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सेठ लालभाई
सेठ लालभाई को परम्परा या सेठ शांतिदास तथा उनके वंश के कई विशिष्ट व्यक्तियों की विशिष्टताएँ विरासत में मिली थीं। साथ ही उनमें समय की रफ्तार को समझने की दूर-दृष्टि भी थी। फलस्वरूप जब उन्होंने अपने समय की शिक्षा, समाज कार्य, उद्योगव्यवसाय में प्रवेश किया तो सेठ शांतिदास का धर्मप्रेम, साहस राज्यकर्ताओं के साथ सम्पर्क, समाज के प्रति वात्सल्य, तीर्थ-सेवा, सुरक्षा आदि कार्यों व परम्परा से प्राप्त विशेषताओं का भी पूरा उपयोग किया और परिवार के विकास की नींव डाल सके । आज कस्तूरभाई का उद्योग समूह देश के प्रमुख उद्योगों में जो महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है तथा उसने जैसा विकास किया है उसकी नींव सेठ लालभाई ने ही रखी थी। सेठ शांतिदास के परिवार का व्यवसाय जवाहरात का था और लेन-देन सराफा, बैंकिंग का था। बीच में सेठ परिवार में शेअर के सट्टे ने स्थान पा लिया था, परन्तु लालभाई ने इन व्यवसायों का भविष्य उज्ज्वल न देखकर वस्त्र उद्योग को अपनाया। उनकी बुद्धि शिक्षा से व्यापक बन गई थी। उन्होंने देखा कि साहस पूर्वक नया उद्योग अपनाए बिना वे अपने परिवार के उच्च स्थान को टिका नहीं पावेंगे इसलिए उन्होंने टेक्सटाइल कपड़े के उद्योग को अपनाया।
उनका जमाना इतना मन्दी का तथा पराधीनता का था कि मिल उद्योग का प्रारम्भ कर उसमें सफलता पाना आसान नहीं था।