Book Title: Sramana 2016 04 Author(s): Shreeprakash Pandey, Rahulkumar Singh, Omprakash Singh Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 9
________________ 2 : श्रमण, वर्ष 67, अंक 2, अप्रैल-जून, 2016 कहकर मोक्षमार्ग प्रतिपादन में तप का चौथा स्थान रखा है। जो आत्मा पहली तीन शर्तों को पूरा कर ले उसके पश्चात् ही तप की ओर कदम बढ़ाए, ऐसा भाव इस गाथा से निकलता है। तत्त्वार्थ सूत्र में तो मोक्षमार्ग के तीन ही स्तम्भ स्थापित किए हैं- “सम्यग्दर्शनज्ञान चारित्राणिमोक्षमार्गः” तप की अविवक्षा स्पष्ट रूप से तप के विषय में मूल जैन धारणा को अभिव्यक्त कर रही है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र की पुष्टि, शुद्धि एवं परिपक्वता के लिए तप का आसेवन होता है। इन तीनों में भी चारित्र की दृढ़ता बढ़ाने के लिए तप किया जाता है। यदि किसी आत्मा ने चारित्र ग्रहण ही नहीं किया तो तप किस उद्देश्य की पूर्ति करेगा? पतीली को अग्नि पर रखने का लाभ तभी है यदि पतीली में पानी हो, पानी में दाल हो, ताकि अग्नि की उष्णता पतीली को गर्म करके पानी को उबाल दे और उबला हुआ पानी दाल की कठोरता को मुलायम कर दे। बिना पानी और दाल के पतीली को आग पर रखना जैसे अज्ञता, अनर्थदण्ड माना जाता है वैसे ही चारित्र पर्यायों के अभाव में तप की अग्नि पर शरीर को तपाना भी एक तरह से बालिशता और मूढ़ता में परिगणित हो सकता है। कथा साहित्य में प्रभु पार्श्वनाथ ने कमठ की बालतपस्या का इसीलिए विरोध किया था। भगवती सूत्र में गोशालक के प्रसंग में, वेश्यायन तपस्वी को 'बालतपस्वी' का विशेषण इसी कारण दिया, क्योंकि तप की पूर्वभूमिका ज्ञान-दर्शन-चारित्र का उसके पास अभाव था। उत्तराध्ययन सूत्र के तीसवें अध्ययन तपोमार्ग की प्रारम्भिक ६ गाथाएं आंख खोलने वाली हैं। तप का विवेचन, पालन, अभ्यास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पहले उनपर दृष्टिपात करना चाहिए। सर्वप्रथम कहा है कि साधक को पहले आस्रव निरोध करना है फिर तपस्या करनी है। आस्रव द्वार बन्द किए बिना तपस्या का वही परिणाम होता है जो पानी के स्त्रोत रोके बिना तलाब सुखाने का। एक तरफ कड़ी मेहनत से पानी उलीचा जा रहा है, सुखाया जा रहा है, दूसरी ओर से चुपचाप पानी भरता जा रहा है। पुराने युग से धार्मिक व्यक्ति ऐसी भूलें करते आ रहे थे, अत: भगवान महावीर ने चेताया कि तप की ओर कदम बढ़ाने से पूर्व आवश्यक शर्ते पूरी करनी चाहिए। आस्रव रहित आत्मा तप करे तो लाभदायक अन्यथा सश्रम कारावास।Page Navigation
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