Book Title: Vasudevhindi Part 2
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

Previous | Next

Page 225
________________ चतुर्थम् ] विभागशोऽनुक्रमणिका । .. धणमित्त सोरिय भइमुत्त दमदत्त धण धणदत्त धणवसु धारण ७१ वणिजः तत्पत्नी-पुत्र-पुण्यश्च नलदाम पूसदेव विजय नागसेण. पूसमित्त विजयसेणा पउमसिरी मम्मण वीणादत्त पउमावती सायरदत्त नंदण रेवह ७२ वाप्यः पियदसणा कलंबुगा पुंडरगिणी अगंतविरिय कण्ह केसव तिविह ७३ वासुदेवराजानः पुरिसपुंडरीय लक्षण पुरिसुत्तम विहीसण आभोगिणी ओसोवणी कालगी केसिगा गंधव गंधारी गोरी जालवंती ७४ विद्याः । तालुग्घाडणी पण्णत्ती महाजल मोयणी संकुया तिरिक्खमणी पवई महाजालवती रुक्खमूलिगा सामगी तिरिक्खरणि पहरणावरणि महाजालविजा बंसलया सुंभा थंभणी बंधणमोयणि महाजालिणी विजमुही निसुंभा बहुरूवा महारोहिणी विजामुही पंसुमूलिगा भामरी माणवी विजुमुही पंडगी भूमीतुंडगा मायंगी विजमुही पण्णगविज्जा मणु मूलविरिया वेयालविज अजियसेण कमला गोरिपुंड जडाउ जसग्गीव धणवती ७५ विद्याधरा: धूमसिह बलसीह धूमसीह म पुरुहूय वहरमालिणी सहस्सघोस सुग्गीव सुघोस ., , कालकेस कालग कालगय कालगेय कालिय केसिपुश्वग गंधार गोरिक ७६ विद्याधरनिकाया: पंसुमूलिग मणुपुश्वग पंडुग माणव पब्वएय मायंग भूमीतुंडग मूलवीरिय रुक्खमूलिय वंसलय विजागंधार संकुल संकुक संकुक सामग पार आइञ्चाभ नंदावत्त . आदिच्चाम नलिणिगुम्म कोंकणवडिंसय पालय चंदाम पीइकर धूमकेड पुप्फक ७७ विमानानि बंभवडेंसय सर्यपभ रि? सम्वट्ठसिद्ध रिट्ठाभ सायरभित्र रुयक सिरितिलय वेरुलिय सिरिप्पभ सुकप्पभ सुजाभ सुप्पह सोत्थिय सोहम्मवडिंसय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 223 224 225 226 227 228