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नगरसेठ लक्ष्मीचन्द
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सलामत की मुलाकात की इज्जत बख्शी गई थी। उन्हें दरबार में से अहमदाबाद जाने की इजाजत महरबान बादशाह ने बख्शी है और उन्होंने जाहिर किया कि शाहजादा मुरादबख्श को चार लाख रुपये उनके लड़के लक्ष्मीचन्द से, ६२ हजार उनके भागीदार रखीदास और ८० हजार उनके सगे-सम्बन्धियों से लिये जिससे शांतिदास को बहुत फिक्र हुई थी।
हमारी उदारता और रहम के झरने के पानी को पीने वाले शांतिदास को एक लाख रुपये शाही खजाने से देने का हुक्म करते हैं और ४,४२०० के दस्तएवज देखकर एक लाख सुबा शाह नवाजखान की इजाजत से फौरन दे दिये जाँय, जिससे इनके रोजगार चलाने में तकलीफ न हो।
दूसरा फरमान ३० जनवरी १६६० में खुदा के बन्दे और पाक अबूब मुजाफिर मुहम्मद औरंगजेब बादशाह के सही सिक्के से निकला
हमारे मौजूद और आगे हुकूमत पर आने वालों से बादशाह सलामत की फरमाइश है कि सेठ शान्तीदास ने प्रकट किया उनकी बहुत बढ़ी रकमें प्रान्त (सूबे) के अधिकारियों तथा लोगों को कर्ज दी गई हैं। उसकी बसूली नहीं होती,