Book Title: Tirthrakshak Sheth Shantidas
Author(s): Rishabhdas Ranka
Publisher: Ranka Charitable Trust

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Page 61
________________ ५२ तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास बखतशाह के बड़े भाई नथुशाह भी अहमदाबाद में रहते थे। उनका भी राजनीति तथा व्यवसायियों में खूब प्रभाव था और सार्वजनिक कामों में हिस्सा लेते थे। गुजरात का राजतंत्र पेशवा तथा गायकवाड के अधीन था। व गुजरात तथा सौराष्ट्र में चौथ की वसूली करते थे। जगह-जगह अनेक थाने थे। आहिस्ता-आहिस्ता अंग्रेज सत्ता का उदय होने लगा। मराठों में अन्तर-कलह का प्रारम्भ होने पर अंग्रेजों को दखल देने का मौका मिला और १७८० में अहमदाबाद में अंग्रेजी सत्ता के पैर जम गये । इस समय नथुशाह सेठ तथा महाजनों ने कम्पनी सरकार के सेनापति से मिलकर उनको यह समझाया था कि पेशवाओं के साथ होने वाले झगड़ों में कम्पनी सरकार की फौज की ओर से प्रजा की लूट-पाट न हो। बम्बई में भी अंग्रेजी सल्तनत स्थापित हुई। पोर्तुगीज राजा की बहन की शादी ब्रिटेन के राजा के साथ हुई। दहेज में बम्बई द्वीप अंग्रेजी राजा को दिया गया। अंग्रेज राजा ने बम्बई बन्दर वार्षिक दस पौंड किराये से ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दिया। विलायत से माल के आयात-निर्यात के लिए यह बन्दरगाह सुविधापूर्ण था। अतः अंग्रेजों की सूरत स्थित बड़ी-बड़ी पेढियां बम्बई पहुंची। बम्बई का व्यापार बढ़ने लगा। कुछ ही दिनों में बम्बई पश्चिम का सबसे बड़ा बन्दरगाह हो गया। जहां कुछ मच्छीमारों की बस्ती थी, वहाँ लाखों की आबादी हो गयी। बखतशाह सेठ ने बम्बई में भी अपना कारोबार शुरू किया। सेठ बखतशाह का समय मुगल, मराठा, गायकवाड और अंग्रेज आदि सत्ता की स्थापना का समय था। सेठ बखतशाह ने बड़ी

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