Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 9
________________ एनसाईकलोपीडिया ब्रिटानिका हजार पेजका वोल्युम है इसी भांति नाम वोल्युमका वह एक सेट है अर्थात् वह महान ग्रंथ तीस हजार पेजों में पूरा हुआ है। इसी प्रकार हम आगमत्रयको इससे भी बड़ा बनानेके इच्छुक है। यदापि इस भगीरथकार्यको पूरा करने में कई वर्ष लग सकते हैं फिर भी कागज़के मिलने में ममता और प्रेसका सुभीता मिल सके तो हम इस भीष्मकार्यको १० वर्ष पूर्ण करनेका दावा कर सकते हैं । परन्तु हमारी समाजके ऐसे सदभाग्य कहां? फिर भी जगनके मानव आशाकी दीवार पर खड़े हैं । पुरुषार्थ करना ही तो मात्र अपना काम। रामको सुग्रीवका साथ मिला तो लंकापर रामको विजय प्राप्त हुई। बुहको नो मात्र पंचवर्गीय भिक्षुओंने अपने जीवनका योग दिया तो आज ८ करोइन अधिक बौद्ध दुनियापर छाए हुए हैं। इसी प्रकार प्रत्येक कार्यमें पुष्टाहयोगकी आर. श्यकता हुआ ही करती है। इसी दृष्टि से आपको ज्ञातपुत्र महावीर भगवानक शासनका सम्मानध्वज ऊंचा उठाने के लिए इस संस्थाके सहायक बनकर गरे साथियोंकी भाँति सेवाकी आवश्यकता है और इने जातीयता एवं नाम्प्रदायिकताके मोह और भेदभावको छोड़कर साथ दें तो अतिउत्तम हो। इसका भनि कामना और सेवाकी अभिलाषा की साध पूर्ण करने के लिए सहयोगियोंकि नातं आप भी स्तंभ, संरक्षक, सहायक और सदस्य बनकर २००.१....) और २००) की आर्थिक सेवा द्वारा जिनशासनके उत्थानका बीजारोपण करें। ऊपर लिखित चारों वर्गों के आजीवन सदस्योंको एक एक प्रतिक मप समिति के प्रकाशन अमूल्य भेंट दिए जायेंगे । समितिकी नीतिका निर्धारण करते समय उनसे सब प्रकारका परामर्श किया जायगा । अब तक जिन साथियों की मेयाने यह भीष्म कार्य हो रहा है उनका विवरण इस प्रकार है। अबतकके साथीस्तंभ-श्रीमान् शेठ शंभुलाल कल्याणजी (कराचीके भूतपूर्व इ. s. अन गंधक प्रमुख) बंबई। , लाला प्यारेलाल जैन दूगड़ अंबरनाथ 0. R. ,, श्रीमान् शेठ रतनचंद भीखमदास बांठिया मु. पो० पनवेल जि. कोलाबा । ,, मास्टर दुर्गाप्रसाद जैन B. A. B. 'T'. मु. गुड़गाँव-छावनी ६. ५. 1 जैन संघ दोंडायचा पश्चिम खानदेश ४१००) प्रेसमें भेजा छपाई खाते । माटुंगाके कई सद्गृहस्थोंकी ओरसे २७००) छपाई खाते, हस्ते शंठ रामजी अंदरजी माटुंगा (हैपीहोम-तैलिंग क्रॉस रोड)।

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