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तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास
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के लिए वाहन व राशन की मदद की। फर्रु खशायर ने बादशाह जहाँदरशाह को पराजित कर मौत के घाट उतार दिया । सेठ लक्ष्मीचन्द ने व्यवहार से निवृत्ति लेकर अपने पुत्र खुशालचन्द को कारोबार सौंपकर आत्मकल्याण में शेष जीवन बिताया