Book Title: Sramana 2010 10 Author(s): Ashok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi View full book textPage 5
________________ - iv : श्रमण, वर्ष ६१, अंक ४ / अक्टूबर-दिसम्बर-१० पर देते रहेंगे। आगामी अंकों (जनवरी-मार्च २०११) से श्रमण की साइज, लेखों के स्तर आदि को और अच्छा बना रहे हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ में जैन साध्वियों तथा अध्ययनरत छात्राओं के लिए एक नया श्री धनपतराज सुशीला भंसाली विद्या-भवन बनकर तैयार हो गया है जिसके पुण्यार्जक हैं श्री धनपतराज भंसाली. वाराणसी। यह विद्याभवन उन्होंने अपने माता-पिता की प्रेरणा से उनकी ही स्मृति में बनवाया है। इसका विधिवत् अनुष्ठानपूर्वक उद्घाटन १६ जनवरी २०११ को होगा। इसी अवसर पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ से प्रथम बार प्रकाशित इनसाइक्लोपीडिया, खण्ड प्रथम - 'Art and Architecture' का भी लोकार्पण होगा। विद्यापीठ में दिनांक ९ नवम्बर से ३० नवम्बर २०१० तक इन्दिरा गांधी राष्टीय कला केन्द्र, वाराणसी के सौजन्य से 'पाण्डुलिपि संपादन और समीक्षा पर एक कार्यशाला आयोजित हुई जिसका विवरण 'विद्यापीठ के प्राङ्गण' कालम में दिया गया है। इसमें विद्यापीठ के निदेशक का सक्रिय सहयोग रहा। ___डॉ. शुगन चन्द जैन के मार्गदर्शन में पार्श्वनाथ विद्यापीठ अब पी.वी.आई.एस.जे.एस. (PV-ISJS) ग्लोबल सेन्टर के रूप में कार्य कर रहा है जिसके माध्यम से यहाँ विदेशी छात्रों, विद्वानों को जैनधर्म से परिचित किया जा रहा है। कई नयी योजनाएँ भी शुरू हो रही हैं। विशेष के लिए देखें 'विद्यापीठ के प्राङ्गण' शीर्षक में। ___ 'आप पाठकों के द्वारा श्रमण पसन्द किया जा रहा है' यह जानकर प्रसन्नता हुई। हम चाहते हैं कि अपने नये रूप में यह समय से पूर्व आप तक पहुँच जाए। हम विद्यापीठ में विशेष व्याख्यानों का आयोजन भी करते हैं। शीघ्र ही 'कर्मग्रन्थ' का ५वाँ भाग तथा 'जैन कुमार संभव' प्रकाशित हो जायेगा। 'अन्य प्रकाशनों पर भी कार्य पूर्ण होने को है। ___ अन्त में मैं अपने सभी सहयोगियों का आभारी हूँ जिन्होंने बड़ी लगन और मेहनत से इसके संपादन में सहयोग किया है। डॉ. शारदा सिंह को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने प्रूफ रीडिंग की तथा 'श्रमण अतीत के झरोखे में' का संकलन किया। साथ ही श्री विमल चन्द्र मिश्र जिन्होंने टंकण कार्य किया और श्री आनन्द कुमार जैन जिन्होंने छपाई का कार्य किया उन्हें भी धन्यवाद देता हूँ। हम उन सभी लेखकों के आभारी हैं जिनके लेख यहाँ छपे हैं। सम्पादक सुदर्शनलाल जैनPage Navigation
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