक्कपुरे चेव दारुणस्स सोयरियस्स कट्ठाए भारियाए अतिकट्ठो नाम दारओ जातो । विवडिओ कमेण पाणवहरती वियरति । वज्जाउहो य साहू जिण्णुजाणे पविरलसंपाए अहोराइयं पडिमं ठितो, दिहो य 5 अतिकडेण । दढूण य णं पुवभववेराणुबंधजणियतिबरोसेण विकोसीको खग्गो । वहपरिणएण य णेण दढ-उत्तम-पसत्थज्झाणोवउत्तचित्तो अखंडियचारित्तो खंडाखंडिकओ कालगतो अविणट्टधम्मसंभारो सब्वट्ठसिद्धे विमाणे उववण्णो । अतिकट्ठो वि बहुं पावं समन्जिणित्ता दवग्गिजालाभिहतो सत्तमाय पुढवीयं तेत्तीसं सागरोवमट्रितीओ नेइओ जातो। तत्थ परमसीयवेयणाभिभूओ दुक्खबहुलो विवसो कालं गमेइ । __10 रयणाउहो वि राया दयावरो सञ्च-उजवसंपण्णो बहुं कालं समणोवासगपरियाय पाउणित्ता पुत्तसंकामियरायलच्छी कयभत्तपरिच्चाओ समाहीय चइऊण देहं अच्चुए कप्पे पुप्फके विमाणे बावीससागरोवमठितीओ देवो जातो।रयणमाला वि देवी संगहियवय-सील-रयणमाला कालगया अच्चुए चेव कप्पे नलिणिगुम्मे (ग्रन्थानम्-७४००) विमाणे उक्कोसट्ठितीओ देवो जातो। ठितिक्खएण य धायइसंडे दीवे पुरच्छिमअवरविदेहे सीयाए महा-15 नदीए दाहिणे कले नलिणिविजए असोगाए नयरीए अरिंजयस्स रण्णो दृयह भारियाणं सुव्वय-जिणदत्ताणं रयणाउह-रयणमाला देवा चुया वीइभय-विहीसणा दुवे पुत्ता बलदेव-वासुदेवा जाया । ते य सुहेण विवड्डिया नलिणिविजयद्धसामित्तं पत्ता । विहीसणो य अपरिचत्तकामभोगो विसुद्धसम्मत्तदंसणगुणेण दोच्चाए पुढवीए सागरोवमद्वितीओ नेरइओ जातो। वीतिभओ य भाउविप्पओगदुक्खिओ सुट्टियस्स अण-20 गारस्स अंतिए पवइओ तवे संजमे सज्झाए य उजुत्तो विहरिऊण पाओवगमणविहिणा कालगतो लंतए कप्पे आइच्चाभे विमाणे साइरेगएकारससागरोवमहितीओ देवा जातो। विहीसणणारगो वि पसत्थपरिणामबहुलो उबट्टो इहेव जंबुद्दीवे एरवए वासे अवज्झायं नयरीयं सिरिधम्मस्स रण्णो सुसीमाय देवीयं सिरिदामो नाम कुमारो जातो, कमेण जोव्वणमणुपत्तो विहारजत्तं निजाओ । आइच्चाभविमाणवासिणा देवेणं पुव्वसिणेहाणुरा-25 गेणं पडिबोहिओ अणंतइस्स अरहतो अंतिए पव्वइतो, सामण्णमणुपालिऊण कालगतो बंभलोए कप्पे चंदाभे विमाणे देसूणदससागरोवमहितीओ देवो जातो। अइकट्ठनेरइतो वि ततो उव्वट्टो बहूणि तिरियभवग्गहणाणि संसरिऊण तणुइयकम्मंसो इहेव भारहे जावतिनदीतीरे रिसिगणसे विते आसमपए एगसिंगस्स तावसस्स खंदमणियाए लंखियाए अत्तओ मिगसिंगो नाम दारओ जातो । वोलीणबालभावो समाणो 30 तावसकुमारसंघस्स जणिउच्छाहो परिसडियपंडुपत्त-पुप्फ-फलाहारो परियागं पाउणित्ता १ मडावर शां. विना॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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