Book Title: Shrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
11
॥१॥
SHRUTSAGAR
January-2020 निवारो' ना पद साथे मुक्तिसुखनी मांगणी करता काव्यनुं समापन करे छ।
कृतिना अंते विजयसेनसूरि, विजयतिलकसूरिना उल्लेख पूर्वक पोताना गुरु शुभविजयजी, स्मरण करी लालविजयजीए पोतानो नामोल्लेख कर्यो छे ।
मुनि विमलविजय-शिष्य कृत
कर्पटवाणिज्यमंडण चिंतामणि पार्श्वनाथ स्तवन Gon श्रीजिन वदन-कमलि निति वसती, कविजन-जननी वाणी रे। श्रीजिनवर गुण थुणतां मुझनिं, देयो अविरल वाणी रे श्रीचिंतामणि पास जिनेसर, गाऊं त्रिभुवन-दीप रे। अश्वसेन-नरपति-कुलदीपक, भवसागर विचि दीप रे ॥२॥ श्रीचिंतामणि... जगत्र(त)-पितामह जगसुखकारी, जगतारण जगदीस रे। जगबंधव जगवल्लभ तोरी, सेव करूं निसि दीस रे ॥३॥श्रीचिंतामणि.. परहितकारी परमदयालूं, परमेसर तूं दीठउरे। हवइ हूं मनमांहिं इम जाणुं, कल्पवृक्ष मुझ तूठउरे ॥४॥श्रीचिंतामणि... कामधेनु मुझ पासिं आवी, चिंतामणि करि चडिउं रे। जब तुझ वदनकमल मई भेट्युं, तब दुख दूरि पडिउं रे ॥५॥श्रीचिंतामणि... आज अपार भवोदधि तरिउ, भरिउ सुकृत-भंडार रे। आज अमृत परिघल मइं पीधउं, जु कीधउं तुझ दीदार रे ॥६॥श्रीचिंतामणि... मिथ्या-दरिसन रोग हतो जे, भव अनंतनु लागउ रे। तुझ दरिसन अमृतरस पीता, तेह तणु मद भागउरे ॥७॥श्रीचिंतामणि... सबल वायु पूरई करि जिनजी, वादल-दल जिम त्रूटइ रे। तिम तुझ दरिसन भावई करतां, पाप तणूं बल खूटइ रे ॥८॥श्रीचिंतामणि... प्रभुजी तुझ दरिसन महिमाइं, आगि बलतुं नाग रे। नागकुमार तणुं थयुं स्वामी, धरण नाम महाभाग रे ॥९॥श्रीचिंतामणि...
॥ ढाल ॥राग- सामेरी अथवा मारुणी॥ अश्वसेन नृप वंश तुम्हे दीपाविउ रे, धन धन वामा जेणीइं तूं सुत पाविउ रे।
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36