Book Title: Smruti Sandarbha Author(s): Nagsharan Sinh Publisher: Nag Prakashan Delhi View full book textPage 9
________________ संन्यासाश्रम वर्णनम : १०४ संन्यास का विधान गृहस्थाश्रम में न्याय धर्म से जीवन-यापन की श्रेष्ठता ब्राह्मण को संन्यास का धर्म ७. राज्यशासनधमं वर्णनम् : ११० राज्यसत्ता तथा शासनसत्ता वर्णन शासक के आचरण का निर्देश राजदण्ड की आवश्यकता शासक का विनयाधिकार शासक के दस कामज दोष और आठ क्रोध से उत्पन्न होने वाले दोषों से बचने का निर्देश सचिवों की योग्यता और उनके साथ राज्यकार्य के परामर्श की विधि राजदूत दुर्ग निर्माण शत्रु से युद्ध का वर्णन राष्ट्रसंग्रह और राष्ट्र-निर्माण राज्य कर्मचारियों की वृत्ति का माप वाणिज्य कर, राज्यशासन नीति ८. राज्यधर्म दण्डविधानवर्णनम् : १३१ सचिव वर्ग और मंत्री के साथ राजकाज देखने की विधि अट्ठारह व्यवहार का वर्णन 'ऋणादानादि' व्यवहार में धर्म की रक्षा मन की भावना के चिह्न व्यवहार की जानकारी और साक्षी के चरित्र Jain Education International राजधर्म दण्डविधाने साक्षिवर्णनम् : १३८ साक्षी के विशेष निर्देश पृथक्-पृथक् स्थानों पर असत्य साक्षिवाद का पाप वृथा शपथ करने से पाप असत्य साक्षी के दण्ड का विधान अपराधी को बिना दण्ड दिये छोड़ने से राजा को नरक गमन For Private & Personal Use Only मनुस्मृति ४० ८६ ६६ १८ १६-२० ३५-४४ ४५-४७ ૪ ६६ ७० ६० ११३-११७ १२४-१२६ १२७-२२६ २-३ ४-८ १५ २६ ४८-७५ ७५-६६ ६७-१०१ १०१-११८ १२१-१२४ १२५-१३१ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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