Book Title: Some Aspects of Indian Culture
Author(s): A S Gopani, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 99
________________ 90 Some Aspects of Indian Culture (14) दिण्णजहिच्छियफलओ बहुकित्ती कुसुमरेहिराभोओ। आयरियवीरभद्दो अथावरो54 कप्परूक्खो व्व ॥ (15) सो सिद्धतेण गुरू जत्तीसत्थेहि जस्स हरिभद्दो । बहुसत्थगंथवित्थरपत्यारियपयडसम्वत्थो । (16) आसि तिकम्माभिरओ महादुवारम्मि खत्तिओ पयडो । उज्जोअणोत्ति णाम तच्चिय परिभंजिरे तइआ ।। (17) तस्स वि पुत्तो संपइ णामेण वडेसरो ति पयडगुणो । तस्सुज्जोअणणामो तणओ अह विरइया तेण ।। (18) तुंगमलच जिणभवणमणहरं सावयाउलं विसमं । जाबालिउर 58 अट्ठावयं व अह अत्थि पुहईए ॥ (19) तुंगं धवल मणिहारिरयणपसरंतधयवडाडोयं । उसभजिणिदायतणं करावियं वीरभण || । तत्थ ठिएण अह चोहमीए चेत्तस्स कण्हपकखम्मि । णिम्मविआ बोहिकरी भव्वाणं होउ सव्वाणं ॥ (21) परभडभिउडिभगो पणईयणरोहणीकलाचंदो । सिरिवच्छरायणामो रणहत्थी पत्थिवो नइया ॥ (22) को किर बच्नई तीर जिणवयणमहोयहिस्स दुचार। थोयमइणावि बद्धा एसा हिरिदेविवयणेण ॥ (23) जिणवयणाओ ऊण अहिय व विरुद्धय व ज बद्ध । तं खमसु संठवेज्जसु मिच्छ। अह दुक्कड तस्स ।। (24) चंदकुलावयवेणं आयरियउज्जोअणेण रइया मे। सिवसतिबोहिमोक्खाण साहिया होउ भवियाण 30॥ (25) एयं कह करेउ' ज. पुण्णं पावियं मए विउल । साहुकिरियासु चित्तं भवे भवे होउ मे तेणं ॥ (26) सगकाले वोलिणे वरिसाण सएहि सत्तहि गएहीं। एकदिणेणूणेहि रइया अवरह वेलाए । (27) ण कइत्तणा हिमाणा ण कव्वबुद्धीए विरइया एचा । धम्मकह त्ति णिबद्धा मा दोसे काहिह इमीए ॥ . Summary:-There are only two famous pathas - Damely Daksina patha and Uttarapatha in the world. Out of them both, Uttarāpathe is said to be abounding in learned people. (1) In that patha, there flows a river Candrabhaga-the mistress of the sea. (2) On the bank of that river is situated a famous and a prosperous city called Pavvaia staying in which Sri Torarāya enjoyed the lordship of the world. (3) Harigupta was the preceptor of that King; he belonged to the Gupta family Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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