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[ १५ ] स्याद्वाद विद्यालय, भारतीय ज्ञानपीठ और हिन्दू विश्वविद्यालयके पुस्तकालयोंका इसके सम्पादनमें पूरा-पूरा उपयोग किया है।
ज्ञानमंडल प्रेसके मैनेजर श्री ओमप्रकाशजी कपूर तथा हिन्दु यूनिवर्सिटी प्रेसके मैनेजर श्री रामकृष्ण दासजीने इस ग्रन्थको यथासमय छापनेमें विशेष सतर्कता बरती है। मैं इन सभी सहायकोंका आभार मानकर फिर उसी तथ्यकी ओर संकेत कर इस वक्तव्यको समाप्त करता हूँ कि 'सामग्री जनिका कार्यस्य नैकं
कारणम्' अर्थात् सामग्रीसे कार्य होता है, एक कारणसे नहीं। मैं तो उस सामग्रीका मात्र एक अंग ही हूँ अधिक कुछ नहीं।
वसन्तपञ्चमी,
१२।२।१६५६ हिन्दू विश्वविद्यालय, काशी )
-महेन्द्रकुमार जैन (न्यायाचार्य, एम० ए०, पीएच० डी० आदि)
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