Book Title: Tirthrakshak Sheth Shantidas
Author(s): Rishabhdas Ranka
Publisher: Ranka Charitable Trust

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Page 58
________________ सेठ खुशालचन्द ४६ काका हमीदखान अहमदाबाद में रुके हुए थे। गुजरात की स्थिति दो पतियों की पत्नी की तरह बड़ी ही विषम थी। सेठ खुशालचन्द समयज्ञ थे। उन्होंने परिस्थिति को ध्यान में लेकर अरबों की सेना में वृद्धि की थी और शस्त्र सामग्री भी ठीक मात्रा में एकत्र कर रखी थी। इस प्रकार चार-पांच साल बीते। इस बीच मुगल बादशाह ने देखा कि गुजरात की सत्ता हाथ से जा रही है। दिल्ली के सरदारों ने बादशाह को समझाया कि सूबेदार हमीदखान और मराठे मिल गये हैं, इसलिए शाह बुलन्दखान को सूबेदार नियुक्त किया गया। शाह बुलंदखान ने अपनी ओर से सुजादीखान को फौज के साथ गुजरात में भेजा। हमीदखान ने देखा कि सुजादीखान के पास फौजी ताकत ज्यादा है। वह मराठों की सहायता से दोहद पहुँचा और सुजादीखान का सामना किया, जिसमें सुजादीखान मारा गया। वैसे अहमदाबाद में किलाबन्दी थी। दरवाजे बन्द करने पर बाहर के हमले से बचा जा सकता था, लेकिन मराठों में विजय की धुन में अहमदाबाद को लूटने की इच्छा जागृत हुई। ___ खुशालचन्द सेठ को यह पता लगा कि मराठे अहमदाबाद लूटना चाहते हैं। किला फतह करके शहर में प्रविष्ट होना चाहते हैं। उनके पास लड़ने के साधन और सामग्री रहते हुए भी उन्होंने राजनीति से काम लेना अधिक उचित समझा। मराठा फौज को लाने वाले हमीदखान पर उनका बहुत प्रभाव था। उस पर उन्होंने बहुत उपकार किये थे। उन्होंने साहस कर मराठों की छावनी में प्रवेश किया। मराठा फौज अहमदाबाद पर घेरा डाले हुए थी। वे हमीदखान से मिले । लूट में प्रजा की तबाही होगी इसलिए मराठों के साथ बातचीत कर उन्हें लूट न करने को समझाने का प्रयास किया और उन्हें काफी मात्रा में अपने निज के पास से धन देकर घेरा उठवाया।

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