Book Title: Tirthrakshak Sheth Shantidas
Author(s): Rishabhdas Ranka
Publisher: Ranka Charitable Trust

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Page 44
________________ नगरसेठ लक्ष्मीचन्द ३५ चरें। पहाड़ की लकड़ी और पैदा होने वाली चीजों का इस्तेमाल ये श्रावक लोग करें। इस फरमान की हुक्म उदली या फेरबदली आगे भी न की जाय । इसके सिवा जूनागढ़ के गिरिनार और सिरोही जिले के आबु पहाड़ भी हम शाँतिदास जौहरी को सौंपते हैं । इस फरमान के मार्फत हम हुक्म देते हैं कि उसके दस्तावेज कर दिये जायँ। उस पर कोई भी राजा फरियाद करे तो उसकी सूनवाई न हो और न हर साल नई सनद माँगी जाय। जो कोई इस मामले में हुक्मउदूली करेगा वह अल्लाह का गुनहगार होगा। इसके लिए अलग से सनद बख्शी जाती है। सेठ शांतिदास ने यह फरमान अपनी आखरी मुलाकात में निकलवाने की तजवीज की थी पर जब यह फरमान आया तो वे संसार छोड़ स्वर्ग में जा बसे थे। अपने किये महत्त्वपूर्ण कार्य का फल देखने उपस्थित नहीं थे। सेठ लक्ष्मीचन्द ने अपनी पिता की परम्परा अक्षुण्ण रखी और औरंगजेब जैसे स्वार्थी, धर्मान्ध क र बादशाह पर अपना प्रभाव बनाये रखा । औरंगजेब के विषय में कहा जाता है कि वह अत्यन्त स्वार्थी था और किसी के साथ निजी सम्बन्ध नहीं रखता था पर अहमदाबाद के सेठ परिवार के साथ जो सम्बन्ध चार पीढ़ियों से चले आ रहे थे

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