Book Title: Tirthrakshak Sheth Shantidas
Author(s): Rishabhdas Ranka
Publisher: Ranka Charitable Trust

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Page 65
________________ ५६ तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास ___ उनकी हवेली महल जैसी विशाल थी। उस समय वह सबसे बढ़िया इमारत थी। माणिक चौक से नागोरी सराह तक लम्बी और रतनपोल से पीरमशाह के रोजा तक चौड़ी थी। सेठ हेमाभाई अपनी बम्बई की शाखा में गये तब बम्बई के समाज द्वारा उनका बहुत सन्मान हुआ था और इस प्रवास में बम्बई के संघपति मोतीशा के साथ जो मित्रता हुई, वह अन्त तक बनी रही।

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