Book Title: Vasudevhindi Part 2
Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 140
________________ ३३६ वसुदेवहिंडीए [संतिजिणपुवभवकहाए मारं रज्ने ठवेऊण दढरहं जुयरायं निक्खंतो तवं करेइ । उप्पण्णकेवलनाणो भविए बोहेमाणो विहरइ । मेहरहो वि महामंडलीओ जातो। ___ अण्णया य देवउजाणं निग्गतो । तत्थ य अहिरमइ जहिच्छियं पियमित्तादेविसहि ओ। तत्थ वि य मणि-कणयसिलापट्टए असोयहेट्ठा निसण्णो। तत्थ ये गयमयगणा गीय5वाइयरवेण महया असि-सत्ति-कोंत-तोमर-मोग्गर-परसुहत्था भूईकयंगराया मिगचम्मणियंसणां फुट्ट-कविलकेसा कसिणभुयंगमपलंबवेगच्छिया अयकरकयपरिवारा लंबोदरोरु-वयणा गोधुंदुर-नउल-सरडकण्णपूरा वारवरबहुरूवधरा सुप्पभूया य से पुरतो पणचिया भूया। एत्थंतरे य कुवलयदलसामलेणं गगणेणं तवणिज्ज-मणिभियागं पवणपणञ्चावियपडायं पेच्छइ आवयंतं दिवं वरविमाणं । तत्थ य सीहासणोवविठ्ठो विचित्तवरभूसणेहिं 10 भूसियसरीरो कमलविमलनयणो कोइ विजाहरो। पासे से निसण्णा पवरजोबणगुणोव वेया विजाहरतरुणी । तं च पियमित्ता दटूण मेहरहं भणति-को एस सामि ! ? विजाहरो ? उयाहु देवो ? त्ति । ततो भणइ मेहरहो-सुण देवि ! परिकहे हैंसीहरहविज्जाहरसंबंधो तप्पुव्वभवो य जंबुद्दीवे भरहे वेयड्ढे उत्तरिल्लाए सेढीए अलगापुरिनगरवई विज्जुरहो त्ति राया, 15 तस्स अग्गमहिसी माणसवेगा, तीसे सुओ सीहरहो त्ति राया एसो पगासो विजाहरच कवट्टी धायइसंडे दीवे अवरविदेहे पुबिल्ले सीओदउत्तरओ य सुवग्गविजयम्मि खग्गपुरे अमियवाहणं अरहंतं वंदिय पडिनियत्तो । इहइंच से गतीपडिघाओ, दलूण य संकुद्धो ओयरिय विमाणाओ अमरिसेणं उक्खिविहि मं करग्गेहिं । (??) तहेव करेइ । उक्खिवमाणो य मए, दप्पोरुगिरिवियारणे एसो । वामकरेणऽकतो, रसियं च महासरं णेणं ॥ तो ससुया भजा से विजाहरा य भीया मम सरणमुवगया । (??) पियमित्ताए य भणियं-को एस पुबे भवे आसि ? । मेहरहो कहेइ पुक्खरवरदीवड्डे भरहे वासे पुविल्ले संघपुरे नयरे रजगुत्तो नाम दुग्गयओ परिवसइ, भज्जा से संखिया । सो अण्णया सभजाओ संघगिरि गओ। तत्थ सव्वगुत्तं साहुं वि26 जाहराणं धर्म कहेमाणं पासइ । ताणि वि धम्म सुणताणि तस्सोवएसेणं बत्तीसकल्लाणं गेण्हइ । दोण्णिऽतिरत्ताई बत्तीसं चउत्थयाणि उवासित्ता पारणए घितिवरं साहुं पडिलाहित्ता सव्वगुत्तसयासे दो विजणाई निक्खंताई। रायपुत्तो आयंबिलवड्डमाणं तवं काउं वेलवणे अणसणेण कालगतो बंभलोए देवो जातो दुससागरोवमद्वितीओ । ततो चइ ऊण माणसवेगाए गन्मम्मि सीहरहो नाम एस राया जातो विकतो । जा सा संखिया 20 पुवभजा सा एसा मयणवेगा, पुणो वि से सा भज्जा जाया ॥ १य सेयमय शां० ॥ २ °णा बुड्डक शां० ॥ ३ °सणविभूसि शा० ॥ ४ संखुद्धो शां० विना ॥ ५°ता त° ली ३ विना ॥ ६ °यगुत्तो उ० मे० ॥ ७ विक्खाओ शां० ॥ 20 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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