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करने वाले पार्श्व नामक यक्ष शासन देवता हुए, कुर्कट जाति के सर्प के वाहन वाली, सुवर्ण सम वर्णवाली, दो दक्षिण दिशा में पद्म और पाश तथा दो वाम भुजा में फल और अंकुश धारण करने वाली पद्मावती नाम की यक्षणी शासन देवी हुई। ये दोनों शासन देवता जिनके पास निरन्तर रहते हैं और अन्य भी अनेक देव और मनुष्य विनीत होकर जिनकी सेवा किया करते हैं, ऐसे पार्थ प्रभु पृथ्वी पर विहार करने लगे।
(गा. 362 से 366)
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त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (नवम पर्व)