Book Title: Tirthrakshak Sheth Shantidas
Author(s): Rishabhdas Ranka
Publisher: Ranka Charitable Trust

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Page 43
________________ ३४ तीर्थरक्षक सेठ शान्तीदास झूठे बहाने बनाये जाते हैं उनकी वसूली में उन्होंने शाही सरकार से अर्ज की है । जिससे इस फरमान के मार्फत फर्माइश की जाती है कि जो सारी दुनिया में शाही हुकूमत सबसे बड़ी है और जिसे दुनिया मानती है, वह हुकूमत जाँच कर उन्हें कर्ज वसूली में मदद करे । कोई भी झूठे बहाने से कर्ज रोक कर न रखे ।' औरंगजेब जैसे झनुनी और दूसरे धर्मों के प्रति असहिष्णु व्यक्ति ने जैन तीर्थों की रक्षा के लिए जो फरमान निकाला वह बड़ा ही आश्चर्यजनक और महत्वपूर्ण था, जिसमें लिखा था कि -- 'सहस्रकिरण' के पुत्र श्री शाँतिदास जौहरी जो जैन है, उसने बादशाह से खास मेहरबानी की अर्ज की है। जिससे पालिताणा ( जो अहमदाबाद सूबे के आधीन है ) गाँव, उसमें बसे हुए मन्दिर जो शत्रुंजय के नाम से पहचाने जाते हैं । शांतिदास जौहरी ने बादशाही फौज की कूच के वक्त राशन और खुराक पहुँचाकर बादशाहत की बहुत बड़ी खिदमत की है । उसके बदले में शाही महरबानी चाहते हैं । जिसे हम शाँतिदास जौहरी को सौंप देते हैं । वहाँ पहाड़ पर जो घास पैदा होगी उसमें उसकी कोम के लोगों के जानवर

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