Book Title: Tirthrakshak Sheth Shantidas
Author(s): Rishabhdas Ranka
Publisher: Ranka Charitable Trust

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Page 39
________________ ३० तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास औरंगजेब बोला- आप तो बादशाह के पुराने वफादार जौहरी और खिदमतगार हैं, आपकी खिदमत हमारी नजर में है। शान्तिदास बोले-हुजूर, आपके पड़दादा शहंशाह अकबर और दादा बादशाह जहांगीर के जमाने से हमारे खानदान पर रहम नजर रही है। हम बादशाहत के जौहरी और अमीर हैं, जिसके लिए हमारा खानदान बादशाहत का शुक्रगुजार है। ___ औरंगजेब बोला-आपका कहना ठीक है। आप लोगों का मुगल शहंशाहत के साथ ५० साल का पुराना रिश्ता है। अमीरात का दर्जा भी हमारे खयाल में है और हम शाही खानदान के जौहरी और अमीरात को कायम रखने के लिए फरमान निकालना चाहते हैं । सेठ शान्तिदास बोले-हुजूर की महरबानी के लिये अहसानमन्द हूँ। बादशाह हुजूर की और तरक्की हो यही चाह है। हुजूर के कदमों में नजराना पेश करना चाहता हूँ। ___ औरंगजेब को उस वक्त धन की बहुत जरूरत थी इसलिए वह नजराने की बड़ी रकम देखकर अन्दरूनी बहुत खुश हुआ पर बाहरी दिखावे के लिए बोला, जौहरी मामा, आपका तो शहंशाह के साथ पुराने ताल्लुकात हैं। उसके लिए नजराने की क्या जरूरत थी? ___ शान्तिदास सेठ बोले-जहांपनाह, हमारे बादशाहत के साथ ताल्लुकात सिर्फ जौहरी या अमीरात के ही नहीं पर लेन-देन के भी रहे हैं। जब-जब बादशाहत को धन की जरूरत पड़ी हम उसकी यथासम्भव पूर्ति करते रहे। इस समय भी जो कुछ बन पड़े वह करना हमारा फर्ज ही है। यह बात सही है कि इस वक्त हमारी काफी बड़ी रकमें दूसरी ओर लगी हुई हैं, कुछ तो फँस भी गई हैं। फिर भी हम आपकी फतह में कुछ साथ दे सकें और कुछ न कुछ करने की ख्वाइश रखकर यह छोटी-सी रकम कदमों में पेश करता

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