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स्याद्वादसिद्धि
विषय कारिका विषय
कारिका ७. सन्ततिके सादृश्या
पत् दोधर्मोंकी सिद्धिदि तीन विकल्प करके
पूर्वक अनेकान्तसिद्धि २ उसका निराकरण २०-३० ३. अन्यापोहात्मक व्यावृ. ८. वीजांकुरादिकी तरह
त्तिसे उक्त धर्म मानने सन्तति माननेका भी
की आशंकाका निरा- .. निरास .... ३१ करण ..." ३-४ ६. कार्यकारणरूप सन्तति ४. अपोहका खण्डन ५-४७ स्वीकार करने में बुद्ध ५. व्यावृत्तिसे धर्मभेद और संसारियों में
___ मानने में पुन: दूषण ४८-६७ एक सन्तानत्वका
७. कार्यकारणरूपधर्मोकी प्रसंग ... ३०-३४
तरह सत्व असत्व, १०. सन्तानके अभावका
नित्यत्व-अनित्यत्व - पुनः प्रतिपादन ३५-४०
और भेद-अभेद ११. धर्मकर्ता व धर्मफल
आदि वास्तविक - को कथंचित् नाश
धर्मोकी युगपत् शील और भिन्न
सिद्धि द्वारा अने. मानने में ही सन्तान,
कान्तसिद्धि .... ६८-७४ - धर्मफल आदिकी
8. क्रमानेकान्तसिद्धि १-८६ सिद्धि . ४१-४४ |
१. क्रमिक निरपेक्ष चित्तों ३. युगपदनेकान्तसिद्धि १ ७४ । में सन्तानके न १. अनेकधर्मात्मक वस्तु
बननेसे फलाभावका का सद्भाव .... १
पूर्ववत प्रसंग .... १-३ २. एक चित्तरूप सन्तति- २. सादृश्य तथा नैरन्तर्य में कार्यकारणरूप युग
से चित्ततणोंमें एक
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