Book Title: Vasudevhindi Part 2
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 222
________________ ४८ अग्गिभूह अग्गिला अंजणसेणा अणुदरी अणुदरी अणुहरी इंदसम्म कासव अंसुमंत अइबल अकूर अकिति अकदेव अकप्पभ अक्करह अस्लोभ अग्गिसिहर अगिसेहर अणाहिडि अतिकेड अद्धबाहु अंधगवहि अपराइय अपराजिय अभग्गलेण अभय अभयघोस अभिचंद अमिदमण कोकणय संदिल गंगसिरी गोयम शयधणु अयल अयोधण अयोहण अंगारक अरिंजय अचिमालि अरिंद भजिय अरिंदम अजिषजस अरिसीह भजियसेण अरुणचंद अर्णतविरिय अनंतसेण Jain Education International चंदजस जक्खिल जन्नदत्ता जंबूका ६४ महिषः भद्दग अमोहप्पहारि क्षमोहरव अमोहरिय असणिघोस असणिवेग असियतेय वसुदेवहिण्यन्तर्गतानां विशेषनाम्नां ६३ ब्राह्मण-ब्राह्मण्यः तत्पुत्र-पुत्र्यश्च जसभद्दा देवय दिण्ण धरणिजत नंदिभूति नंदिसेण आइञ्चजस आसग्गीव आससेण इंद इंदगिरि इंदासनि इंदु से इल उपसेन उदय मिग रुद्ददत्त रेवइ वसुमूह वसुमती निसिरीयगोयम बाउम्ह वारुणी सच्चइ बहस्सइ मदिरा ६५ मातः जमपास अस्समेह आसमेह सुणकमेच ६८ राजानो राजपुत्रा विद्याधरराजानो विद्याधरराजपुत्राश्च अमियगति एगरह गलफेड जरासंध जलजडि अमियतेय गलकेत पुणियपुस एणीपुत्त अमियवेय जलणवेग एणीसुय जल बिरिअ कंस कच्छ arraa कणगनाभ कणगपुज्ज कणगरह कणवसचि कण्ह कतविरिय करालभ कविल काकजंघ कामुम्मत्त कालमुह कालसंवर कुणिम कुंभ कुंभकपण कुरुचंद फेव केसव कोणि ६७ यज्ञाः खर गंधार राजमुव गरुलवाहण गरुलविक्कम गरुतवेग गोविंद घणरह चक्काउह चालुम चंड वेग चंडकिि चंदतिलय चंदाम चारुचंद चित्तरह पित्तविरिय वित्तवेग चेद्दप जड जणक जण्डुकुमार जम जयवंत जय काळ जयसल जयंत जयसेण जर सच्चभामा संडिलाइन For Private & Personal Use Only सम्म सामलोमा सिरिमूह सुनंदा सोम सोमदत्ता ६६ मेषाः जसवंत जियभय जियसत्त जियस डंडवेग तिणपिंगु तिलय तिविद्ध तिसार निमेहर थिमिय चिमियसागर दक्ख दटनेमि महाकाल दढरह ददरोध दंड विरिय दंडवेग दंतवक्क दमघोस दमियारि दसग्गीव दसरह दहरह [ परिशिष्टं सोमदेव सोमसम्म सोमसम्मा सोमिला हिरण्लोमी दहिमुह दामोयर दारुग दिण्णग दिसल दियायरदेव दिवायरप्यभ दीहबाहु दुजोह दुईत दुपय दुष्पसद दुमरिसण दुमविखण तुमसेन दुसार दूसण देवग देवदत्त देवदेव देवपुत धण धणवय धम्मिल्ल धरण धरणिलेण धुंधुमार नग्गइ www.jainelibrary.org

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